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माँ पृथ्वी दिवस पर, जैव विविधता और पारिस्थितिकी संरक्षण की ज़रूरत रेखांकित

श्रीलंका में किसी स्थान पर कुछ लड़कियाँ, अपनी दैनिक स्कूली पढ़ाई ख़त्म होने के बाद, समुद्र किनारे का आनन्द उठाते हुए.
UNICEF/Tom Pietrasik
श्रीलंका में किसी स्थान पर कुछ लड़कियाँ, अपनी दैनिक स्कूली पढ़ाई ख़त्म होने के बाद, समुद्र किनारे का आनन्द उठाते हुए.

माँ पृथ्वी दिवस पर, जैव विविधता और पारिस्थितिकी संरक्षण की ज़रूरत रेखांकित

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने शुक्रवार को अन्तरराष्ट्रीय माँ पृथ्वी दिवस के अवसर पर, जैव विविधता की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने और पारिस्थितिकी के संरक्षण का आहवान किया है.

प्रकृति तकलीफ़ में है. समुद्र प्लास्टिक से भर गए हैं और तेज़ाबी पदार्थों में तब्दील हो रहे हैं; अत्यन्त गर्मी, जंगली आगों और बाढ़ों ने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया है; और हम अब भी कोविड-19 का सामना कर रहे हैं - एक ऐसी विश्व व्यापी महामारी जो पारिस्थितिकी के स्वास्थ्य के साथ जुड़ी है.

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यूएन महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने प्रकृति के साथ तालमेल विषय पर आयोजित एक सम्वाद में कहा, “हम अपने ही घर पर तबाही बरसा रहे हैं – जबकि हमारे पास यही एक मात्र घर है, जो हम सभी का घर है.”

उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को अपने ग़ैर-ज़िम्मेदार बर्ताव की ज़िम्मेदारी स्वीकार करने के लिये प्रोत्साहित करते हुए कहा कि विज्ञान ने दिखा दिया है कि विश्व की पारिस्थितिकी व्यवस्था में, हमारी लगातार लापरवाह घुसपैठ ने, जैवविविधता को नुक़सान पहुँचाया है और मानव स्वास्थ्य व रहन-सहन को ही जोखिम में डाल दिया है.

हरित की ओर

अब्दुल्ला शाहिद ने इस वर्ष की थीम – प्रकृति और जैव विविधता के साथ सदभाव: पारिस्थितिकी अर्थशास्त्र और पृथ्वी केन्द्रित क़ानून का सन्दर्भ देते हुए, हरित अर्थव्यवस्थाओं की तरफ़ रुख़ करने का आहवान किया.

उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा, “आइये, हम ऐसी शिक्षा, टैक्नॉलॉजी अपनाएँ और ऐसा विज्ञान जो हर किसी के लिये एक स्वस्थ ग्रह की हिफ़ाज़त करने में मदद करे.”

वरिष्ठ यूएन अधिकारी ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को कोविड-19 महामारी से टिकाऊ तरीक़े से उबरने के लिये, जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के उपकरणों और लक्ष्यों; और 2030 टिकाऊ विकास एजेण्डा को ब्लूप्रिण्ट्स के रूप में अपनाना होगा.

पृथ्वी माँ दिवस

ये प्रथम माँ पृथ्वी दिवस है जो संयुक्त राष्ट्र के पारिस्थितिकी बहाली दशक के तहत मनाया जा रहा है. इस परिचर्चा में शिरकत करने वालों ने कहा कि पारिस्थितिकियाँ पृथ्वी पर तमाम तरह के जीवन को सहारा देती है. हमारी पारिस्थितिकी प्रणालियाँ जितनी स्वस्थ होंगी, उतना ही स्वस्थ हमारा ग्रह और उस पर रहने वाले लोगों का जीवन भी होगा.

हमारी क्षतिग्रस्त पारिस्थितिकी प्रणालियों को बहाल करने से निर्धनता का ख़ात्मा करने, जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने और महाविलुप्तिकरण रोकने में मदद मिलेगी. मगर हम तभी सफल होंगे जब सभी इसमें अपनी भूमिका अदा निभाएँ.

इस अन्तरराष्ट्रीय माँ पृथ्वी दिवस पर संयुक्त राष्ट्र सभी को याद दिलाता है कि हम सभी को ऐसी ज़्यादा टिकाऊ अर्थव्यवस्था की तरफ़ रुख़ करना होगा जो मानव और ग्रह दोनों के लिये सदुपयोगी हो.

इसलिये हम सभी को अपनी दुनिया की पुनर्बहाली के लिये, प्रकृति व पृथ्वी के साथ तालमेल को बढ़ावा देना होगा.