UNCTAD: एसडीजी प्राप्ति की वार्षिक लागत $5 ट्रिलियन से अधिक
संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्रियों ने मंगलवार को कहा है कि महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की लागत, अनुमानतः प्रति वर्ष $5.4 से $6.4 ट्रिलियन के बीच है.
संयुक्त राष्ट्र के व्यापार और विकास संगठन – UNCTAD के अनुसार, ये रक़म प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष $1,179 और एक $1,383 डॉलर के दरम्यान बैठती है.
इस अध्ययन में 90 देशों में सतत विकास लक्ष्यों के 50 संकेतकों का जायज़ा लिया गया है, जिसमें वैश्विक आबादी के तीन-चौथाई यानि लगभग 75 प्रतिशत हिस्से को शामिल किया गया.
दुनिया के 48 विकासशील देशों के लिए, धन की ये कमी अनुमानतः प्रतिवर्ष 337 अरब डॉलर है, वो भी तब जब ये देश, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और आबादी पर आवश्यक कार्रवाई करें.
बुद्धिमानी से सोचें
वैसे तो इस तरह का निवेश सुनिश्चित करना, सीमित संसाधनों वाले देशों के लिए बहुत कठिन होगा, मगर समाधान अनेक क्षेत्रों में किफ़ायत बरतने वाली कार्रवाई में छिपा हुआ है.
इनमें शिक्षा जैसे क्षेत्र शामिल हैं जिनमें लैंगिक समानता, निर्धनता उन्मूलन और नवाचार को प्रोत्साहन दिया जाता है – जोकि सभी सतत विकास लक्ष्य हैं.
अंकटाड में आँकड़ों की मुखिया अनू पेल्टोला का कहना है, “केवल धन की उपलब्धता बढ़ाने मात्र से ही, सफलता की गारंटी नहीं होगी. सकारों, कम्पनियों, निवेशकों और संस्थानों को, अपने संसाधन बहुत सोच-समझकर निवेश करने होंगे. उन्हें प्रत्येक लक्ष्य के लिए, प्रत्येक डॉलर पर बोझ डालने की आवश्यकता नहीं है.”
क़र्ज़ संकट
अंकटाड के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि अब से लेकर वर्ष 2030 के दरम्यान, सतत विकास लक्ष्यों पर होने वाले कुल धन ख़र्च का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा, दुनिया के सर्वाधिक देशों में होगा. इन देशों को आमतौर पर सबसे ऊँची प्रति व्यक्ति वार्षिक लागत का सामना करना पड़ता है और इन्हीं देशों में सबसे बड़े वित्तीय अन्तर भी होते हैं.
लघु द्वीपीय विकासशील देशों को भी उच्च लागत का सामना करना पड़ता है, जहाँ लैंगिक समानता पर प्रति व्यक्ति ख़र्च प्रति व्यक्ति 3 हज़ार 724 डॉलर होता है, जोकि वैश्विक औसत आवश्यकता से तीन गुनी ज़्यादा है.
बदलाव के छह क्षेत्र
दूसरी तरफ़, 48 विकासशील देशों मेंस सामाजिक संरक्षण व सम्मानजनक रोज़गार अवसरों को बेहतर बनाने में, कम निवेश की ज़रूरत है, जोकि $294 अरब है, जिसके लिए वार्षिक व्यय में, 6 प्रतिशत की ज़रूरत होगी.
अंकडाड के विश्लेषण में, सतत विकास के माध्यम से, रूपान्तर के लिए छह रास्तों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है: सामाजिक संरक्षण और सम्मानजनक रोज़गार, रूपान्तरकारी शिक्षा, खाद्य प्रणालियाँ, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण, ऊर्जा रूपान्तर और समावेशी डिजिटल प्रक्रिया.
अंकटाड की रिपोर्ट में, वैश्विक क़र्ज़ संकट से भी निपटने पर ध्यान दिया गया है. लगभग 3 अरब 30 करोड़ लोग ऐसे देशों में रहते हैं, जो शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी अनिवार्य सेवाओं पर धन ख़र्च करने की तुलना में, क़र्ज़ की ब्याज अदायगी पर अधिक धन ख़र्च करते हैं.