श्रीलंका: नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों के ज़रिए किसानों का आर्थिक विकास
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ़एओ), श्रीलंका के उत्तरी इलाक़ों में बेहतर वर्षा प्रबन्धन और उन्नत बीज खेती के जरिए, फ़सलों की उपज बढ़ाने में मदद कर रहा है, जिससे क्षेत्र के किसानों को बेहतर पैदावार के साथ अधिक मुनाफ़ा प्राप्त हो रहा है.
30 वर्षों से खेती कर रहे, इलेपेरुमा अराचिलागे रथनायके (अपने गाँव में रथनायके के नाम से मशहूर) ने प्याज़ के बीजों की खेती की पैदावार बढ़ाने के लिए बहुत संघर्ष किया.
22 साल की उम्र में इस फ़सल की खेती शुरू करते समय उन्होंने कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था, बल्कि अपने क्षेत्र के अन्य किसानों के ज्ञान से सीखकर खेती करते रहे.
संसाधनों और उचित उपकरणों की कमी के कारण, रथनायके ने फ़सलों की सुरक्षा के लिए, बाँस के पेड़ों और पॉलिथीन शीट का उपयोग करके अस्थाई आश्रय बनाए. लेकिन ये संरचनाएँ भारी बारिश और हवा में अक्सर उड़ जाती थीं, जिससे फ़सलों को हानिकारक तत्वों से बचाने में मुश्किल हो जाती थी.
श्रीलंका के उत्तरी अनुराधापुरा ज़िले में स्थित कलुगाला गाँव के किसानों के लिए, अप्रत्याशित मौसम व अत्यधिक बारिश, नवीनतम चुनौतियों में से एक है.
रथनायके बताते हैं, "हालाँकि मैंने कई वर्षों तक प्याज़ की खेती की है, लेकिन विभिन्न चुनौतियों, विशेष रूप से बारिश से बचाव के लिए सुरक्षा की कमी के कारण मैं अपनी मनपसन्द फ़सल उगाने में असमर्थ रहा."
अपने परिवार का एकमात्र सहारा, रथनायके की खेती से होने वाली आय से, ना केवल उनके घर का ख़र्च चलता है, बल्कि यह उनके बच्चों की शिक्षा के लिए भी काम आती है. अपने दृढ़ संकल्प के बावजूद, कम पैदावार और वित्तीय कठिनाइयों के कारण, वो अक्सर प्याज़ की खेती पूरी तरह छोड़ने की सोचते रहते थे.
एफ़एओ की परियोजना
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफ़एओ) द्वारा कैनेडा सरकार से प्राप्त वित्त पोषण से, एक अभिनव परियोजना शुरू की गई, जिससे रथनायके की उम्मीद दोबारा जगी.
एफ़एओ ने, रथनायके और 91 अन्य छोटे किसानों को, उन्नत प्याज़ व मिर्च के उत्पादन के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज पैदा करने में सहायता की, और इसके लिए आवश्यक प्रशिक्षण एवं उपकरण प्रदान किए.
बीजों से ही अक्सर कम और अधिक पैदावार के बीच का अन्तर पैदा होता है. उच्च गुणवत्ता वाले बीजों से शुरुआत होने पर किसानों के लिए आरम्भ से ही सफलता का मार्ग प्रशस्त हो जाता है.
इस परियोजना के तहत, पारम्परिक बीज उत्पादन विधियों में लगे, उत्तरी, उत्तर-मध्य और मध्य प्रान्तों के किसानों को, संरक्षित घरों, पॉलीटनल, वर्षा आश्रयों और सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों जैसी नवीन तकनीकों को अपनाने के बारे में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए चुना गया था.
इन तकनीकों ने उनके फ़सल प्रबन्धन तरीक़ों को मज़बूत किया, जल एवं उर्वरक दक्षता को बढ़ाने और कीटों व बारिश से होने वाले नुक़सान से बचने की ढाल प्रदान की और रासायनिक कीटनाशकों एवं खरपतवारनाशकों पर निर्भरता घटाई. परिणामस्वरूप, बीज की खेती में वृद्धि हुई और किसानों की पैदावार बढ़ गई.
रथनायके बताते हैं, "पहले हम अस्थाई वर्षा आश्रयों का उपयोग करते थे. भारी बारिश के दौरान वे अक्सर बेकार हो जाते थे, जिससे बीजों की नर्सरी ख़राब होने से भारी नुक़सान होता था. मैं पहले प्याज़ के बीजों की लगभग 2-3 किलोग्राम फ़सल काटता था, लेकिन इस परियोजना द्वारा उपलब्ध उच्च गुणवत्ता वाले वर्षा आश्रयों के कारण, अब हमें प्रति मौसम 12-15 किलोग्राम प्रभावशाली बीज प्राप्त करने की उम्मीद है."
अब जबकि उनकी खेती के बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं, रथनायके बचत करने और भविष्य के लिए योजना बनाने में सक्षम हैं.
“मेरी पत्नी और मैंने आपस में बातचीत कर यह फ़ैसला लिया कि हमें बढ़े हुए मुनाफ़े का उपयोग कैसे करना चाहिए. और हम दोनों इस बात पर सहमत हैं कि अगले मौसम में प्याज़ की खेती बढ़ाने के लिए, हमें इस मुनाफ़े को वापस अपनी खेती में ही निवेश करना चाहिए. इस तरह हम अपनी खेती का लगातार विकास कर सकते हैं और शायद इतना बचा सकते हैं कि ख़ुद दूसरा वर्षा आश्रय ख़रीद सकें.''
कलुगाला गाँव के 55 वर्षीय किसान, मालानी सेनेहेलथा भी इस परियोजना का हिस्सा हैं. उन्होंने बताया, "जब मैंने प्रशिक्षण में भाग लिया, तो मुझे अहसास हुआ कि मैं बड़े प्याज़ बोने की सही विधि का पालन नहीं कर रहा था. बीज उत्पादन प्रशिक्षण के बाद, अब मुझे भरोसा है कि मैं अपनी प्याज़ की खेती को लाभदायक बना सकूँगा. मुझे प्रदान किए गए वर्षा आश्रय से भी बहुत मदद मिली है."
इस परियोजना ने 92 महिला और पुरुष किसानों के साथ काम किया और चार ज़िलों, जाफ़ना, किलिनोच्ची, अनुराधापुरा और कैंडी में सत्रह वर्षा आश्रय और पाँच पॉलीटनल स्थापित किए.
श्रीलंका का कृषि विभाग, अधिक किसानों को नवीन तकनीकें अपनाने के लिए प्रशिक्षित करने के लिए, परियोजना द्वारा समर्थित खेतों को प्रदर्शन स्थलों के रूप में भी उपयोग कर रहा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि एफ़एओ द्वारा प्रदान ज्ञान कौशल एवं नवीन उपाय, परियोजना के बाद भी जारी रहें.
एफ़एओ, किसानों को ज्ञान कौशल से सशक्त बनाकर और आवश्यक उपकरणों से लैस करके, टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देते हुए श्रीलंका में सब्ज़ियों की फ़सलों की उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. साथ ही, उत्पादक सामग्री की उच्च दक्षता और कम परिचालन लागत के ज़रिए, उपज बढ़ाने के लिए प्रयासरत है.
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