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किशोर अपराधियों को मृत्युदंड पर गहरी चिन्ता

हेती की एक जेल में बन्द एक लड़का बाहर की दुनिया से सम्पर्क बनाने की कोशिश करता हुआ, तस्वीर 2005 की है.
© UNICEF/Roger LeMoyne
हेती की एक जेल में बन्द एक लड़का बाहर की दुनिया से सम्पर्क बनाने की कोशिश करता हुआ, तस्वीर 2005 की है.

किशोर अपराधियों को मृत्युदंड पर गहरी चिन्ता

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतॉनियो गुटेरेश ने अनेक देशों में बाल व किशोर अपराधियों को मौत की सज़ा दिए जाने पर गहरी चिन्ता जताई है.

Death Penalty यानी मृत्यु दंड के ख़िलाफ़ मनाए जाने वाले विश्व दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा कि सिर्फ़ वर्ष 2018 में ही मौत की सज़ा सुनाए जाने वाले बाल अपराधियों की संख्या देखकर वो बहुत दुखी और परेशान हैं.  


इनमें सैकड़ों बाल अपराधियों को पहले ही मृत्यु दंड देकर उनकी ज़िन्दगी को ख़त्म कर दिया गया है.

उनमें से बहुत को तो क़ानूनी सहायता भी नहीं मिली.

ऐसा भी कहा जाता है कि इन्हें यदि क़ानूनी सहायता मिलती तो शायद वो मृत्यु दंड से बच सकते थे.

अनेक विशेषज्ञों का तो ये भी कहना है कि बहुत से बाल अपराधियों को इसलिए मृत्यु दंड दिया जाता है क्योंकि या तो वो ग़रीब होते हैं, या महिलाएँ या फिर उनका सम्बन्ध वंचित अल्पसंख्यक समूहों से होता है.


महासचिव एंतॉनियो गुटेरेश का कहना था कि कुछ देशों में तो लोगों को चोरी-छुपे यानी गुप्त रूप से ही मुक़दमा चलाकर मौत की सज़ा सुना दी जाती है.

उन मुक़दमों में क़ानूनी प्रक्रिया पर अमल नहीं किया जाता है. इसलिए ऐसे मुक़दमों में ग़लतियाँ होने या फिर उनका दुरुपयोग किए जाने की बहुत सम्भावना होती है.

बहुत से मामलों में देखा भी गया है कि मौत की सज़ा पाने वाले लोगों को ग़लत तरीक़े से मौत की सज़ा सुनाई गई.