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सिंगापुर: ड्रग्स-सम्बन्धी अपराधों के लिए, मौत की सज़ा दिए जाने की निन्दा

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि केवल बहुत गम्भीर अपराध मामलों में ही मौत की सज़ा दी जानी चाहिए.
© UNICEF/Josh Estey
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि केवल बहुत गम्भीर अपराध मामलों में ही मौत की सज़ा दी जानी चाहिए.

सिंगापुर: ड्रग्स-सम्बन्धी अपराधों के लिए, मौत की सज़ा दिए जाने की निन्दा

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सिंगापुर की सरकार द्वारा मादक पदार्थ (ड्रग्स) सम्बन्धी अपराधों के लिए मौत की सज़ा बरक़रार रखने की आलोचना करते हुए, उस पर तत्काल स्वैच्छिक रोक लगाए जाने का आग्रह किया है.

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इस सप्ताह तंगराजू सुप्पिया को मृत्युदंड दिए जाने की कड़ी निन्दा की है, जिन्हें वर्ष 2013 में मलेशिया से सिंगापुर तक, कैनेबिस (भांग या गांजा) की तस्करी के षड़यंत्र का दोषी पाया था.

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सिंगापुर में रहने वाले 46 वर्षीय तमिल तंगराजू सुप्पिया को मंगलवार को फाँसी पर लटका दिया गया, जबकि उन्होंने दावा किया था कि पुलिस पूछताछ के दौरान पर्याप्त स्तर पर दुभाषिए की व्यवस्था नहीं की गई.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि मृत्युदंड, केवल एक क़ानूनी प्रक्रिया के बाद ही दिया जा सकता है, और इसके लिए एक निष्पक्ष मुक़दमे के हर पहलू को सुनिश्चित करना आवश्यक है.

इसमें न्यायिक प्रक्रिया के हर चरण में समुचित क़ानूनी प्रतिनिधित्व और मौखिक प्रक्रिया में भाषा अनुवाद आवश्यक है.

मृत्युदंड की चिन्ताजनक दर

उन्होंने कहा कि सिंगापुर में ड्रग-सम्बन्धी अपराधों के लिए मृत्युदंड की दर, चिन्ताजनक रूप से अधिक है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, मार्च 2022 के बाद से अब तक, तंगराजू सुप्पिया 12वें व्यक्ति है, जिन्हें फाँसी दी गई है.

यूएन कार्यालय ने सिंगापुर सरकार से तंगराजू सुप्पिया को फाँसी नहीं दिए जाने का आग्रह किया था, और इसकी वजह समुचित न्यायिक प्रक्रिया और निष्पक्ष मुक़दमे की गारंटी के प्रति चिन्ता बताई थी.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अपने वक्तव्य मे कहा है कि जिन देशों ने मृत्युदंड का उन्मूलन नहीं किया है, उन्हें केवल बहुत गम्भीर अपराध मामलों में ही मौत की सज़ा देनी चाहिए.

“अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत, केवल अत्यधिक गम्भीर अपराधों में, जिसमें इरादतन जान से मारने की बात हो, उन्हें ही सबसे गम्भीर अपराध कहा जा सकता है. ड्रग से जुड़े अपराध इस दहलीज को पार नहीं करते हैं.”

अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने तंगराजू सुप्पिया समेत अल्पसंख्यक समूहों के लोगों के साथ भेदभावपूर्ण बर्ताव और उनके वकीलों के विरुद्ध बदले की भावना से कार्रवाई किए जाने की ख़बरों पर चिन्ता जताई है.

तंगराजू सुप्पिया को सिंगापुर क़ानून के तहत सज़ा दी गई, जिसमें कुछ निश्चित अपराधों के लिए मृत्युदंड अनिवार्य है, और इनमें ड्रग-सम्बन्धी अपराधों में दोषी पाया जाना भी है.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सचेत किया है कि अनिवार्य सज़ा के प्रावधान की वजह से, न्यायाधीशों के लिए वैयक्तिक मामलों, सन्दर्भों और परिस्थितियों में अपने विवेक का इस्तेमाल कर पाना सम्भव नहीं होता.

विशेषज्ञों ने दोहराया कि मृत्युदंड का अनिवार्य इस्तेमाल, जीवन के अधिकार से वंचित रखने का मनमुताबिक़ इस्तेमाल है, चूँकि इसमें निजी परिस्थितियों और अपराध विशेष की परिस्थितियों पर विचार किए बिना ही सज़ा थोप दी जाती है.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

इस वक्तव्य को जारी करने वाले छह स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की सूची यहाँ देखी जा सकती है.

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं.

उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है.

ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.