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विश्व महासागर दिवस: 'जीवन के आधार' के संरक्षण पर ज़ोर

फ़ीजी में समुद्री सौन्दर्य का एक दृश्य.
© Unsplash/Alec Douglas
फ़ीजी में समुद्री सौन्दर्य का एक दृश्य.

विश्व महासागर दिवस: 'जीवन के आधार' के संरक्षण पर ज़ोर

जलवायु और पर्यावरण

वैश्विक स्तर पर एक तिहाई से अधिक मत्स्य-पालन ग़ैर-टिकाऊ तरीक़े से किया जा रहा है - मानव गतिविधियों से महासागर को हानि पहुँचने का यह केवल एक उदाहरण है. ग़ौरतलब है कि महासागर, पृथ्वी की लगभग 70 प्रतिशत सतह पर फैला हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को विश्व महासागर दिवस के अवसर पर एक सन्देश में, महासागरों की रक्षा के लिए अधिक कार्रवाई करने का आहवान किया है.

उन्होंने कहा, “महासागर जीवन का आधार है. जिस हवा में हम साँस लेते हैं और जो भोजन हम खाते हैं, यह उन सबकी आपूर्ति करता है. यह हमारे जलवायु और मौसम को नियंत्रित करता है. महासागर में हमारे ग्रह की जैव विविधता का सबसे बड़ा भंडार पाया जाता है. “

‘सबसे बदतर दुश्मन'

इन लाभों के अलावा, महासागरों से प्राप्त संसाधन, दुनिया भर में समुदायों, समृद्धि और मानव स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं.

दुनिया भर में, एक अरब से अधिक लोग, प्रोटीन के मुख्य स्रोत के रूप में मछली पर निर्भर हैं.

उन्होंने उपलब्ध साक्ष्यों की ओर इशारा करते हुए कहा, “हमें महासागर का सबसे अच्छा मित्र होना चाहिए. लेकिन इस समय, मानव ही इसके सबसे बदतर शत्रु हैं.” 

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन, हमारे ग्रह का तापमान बढ़ा रहा है, मौसम के रूपों व समुद्री लहरों को बाधित कर रहा है, और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र एवं वहाँ बसने वाली प्रजातियों का स्वरूप बदल रहा है. 

अत्यधिक मछली पकड़ने, अत्यधिक दोहन और समुद्र के अम्लीकरण से समुद्री जैव विविधता पर हमला हो रहा है. मछली का एक तिहाई से अधिक भंडार, अस्थिर स्तरों पर निकाला जा रहा है. और हम अपने तटीय जल को रसायनों, प्लास्टिक और मानव अपशिष्ट से प्रदूषित कर रहे हैं. 

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश, कैबो वर्डे में मिन्डेलो में महासागर दौड़ शिखर बैठक के दौरान प्रधानमंत्री खोसे उलिस्सेस कोर्रिया ई सिल्वा के साथ.
UN Photo/Mark Garten

लहरों का रुख़ बदल रहा है

उन्होंने कहा, "लेकिन इस साल का विश्व महासागरीय दिवस हमें याद दिलाता है कि लहरों का रुख़ बदल रहा है."

महासचिव ने याद दिलाया कि वर्ष 2022 में, देशों ने 2030 तक 30 प्रतिशत भूमि और समुद्री व तटीय क्षेत्रों के संरक्षण एवं प्रबन्धन के लिए, एक महत्वाकांक्षी वैश्विक लक्ष्य अपनाया था.

साथ ही, साल 2022 में, मत्स्य पालन अनुदान पर एक ऐतिहासिक समझौता भी हुआ और लिस्बन में संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में, दुनिया अधिक सकारात्मक महासागर कार्रवाई पर ज़ोर देने पर सहमत हुई. 

वादे पूरे करें

फ़िलहाल, प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक वैश्विक, क़ानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते पर बातचीत चल रही है. और मार्च में देश, राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर के क्षेत्रों में समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग पर ऐतिहासिक उच्च समुद्र सन्धि पर सहमत हुए.  

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “इन कार्यक्रमों में निहित महान वादों को साकार करने के लिए, सामूहिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है.”

उन्होंने कहा, “इस विश्व महासागरीय दिवस पर, आइए कार्रवाई को आगे बढ़ाते रहें. आज और हर एक दिन, आइए, महासागर को सबसे अधिक अहमियत दें.” 

एफ़एओ:खाद्य सुरक्षा के लिए अहम

कोई भी ऐसी वैश्विक समस्या नहीं है, जिसका समाधान समुद्र को ध्यान में रखे बिना किया जा सकता हो. फिर चाहे वो जलवायु परिवर्तन की समस्या हो, खाद्य सुरक्षा सम्बन्धित, या फिर ग़रीबी की.

गुरूवार को विश्व महासागर दिवस के अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफ़एओ) ने भी यही सन्देश दिया है.

महासागर, दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोगों के लिए प्रोटीन का मुख्य स्रोत है, और बढ़ती वैश्विक आबादी के भोजन के लिए कई प्रकार की सामग्री उपलब्ध कराता है.

एफ़एओ के मात्स्यिकी और जलीय कृषि नीति व संसाधनों के निदेशक, मैनुएल बरांजे ने जलीय कृषि में तेज़ी से हो रहे विकास – विशेषकर मछली एवं जलीय पौधों की खेती पर प्रकाश डाला:

उन्होंने कहा, "जलीय कृषि, पिछले पाँच दशकों में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली खाद्य उत्पादन प्रणाली रही है. तीन या चार दशक पहले लगभग शून्य से बढ़कर इसका उत्पादन, वर्तमान में मत्स्य पालन के समान हो गया है."

"हम उम्मीद करते हैं कि अब से लेकर इस दशक के अन्त तक, जलीय कृषि में लगभग 25 प्रतिशत बढ़ोत्तरी देखी जाएगी."

एफ़एओ ने Blue Transformation Initiative  नामक एक पहल का नेतृत्व किया है, जिसके तहत भुखमरी व कुपोषण के हल हेतु, जलीय खाद्य पदार्थों को बढ़ावा दिया जाता है.

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मत्स्य पालन, प्रभावी एवं स्थाई तरीक़े से प्रबन्धित किया जाए, और उपभोक्ता के लिए जलीय खाद्य पदार्थों की मूल्य श्रृंखला में पारदर्शिता हो.

यूएन एजेंसी का कहना है कि लगभग 60 करोड़ लोग अपनी आजीविका के लिए, मत्स्य पालन और जलीय कृषि पर निर्भर हैं.