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आर्मिनिया-अज़रबेजान: क्षेत्र में सैन्य बलों के इस्तेमाल पर चिन्ता, मानवीय सहायता मार्ग की सुलभता पर बल

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.
UN Photo/Mark Garten
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.

आर्मिनिया-अज़रबेजान: क्षेत्र में सैन्य बलों के इस्तेमाल पर चिन्ता, मानवीय सहायता मार्ग की सुलभता पर बल

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को जारी अपने एक वक्तव्य में दक्षिणी कॉकेसस क्षेत्र में लड़ाई भड़कने से उपजे मानवीय हालात पर चिन्ता व्यक्त की है.

उन्होंने मंगलवार को अपने एक वक्तव्य में आर्मिनिया और अज़रबेजान के बीच हालात का उल्लेख करते हुए सैन्य बलों के इस्तेमाल और लोगों के हताहत होने की ख़बरों पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है, जिनमें नागरिक आबादी भी है.

यूएन महासचिव ने ज़रूरतमन्द लोगों तक सहायता पहुँचाने के लिए राहतकर्मियों को मार्ग उपलब्ध कराए जाने की अपील की है.

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समाचार माध्यमों पर नवीनतम ख़बरों के अनुसार, बुधवार को क्षेत्र में लड़ाई रुकने की घोषणा की गई है. 

दक्षिणी कॉकेसस क्षेत्र में आर्मनिया और अज़रबेजान के बीच टकराव पिछले तीन दशकों से जारी है, मगर लगभग तीन वर्ष पहले, छह हफ़्तों तक चली लड़ाई के बाद संघर्षविराम पर सहमति बनी थी. आर्मिनिया, अज़रबेजान और रूस के नेताओं के बीच हुई इस सहमति के बाद हज़ारों रूसी शान्तिरक्षकों को वहाँ तैनात किया गया था. 

पिछले महीने, यूएन मानवीय राहतकर्मियों और साझेदार संगठनों ने सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए लाचिन कॉरीडोर के ज़रिये मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति की अहमियत को रेखांकित किया था. 

ख़बरों के अनुसार, इस अहम मार्ग को पिछले सप्ताह फिर से खोला गया. 

चिन्ताजनक मानवीय हालात

महासचिव गुटेरेश ने खेद प्रकट किया कि इस चिन्ताजनक घटनाक्रम से ठीक पहले 18 सितम्बर को स्थानीय आबादी तक बेहद ज़रूरी मानवीय सहायता पहुँचाई गई थी.

उन्होंने ज़मीनी स्तर पर मानवीय हालात पर भी चिन्ता जताई है और ज़ररूतमन्दों तक मानवीय राहतकर्मियों के पहुँचने के लिए पूर्ण रूप से रास्ता खोले जाने की बात कही है.

उन्होंने सभी पक्षों से आग्रह किया कि क्षेत्र में भरोसे का निर्माण करने के लिए लक्षित प्रयास किए जाने होंगे और दीर्घकालिक शान्ति सुनिश्चित की जानी होगी.

महासचिव गुटेरेश ने कठोर शब्दों में लड़ाई पर तत्काल विराम लगाने और क़दम पीछे हटाकर तनाव में कमी लाने का आग्रह किया है. इस क्रम में, उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के सिद्धान्तों और 2020 युद्धविराम का सख़्ती से पालन किए जाने पर बल दिया है. 

इससे पहले, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने भी मंगलवार को सैन्य बलों के इस्तेमाल से नागरिक आबादी पर होने वाले असर पर चिन्ता व्यक्त की थी. 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अज़रबेजान और आर्मिनिया का शान्ति प्रक्रिया की ओर फिर से लौटना बेहद अहम है, और मानवाधिकारों पर आधारित सहमति के लिए काम किया जाना होगा.