कुवैत और सिंगापुर में फाँसी की निन्दा, वैश्विक पाबन्दी की मांग
इस सप्ताह कुवैत में पाँच क़ैदियों और सिंगापुर में दो क़ैदियों को फाँसी दी गई है, जिसके बाद, संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने मृत्यु दंड की फिर से निन्दा की है और सदस्य देशों से, इसके प्रयोग को समाप्त करने का आग्रह किया है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के प्रवक्ता सेइफ़ मैगन्गो ने गुरूवार को जिनीवा में कहा, “हम इस सप्ताह कुवैत और सिंगापुर में अनेक लोगों को दिए गए मृत्युदंड की घोर निन्दा करते हैं और किसी भी तरह की परिस्थितियों में मृत्युदंड दिए जाने का विरोध करते हैं.”
तत्काल स्वैच्छिक रोक
प्रवक्ता ने कहा, “हम कुवैत और सिंगापुर से मृत्युदंड दिए जाने पर तत्काल स्वैच्छिक रोक लगाने और उन 170 देशों में शामिल होने का आग्रह करते हैं, जिन्होंने मृत्युदंड को या तो समाप्त कर दिया है या इस पर स्वैच्छिक रोक लगा दी है, क़ानून में या फिर उस पर अमल बन्द करके.”
कुवैत सरकार ने गुरूवार को जारी एक वक्तव्य में बताया कि पाँच क़ैदियों को, देश की केन्द्रीय जेल में फाँसी दे दी गई है, जिनमें एक व्यक्ति का सम्बन्ध आइसिल आतंकवादी गुट के साथ बताया गया.
उस व्यक्ति पर कुवैत में वर्ष 2015 में एक शिया मस्जिद पर बम हमला करने का दोषी पाया गया था, जिसमें 27 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हुए थे.
कुवैत के अभियोजकों के अनुसार, मृत्युदंड दिए जाने वाले लोगों में, हत्या के दोषी पाए गए तीन व्यक्ति और ड्रग कारोबार का दोषी पाया गया एक व्यक्ति भी है.
सिंगापुर: 20 वर्षों में पहली महिला
सिंगापुर में एक पुरुष और एक महिला को, इस सप्ताह, देश की चांगी जेल में फाँसी दी गई है.
45 वर्षीय महिला सरीदेवी द्जामनी को, हीरोइन नामक ड्रग की तस्करी करने के आरोप में, वर्ष 2018 में फाँसी की सज़ा सुनाई गई थी.
कहा जा रहा है कि वो वर्ष 2004 के बाद, मृत्युदंड पाने वाली पहली महिला हैं. उस वर्ष 36 वर्षीय महिला येन मेय वोएन को भी, ड्रग तस्करी के आरोप में मृत्युदंड दिया गया था.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा, “मृत्युदंड जीवन जीने के अधिकार और उत्पीड़न व अन्य अमानवीय बर्ताव से मुक्ति के अधिकार से मेल नहीं खाता है, इसलिए इसे, एक दंड के रूप में हर जगह से समाप्त कर दिया जाना चाहिए.”