वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

श्रीलंका

श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो की एक व्यस्त सड़क.
UN Sri Lanka

श्रीलंका: आतंकवाद व ऑनलाइन सुरक्षा सम्बन्धी विधेयकों के प्रावधानों पर गहरी चिन्ता

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने श्रीलंका में आतकंवाद और ऑनलाइन सुरक्षा के मुद्दे पर संसद में चर्चा के लिए लाए गए दो विधेयकों पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है, और उनमें संशोधन करके, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के अनुरूप बनाए जाने का आग्रह किया है.

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमेसिंघे ने यूएन महासभा के 78वें सत्र के दौरान वार्षिक जनरल डिबेट को सम्बोधित किया.
UN Photo/Cia Pak

श्रीलंका: आपसी मतभेदों को दरकिनार करके, एकजुटता के साथ साझा चुनौतियों का सामना करना होगा

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमेसिंघे ने कहा है कि दुनिया एक बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है, जिसके मद्देनज़र हमारा भविष्य, आपसी मतभेदों को दूर रखकर और एक साथ मिलकर जलवायु व विकास चुनौतियों के समाधानों पर ध्यान केन्द्रित करने की हमारी क्षमता पर निर्भर करता है.

जुलाई 2022 में आर्थिक संकट के दौरान, एक पेट्रोल स्टेशन पर ऑटोरिक्शा वाहनों की लम्बी क़तार.
© UNICEF/Weerasinghe

श्रीलंका: 2019 में हुए विस्फोटों और मानवाधिकार हनन मामलों की जाँच की मांग

मानवाधिकार मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र उपप्रमुख नाडा अल-नशीफ़ ने कहा है कि पिछले वर्ष श्रीलंका में बदलाव की मांग के साथ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, लेकिन उसके बावजूद देश में राजनैतिक और लोकतांत्रिक सुधारों को जगह नहीं मिली है.

श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो का एक दृश्य.
Unsplash/Jalitha Hewage

श्रीलंका: बेहतर भविष्य के लिए, जवाबदेही सुनिश्चित किए जाने पर ज़ोर

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) के अनुसार, श्रीलंका में, युद्ध अपराधों, हाल के समय में अंजाम दिए गए मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों, भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से जुड़े मामलों में जवाबदेही सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया है. यूएन कार्यालय ने बुधवार को प्रकाशित अपनी एक नई रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि देश को आगे बढ़ाने के लिए इस खाई को पाटा जाना ज़रूरी है. 

आईएलओ की परियोजना के तहत, आर्थिक संकट के दौर में, मछुआरा समुदाय के लोगों को आमदनी के विकल्प प्रदान किए जा रहे हैं.
ILO Colombo

श्रीलंका: संकटों से जूझ रहे मछुआरों के लिए, आय के विकल्प प्रदान करने की मुहिम

श्रीलंका, गम्भीर आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहा हैजिसका स्थानीय मछुआरों की आजीविका पर भीषण असर हुआ है. इस पृष्ठभूमि में, अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की एक परियोजना के ज़रिए, देश के उत्तरी प्रान्त के मछुआरों को मत्स्य पालन स्थलों और समुद्र तक पहुँचने के रास्तों पर रखरखाव कार्य पूरा करने के लिए रोज़गार दिया जा रहा है. इससे उन्हें आमदनी का स्रोत तो मिल ही रहा है, साथ ही क्षेत्र की कायापलट भी हो रही है.

दक्षिण एशिया के लिए यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय सदभावना दूत सचिन तेन्दुलकर, श्रीलंका की यात्रा के दौरान (अगस्त 2023)
© UNICEF/UNICEF Sri Lanka

‘मास्टर ब्लास्टर’ सचिन तेन्दुलकर ने की, बाल शिक्षा व पोषण की ज़ोरदार हिमायत

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के दक्षिण-एशिया क्षेत्र के लिए सदभावना दूत और दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ी रहे सचिन तेन्दुलकर ने बच्चों का चौतरफ़ा विकास सुनिश्चित करने के लिए, बच्चों की शिक्षा व पोषण कार्यक्रमों में और ज़्यादा संसाधन निवेश की पुकार लगाई है.

श्रीलंका के उत्तर में प्याज़ की खेती करने वाले किसान रथनायके, कम पैदावार के कारण कृषि छोड़ने पर विचार कर रहे थे.
© FAO/Ravindra Rohana

श्रीलंका: नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों के ज़रिए किसानों का आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ़एओ), श्रीलंका के उत्तरी इलाक़ों में बेहतर वर्षा प्रबन्धन और उन्नत बीज खेती के जरिए, फ़सलों की उपज बढ़ाने में मदद कर रहा है, जिससे क्षेत्र के किसानों को बेहतर पैदावार के साथ अधिक मुनाफ़ा प्राप्त हो रहा है.

श्रीलंका में यूनीसेफ़ द्वारा संचालित प्री-प्राइमरी स्कूल आहार कार्यक्रमों से, बच्चों की शिक्षा और पोषण जारी रखने में मदद मिल रही है.
UNICEF/UN0801937

श्रीलंका: सीखने के लिए तत्पर, नन्हा विष्णु!

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष - UNICEF, श्रीलंका में व्याप्त आर्थिक संकट के बीच, देश की सरकार के साथ मिलकर, प्री-स्कूल भोजन कार्यक्रम के ज़रिए छोटे बच्चों की शिक्षा और पोषण तक निरन्तर पहुँच सुनिश्चित कर रहा है.

श्रीलंका में धान के खेतों में काम करते किसान.
© FAO/Prakash Singh

श्रीलंका - पानी की कमी दूर करने के लिए FAO का डिजिटल मंच

जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली पानी की कमी को दूर करने के लिए, श्रीलंका के किसान, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा विकसित किए गए, डिजिटल मंच का उपयोग कर रहे हैं.

रोहिंज्या लोगों को ले जाने वाली एक नाव अंडमान समुद्र को पार करके, 8 जनवरी को इंडोनेशिया के आचे पहुँचीं जहाँ वो लोग उतर सके.
© UNHCR/Kenzie Eagan

UNHCR: घातक नौका यात्राओं में झलकती है रोहिंज्या लोगों की हताशा

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी – UNHCR ने मंगलवार को कहा है कि वर्ष 2022 के दौरान रोहिंज्या लोगों द्वारा अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी पार करने के लिए, अपनी जान जोखिम में डालकर की गईं नौका यात्राओं में त्वरित बढ़ोत्तरी, उनकी बढ़ती हताशा को दिखाती है.