श्रीलंका: ख़राब कृषि उत्पादन और बढ़ती क़ीमतों के कारण, खाद्य सुरक्षा पर संकट

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने सोमवार को प्रकाशित अपनी एक नई रिपोर्ट में आगाह किया है कि श्रीलंका में 63 लाख लोग, मध्यम से गम्भीर स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. जीवनरक्षक सहायता और आजीविका सम्बन्धी समर्थन के अभाव में हालात के बद से बदतर होने की आशंका व्यक्त की गई है.
फ़सल एवं खाद्य सुरक्षा आकलन मिशन के लिये यूएन के साझा मिशन के अनुसार, लगातार दो मौसम में ख़राब कृषि पैदावार हुई है और उत्पादन में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.
विदेशी विनिमय अवरोधों के कारण खाद्य वस्तुओं व अनाज के निर्यात में भी कमी आई है, जिससे स्थानीय लोगों को विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है.
🔴 Sri Lanka: 6.3 million people (30% of the population) are facing moderate to severe acute food insecurity and their situation is expected to worsen if adequate life-saving assistance and livelihood support is not provided - @FAO @WFP warn.https://t.co/kLYzRpt6ZP
FAOnews
रिपोर्ट बताती है कि तत्काल खाद्य सहायता व आजीविका कार्यक्रमों के ज़रिये ज़रूरतमन्द घर-परिवारों को पोषक आहार मुहैया कराए जाने की आवश्यकता होगी.
सहायता के अभाव में, खाद्य असुरक्षा के कारण और अधिक गम्भीर होने की आशंका है, विशेष रूप से अक्टूबर 2022 और फ़रवरी 2023 के दौरान बुआई व पैदावार की अवधि में.
श्रीलंका में चावल समेत अन्य मुख्य फ़सलों की पैदावार कम हुई है और आर्थिक संकट के कारण अतिरिक्त चुनौतियाँ उपजी हैं.
श्रीलंका में यूएन खाद्य एवं कृषि संगठन के प्रतिनिधि विमलेन्द्र शरण ने बताया कि, “खाद्य सुरक्षा की स्थिति और अधिक बिगड़ने से रोकने और कृषि उत्पादन की बहाली के लिये, लघु किसानों पर लक्षित आजीविका सहायता एक प्राथमिकता बनी रहनी चाहिये.”
उनके अनुसार देश में 30 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है, और इसलिये किसानों की उत्पादन क्षमता में सुधार लाने से कृषि सैक्टर की क्षमता मज़बूत होगी, आयात आवश्यकताएँ कम होंगी और भूख की मार झेल रहे लोगों की संख्या में कमी आएगी.
श्रीलंका में सरकार के अनुरोध पर यूएन मिशन ने जून और जुलाई महीने में देश के 25 ज़िलों का दौरा करके, और 2022 में कृषि उत्पादन के स्तर और परिवारों में खाद्य सुरक्षा की परिस्थितियों का विश्लेषण किया.
श्रीलंका में गम्भीर आर्थिक संकट के कारण भोजन, कृषि के लिये ज़रूरी सामग्री, ईंधन व दवाओं की क़ीमतों में भारी उछाल आया है और क़िल्लत भी बढ़ी है.
श्रीलंका की मुख्य फ़सल, धान की पैदावार वर्ष 2022 में 30 लाख मीट्रिक टन होने की सम्भावना है, जोकि 2017 के बाद का सबसे कम स्तर है.
इसकी वजह कम मात्रा में उर्वरक का इस्तेमाल किया जाना बताई गई है.
साथ ही, सब्ज़ियों, फलों और निर्यात की जाने वाली फ़सलों, जैसेकि चाय, रबर, नारियल और मसालों का उत्पादन भी औसत से कम होने की सम्भावना है.
इससे परिवारों की आय कम होगी और निर्यात राजस्व पर भी असर पड़ेगा.
वर्ष 2021 की अन्तिम तिमाही से लेकर अधिकांश खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है और अगस्त 2022 में ये अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गए हैं.
साल-दर-साल खाद्य मुद्रास्फीति को क़रीब 94 प्रतिशत आँका गया है.
यूएन विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के श्रीलंका में देशीय निदेशक अब्दुर रहीम सिद्दीक़ी ने कहा कि महीनों से आर्थिक संकट को झेल रहे श्रीलंकाई परिवारों के सामने विकल्प ख़त्म होते जा रहे हैं.
यह ऐसे समय में हो रहा है जब वित्तीय सीमितताओं के कारण सरकार को, स्कूली आहार समेत अपने पोषण कार्यक्रमों में कटौती करनी पड़ी है.
यूएन एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “WFP की शीर्ष प्राथमिकता सर्वाधिक जोखिम झेल रहे समुदायों को, तत्काल भोजन व पोषण सहायता प्रदान करना है, ताकि उनके पोषण हालात को और अधिक बिगड़ने से रोका जा सके.”
यूएन मिशन ने अपनी रिपोर्ट में कुछ सिफ़ारिशें भी जारी की है जिसके तहत निर्बल व हाशिये पर धकेल दिये गए समुदायों को भोजन या नक़दी-आधारित सहायता मुहैया कराए जाने की बात कही गई है.
इस क्रम में, गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं, महिला मुखिया वाले परिवारों और विकलांगजन की खाद्य व पोषण ज़रूरतों का विशेष रूप से ध्यान रखने का आग्रह किया गया है.
रिपोर्ट में उर्वरक समेत कृषि सामग्री का तत्काल प्रबन्ध करने, और बुआई, पैदावार, परिवहन व फ़सलों के प्रसंस्करण के लिये पर्याप्त मात्रा में ईंधन मुहैया कराए जाने पर बल दिया गया है.
इसके समानान्तर, वित्तीय तंगी के कारण जिन राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रमों में अवरोध पैदा हुआ था, उन्हें फिर से शुरू करने को भी प्राथमिकता के तौर पर लिया जाना होगा.