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काराबाख़: अज़रबैजान से, आर्मीनियाई जातीय आबादी के अधिकारों की गारंटी देने का आग्रह

काराबाख़ क्षेत्र में वनों से घिरा पर्वतीय क्षेत्र.
© Public Domain/Sonashen
काराबाख़ क्षेत्र में वनों से घिरा पर्वतीय क्षेत्र.

काराबाख़: अज़रबैजान से, आर्मीनियाई जातीय आबादी के अधिकारों की गारंटी देने का आग्रह

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने बुधवार को अज़रबैजान से अपील की है कि काराबाख़ क्षेत्र में जातीय आर्मीनियाई समुदाय के अधिकारों की गारंटी दी जानी होगी. साथ ही, वहाँ रहने वाले लोगों के अधिकारों की तयशुदा अन्तरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप रक्षा सुनिश्चित की जानी अहम है. 

न्यायेतर, बिना सुनवाई के और मनमाने ढंग से मौत की सज़ा दिए जाने के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर मॉरीस टिडबॉल-बिंज़ ने अज़रबैजान से कहा कि सैन्य कार्रवाई के सन्दर्भ में, काराबाख़ क्षेत्र में जीवन के अधिकार के हनन के संदिग्ध मामलों की तुरन्त, स्वतंत्र जाँच कराई जानी ज़रूरी है.

बताया गया है कि इस सैन्य कार्रवाई के दौरान शान्तिरक्षकों समेत अनेक लोगों की मौत हुई है. 

यूएन के विशेष रैपोर्टेयर टिडबॉल-बिंज़ ने कहा कि जाँच प्रक्रिया को अन्तरराष्ट्रीय मानकों के तहत आगे बढ़ाया जाना होगा, जिसके लिए निष्पक्षता व पारदर्शिता को अपनाया जाना अहम है.

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विशेष रैपोर्टेयर और अन्य यूएन विशेषज्ञ यूएन स्टाफ़ नहीं हैं. वे अपनी व्यक्तिगत क्षमता में सेवाएँ प्रदान करते हैं और उन्हें उनके कामकाज के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.

लम्बे समय से जारी टकराव

प्राप्त समाचारों के अनुसार, अज़रबैजान के काराबाख़ आर्थिक क्षेत्र से कुछ ही दिनों के भीतर हज़ारों लोगों ने आर्मीनिया में शरण ली है, जिनमें वृद्धजन, महिलाएँ व बच्चे भी हैं. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस विस्थापन पर गहरी चिन्ता जताई है और विस्थापित आबादियों के अधिकार सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया है. 

इस क्षेत्र पर आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच पिछले तीन दशकों से टकराव रहा है, मगर क़रीब तीन वर्ष पहले छह हफ़्तों की लड़ाई के बीद संघर्षविराम और फिर त्रिपक्षीय वक्तव्य पर सहमति बनी थी.

इसके बाद वहाँ हज़ारों रूसी शान्तिरक्षक तैनात किए गए थे. पिछले सप्ताह, लड़ाई फिर भड़कने और आर्मीनिया में शरणार्थियों के पहुँचने के बाद, यूएन प्रमुख ने कहा कि ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने के लिए सहायताकर्मियों को रास्ता उपलब्ध कराया जाना होगा. 

चिन्ताजनक हालात

यूएन महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने बुधवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि संयुक्त राष्ट्र, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून व मानवतावादी सिद्धान्तों के मसले पर अज़रबैजान की सरकार के साथ सम्पर्क में है.

यूएन प्रवक्ता के अनुसार, अज़रबैजान सरकार ने सार्वजनिक रूप से आश्वासन दिया है कि क्षेत्र में सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी.

इस बीच, जनसंहार की रोकथाम पर यूएन की विशेष सलाहकार वाइरिमू न्डेरितु ने दक्षिणी कॉकसस क्षेत्र में मौजूदा घटनाक्रम पर चिन्ता व्यक्त की है. 

उन्होंने कहा कि पहचान-आधारित हिंसा के भय से लोगों को अपना घर छोड़कर जाते हुए देखना बेहद व्यथित व परेशान कर देने वाला है.

विशेष सलाहकार ने ज़ोर देकर कहा कि क्षेत्र में रहने वाली जातीय आर्मीनियाई आबादी के संरक्षण व मानवाधिकारों की रक्षा के लिए हरसम्भव प्रयास किए जाने होंगे.

इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि काराबाख़ क्षेत्र की लगभग एक-तिहाई आबादी, बहुत कम समय में वहाँ से विस्थापित हुई है. 

उनके पास सामान्य दवाएँ नहीं हैं, उन्होंने ना ही कुछ खाया है, वे प्यासे हैं, और पानी की कमी का शिकार हो सकते हैं. साथ ही, वे गम्भीर मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं. इसके मद्देनज़र, रात में ठंड के दौरान, आपात आश्रय व्यवस्था पर बल दिया गया है.