वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

‘विषैली और विध्वंसकारी’ हेट स्पीच पर लगाम कसने के लिए, समन्वित प्रयास ज़रूरी

यूनेस्को का कहना है कि नफ़रत भरी भाषा और सन्देश, दुनिया भर में फैलाव पर हैं.
Unsplash/Jon Tyson
यूनेस्को का कहना है कि नफ़रत भरी भाषा और सन्देश, दुनिया भर में फैलाव पर हैं.

‘विषैली और विध्वंसकारी’ हेट स्पीच पर लगाम कसने के लिए, समन्वित प्रयास ज़रूरी

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र ने सोशल मीडिया माध्यमों पर तेज़ रफ़्तार से फैलती नफ़रत और भड़काऊ व विभाजनकारी शब्दों से लोगों को उकसाए जाने की बढ़ती चुनौती पर चिन्ता जताते हुए, नफ़रत भरे सन्देश व भाषण (हेट स्पीच) से मुक़ाबले के लिए समन्वित वैश्विक प्रयासों का आहवान किया है.

यूएन के अनुसार हेट स्पीच से भेदभाव और कलंकित किए जाने को बल मिलता है और यह अक्सर महिलाओं, शरणार्थियों व प्रवासियों, और अल्पसंख्यकों पर लक्षित होता है. 

संयुक्त राष्ट्र ने चिन्ता जताई है कि यदि इसे रोका नहीं गया तो शान्ति व विकास को नुक़सान होगा, चूँकि यह टकरावों और तनावों के साथ-साथ व्यापक स्तर पर मानवाधिकार हनन के लिए ज़मीन तैयार करता है.

Tweet URL

यूएन ने 18 जून को, ‘हेट स्पीच से मुक़ाबले के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ के अवसर पर नफ़रत की इस उफ़नती लहर का रुख़ मोड़ने के लिए एक अधिक सम्मानजनक व सभ्य जगत के निर्माण में सर्वजन से योगदान देने की पुकार लगाई है.

साथ ही, इस विषाक्त और विध्वंसकारी रुझान पर विराम लगाने के लिए कारगर कार्रवाई पर बल दिया गया है.

स्वतंत्र अभिव्यक्ति की रक्षा भी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने हेट स्पीट से निपटने के लिए पथ से भटके हुए और अस्पष्ट क़दम उठाने में निहित जोखिमों के प्रति भी आगाह किया है, जैसेकि पूरी तरह से पाबन्दी लगाना और इंटरनैट ठप कर देना. 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि अपनी बात कहने और स्वयं को अभिव्यक्त करने की आज़ादी पर पाबन्दी लगाने वाले ऐसे क़दमों से मानवाधिकारों का हनन होगा. 

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के प्रमुख वोल्कर टर्क ने कहा कि हेट स्पीच सम्बन्धी क़ानूनों का इस्तेमाल पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के विरुद्ध किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह रुझान हेट स्पीच के फैलने जितना ही चिन्ताजनक है.

यूएन कार्यालय के शीर्ष अधिकारी ने इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर अपने सन्देश में कहा कि क़ानूनों का दायरा विस्तृत व अस्पष्ट रखने से देशों को असहज लगने वाली बातों पर भी लगाम कसने का अधिकार मिल जाता है.

इससे अधिकारों का हनन होता है, सार्वजनिक विमर्श के लिए जोखिम उपजता है, और सरकारी नीतियों पर सवाल करने वाले या अधिकारियों की आलोचना करने वाले लोगों को धमकी दी जाती है या फिर उन्हें हिरासत में ले लिया जाता है. 

इसके मद्देनज़र, वोल्कर टर्क ने कहा कि इसके आपराधिकरण की बजाय, देशों व कम्पनियों को नफ़रत व हिंसा भड़काने वाले सन्देशों से मुक़ाबले के लिए क़दम उठाने की आवश्यकता है. 

अमेरिका में प्रदर्शनकारी बढ़ती नफ़रत के विरोध में सड़कों पर उतरे हैं.
© Unsplash/Jason Leung

जागरूकता प्रसार पर बल

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि हेट स्पीच की चुनौती के समक्ष, दुनिया शक्तिहीन नहीं है, और यह ज़रूरी है कि इसके ख़तरों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए और इसके सभी रूपों की रोकथाम व अन्त करने की दिशा में प्रयास किए जाएं. 

उन्होंने हेट स्पीच पर संयुक्त राष्ट्र की रणनीति व कार्ययोजना का उल्लेख किया, जोकि हेट स्पीच की वजहों और उससे होने वाले असर से निपटने के सिलसिले में एक व्यापक फ़्रेमवर्क प्रदान करती है. 

यूएन प्रमुख ने कहा कि विश्व भर में संगठन के कार्यालय और टीमें, स्थानीय स्तर पर इस रणनीति के अनुरूप अपनी योजनाओं को अमल में ला रही हैं. 

इसके समानान्तर, संयुक्त राष्ट्र देशों की सरकारों, टैक्नॉलॉजी कम्पनियों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर डिजिटल मंचों पर सूचना सत्यनिष्ठा (Information Integrity) के लिए एक स्वैच्छिक आचरण संहिता तैयार कर रहा है. 

यह ग़लत जानकारी, दुस्सूचना और हेट स्पीच के फैलाव में कमी लाने पर लक्षित होगी, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी.   

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने विविध प्रकार के उपायों पर बल दिया है, जिनमें शिक्षा पहल से लेकर डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों में निवेश, कम्पनियों को मानवाधिकार दायित्वों का निर्वहन करने के लिए प्रेरित करना है.