प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति के लिए, विश्व एकता की दरकार

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार, 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर अपने सन्देश में, प्लास्टिक कूड़े-कचरे (अपशिष्ट) के त्रासद परिणामों से छुटकारा पाने की महत्ता पर ज़ोर दिया है. उनका ये सन्देश इस सन्दर्भ में और भी ज़्यादा अहम है कि अन्तरराष्ट्रीय वार्ताकार, प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति पर, नवम्बर 2023 तक एक सन्धि का मसौदा तैयार करने के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं.
एंतोनियो गुटेरश ने कहा है, “हर वर्ष, दुनिया भर में 40 करोड़ टन से भी ज़्यादा प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसमें से लगभग एक तिहाई प्लास्टिक का प्रयोग केवल एक बार होता है.”
उनका कहना है, “प्लास्टिक कचरे की लगभग 2,000 भरे हुए ट्रकों के बराबर मात्रा, हर दिन समुद्रों, नदियों और झीलों में फेंक दी जाती है.”
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि प्लास्टिक के महीन कण, उन खाद्य पदार्थों तक पहुँच रहे हैं जो हम खाते हैं, उस पानी में भी, जो हम पीते हैं, और यहाँ तक कि उस हवा में भी, जिसमें हम साँस लेते हैं.
उन्होंने कहा, “प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन से बनता है – हम जितना अधिक प्लास्टिक बनाते हैं, उतना ही ज़्यादा जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, और इस तरह हम जलवायु संकट को और भी बदतर बनाते हैं.”
मगर समाधान हमारे हाथों में हैं: इनमें क़ानूनी रूप से बाध्य वो समझौता भी शामिल है, जो 130 से ज़्यादा देशों की शिरकत से, पाँच दिन के विचार-विमर्श के बाद, पिछले सप्ताह तैयार किया गया है.
उन्होंने कहा कि यह पहला अहम क़दम है, मगर हमें सभी के सहयोग की आवश्यकता है.
उन्होंने इस सन्दर्भ में ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि अगर पूरी मानवता, प्लास्टिक के पुनः प्रयोग, री-सायकिल करने और प्लास्टिक से दूर रहने के लिए अभी से कार्रवाई करनी शुरू करे तो, प्लास्टिक प्रदूषण में, वर्ष 2040 तक, 80 प्रतिशत तक की अदभुत कमी की जा सकती है.
यूएन महासचिव ने कहा, “हमें एकजुटता के साथ काम करना होगा – देशों की सरकारों, कम्पनियों और उपभोक्ताओं, सभी को एक साथ मिलकर – प्लास्टिक प्रयोग के लिए हमारी लत को ख़त्म करके, शून्य अपशिष्ट को बढ़ावा देकर, और सही मायनों में एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था का निर्माण करके.”
“एक साथ मिलकर, आइए, हम सर्वजन के लिए, एक स्वच्छ, स्वस्थ, और अधिक टिकाऊ भविष्य को आकार दें.”
प्लास्टिक से होने वाले नुक़सान के दायरे के बारे में उपलब्ध आँकड़े बहुत चौंकाने वाले हैं: हर साल दुनिया भर में 40 करोड़ टन से ज़्यादा प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसमें से लगभग आधी मात्रा यानि 20 करोड़ टन प्लास्टिक का प्रयोग, केवल एक बार होता है. संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के अनुसार, कुल प्लास्टिक में से केवल, 10 प्रतिशत मात्रा री-सायकिल होती यानि उसका पुनःप्रयोग होता है.
प्लास्टिक के बारीक-महीन कण, हर उस चीज़ में पहुँच रहे हैं जो हम खाते हैं और जिसमें हम साँस लेते हैं.
ऐसा अनुमान है कि इस पृथ्वी पर मौजूद हर एक व्यक्ति औसतन हर साल 50 हज़ार से ज़्यादा प्लास्टिक कणों का उपभोग करता है, और अगर इसमें साँसों के ज़रिए हमारे भीतर पहुँचने वाले कणों को भी शामिल कर लिया जाए, तो इनकी संख्या और भी बढ़ जाती है.
कूड़े-कचरे में फेंक दिया गया या एकल प्रयोग के बाद जला दिया गया प्लास्टिक, मानव स्वास्थ्य और जैव-विविधता को हानि पहुँचाता है, और पर्वतों के शीर्ष स्थलों से लेकर समुद्रों की तलहटी तक, सभी को प्रभावित करता है.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि इस समस्या से निपटने के लिए उपलब्ध विज्ञान और समाधानों के मद्देनज़र, देशों की सरकारों, कम्पनियों और अन्य हितधारकों से, इस संकट को सुलझाने के लिए कार्रवाई की गति और दायरा बढ़ाने होंगे.
संगठन ने दुनिया के हर कोने से परिवर्तनशील कार्रवाई को सक्रिय बनाने में, विश्व पर्यावरण दिवस की महत्ता को भी रेखांकित किया है.