वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

जैवविविधता और प्रकृति संरक्षण के लिये तात्कालिक कार्रवाई का आहवान

वन्यजीवन के दोहन के कारण पशुओं की अनेक प्रजातियों के विलुप्त होने की गति चिन्ताजनक है.
UN Photo/John Isaac
वन्यजीवन के दोहन के कारण पशुओं की अनेक प्रजातियों के विलुप्त होने की गति चिन्ताजनक है.

जैवविविधता और प्रकृति संरक्षण के लिये तात्कालिक कार्रवाई का आहवान

एसडीजी

पर्यावरण जगत के संरक्षण के लिये प्रयासों में जुटे संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने इस सप्ताह हो रही एक महत्वपूर्ण जैवविविधता शिखर वार्ता से ठीक पहले तात्कालिक कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया है. इस बैठक में विश्व नेताओं द्वारा पर्यावरण संरक्षा के लिये अपने संकल्पों को मज़बूती दिये जाने की उम्मीद है. 

‘जैविक विविधता पर सन्धि’ (Convention on Biological Diversity) की कार्यकारी सचिव एलिज़ाबेथ मरेमा ने यूएन न्यूज़ को बताया, “हमारे पास इन्तज़ार करने के लिये समय नहीं है. जैवविविधता को नुक़सान और प्रकृति को हानि मानव जगत के इतिहास में अभूतपूर्व स्तर पर है.”

Tweet URL

“हम वैश्विक इतिहास में सबसे ख़तरनाक प्रजाति हैं.”

‘जैविक विविधता पर सन्धि’ एक अन्तरराष्ट्रीय समझौता है जिस पर ब्राज़ील में वर्ष 1992 में हुई संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी शिखर बैठक (Earth summit) में सहमति बनी थी. 

इस सन्धि के तीन प्रमुख लक्ष्य हैं: जैविक विविधता का संरक्षण; प्रकृति का टिकाऊ उपयोग; और आनुवांशिकी विज्ञान से मिलने वाले लाभों का निष्पक्ष व न्यायोचित ढँग से वितरण.

जैवविविधता लक्ष्य

इस सन्धि के अन्तर्गत वर्ष 2010 में सदस्य देशों में ‘Aichi Biodiversity Targets’ पर सहमति बनी थी जोकि जैवविविधता संरक्षण के लिये 20 उद्देश्यों का समूह है.

ये उद्देश्य वर्ष 2020 तक वनों की कटाई की रफ़्तार घटाने से लेकर प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों को समेटे हैं. जैवविविधता के इन उद्देश्यों को पूरा करना जलवायु परिवर्तन के लिये पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने जितना ही अहम है. 

इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिये देशों के पास इस वर्ष तक का समय था, और वर्ष 2020 के बाद की योजना एक नए वैश्विक जैवविविधता फ़्रेमवर्क को तैयार करने की थी. 

लेकिन कुछ प्रगति होने के बावजूद ये उद्देश्य हासिल नहीं किये जा सके हैं. 

“अगर आप स्कोरकार्ड को एक स्कूल रिपोर्ट के तौर पर देखें, तो उच्चतम प्रगति भी 30 फ़ीसदी से कम हुई है.”

कार्यकारी सचिव एलिज़ाबेथ मरेमा ने कहा कि दस वर्षों में 20 में से एक भी लक्ष्य पूर्ण रूप से हासिल नहीं किया जा सकेगा – यानि हम विफल साबित हुए हैं.

इस सिलसिले में अब एक नया फ़्रेमवर्क तैयार करने के लिये विचार-विमर्श हो रहा है जिसे इन ‘विफलताओं’ के आधार पर तैयार किया जाएगा.

लेकिन यह दस्तावेज़ अभी अपने शुरुआती चरण में हैं जिसे वर्ष 2021 में चीन में होने वाले जैवविविधता सन्धि के 15वें सम्मेलन में पारित किये जाने के लिये तैयार करना होगा. 

कार्रवाई की ज़रूरत 'अभी'

कार्यकारी सचिव ने स्पष्ट किया कि काम एकदम नए सिरे से शुरू करने की ज़रूरत नहीं है, इसलिये उपाय तत्काल लागू किये जा सकते हैं.  

नए फ़्रेमवर्क में टैक्नॉलॉजी हस्तान्तरण और क्षमता निर्माण सहित अन्य संसाधनों शामिल किये जाएँगे जिन्हें पहले की कार्ययोजना में प्राथमिकता नहीं समझा गया था. 

ये भी पढ़ें - जैवविविधता ख़तरे में, 10 लाख प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर

इन्हीं प्रयासों में स्फूर्ति लाने और प्रकृति के साथ सम्बन्ध को नए सिरे से स्थापित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार, 30 सितम्बर, को इस शिखर बैठक का आयोजन हो रहा है.

इस बैठक में विश्व नेता 2020 उपरान्त (Post-2020) के सन्दर्भ में प्रकृति संरक्षा के लिये अपने देशों की रणनीतियाँ प्रस्तुत करेंगे. 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की प्रमुख इन्गेर एण्डरसन ने कहा, “वो ये नहीं कहेंगे कि हम विनाश के पथ पर आगे बढ़ना जारी रखेंगे. वो कहेंगे कि हम टिकाऊशीलता के मार्ग पर बढ़ेंगे.” 

यूएन पर्यावरण कार्यक्रम की प्रमुख इन्गेर एण्डरसन और जैविक विविधता सन्धि की प्रमुख एलिज़ाबेथ मरेमा ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर चर्चा के लिये आयोजित एसडीजी मीडिया ज़ोन में एक परिचर्चा में शिरकत के दौरान ये बातें कही हैं.