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ILO: आर्थिक समस्याओं से, निम्न आय वाले देशों में रोज़गार सम्भावनाएँ ध्वस्त

बांग्लादेश में एक कपड़ा फ़ैक्टरी से बाहर निकलते हुए कामगार.
© ILO/ Marcel Crozet
बांग्लादेश में एक कपड़ा फ़ैक्टरी से बाहर निकलते हुए कामगार.

ILO: आर्थिक समस्याओं से, निम्न आय वाले देशों में रोज़गार सम्भावनाएँ ध्वस्त

आर्थिक विकास

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने बुधवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि बढ़ते क़र्ज़ स्तर और उच्च महंगाई व बढ़ती ब्याज दरों से और भी जटिल हुए हालात ने, विकासशील देशों में, कामकाज व रोज़गार तलाश करने के इच्छुक लोगों की उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया है.

संगठन ने कामकाजी दुनिया की निगरानी पर अपनी नई रिपोर्ट में दिखाया है कि उच्च आय वाले देशों में आमदनी वाला कामकाज करने के इच्छुक लोगों का केवल 8.2 प्रतिशत हिस्सा बेरोज़गार है, जबकि निम्न आय वाले देशों में ये संख्या 21 प्रतिशत है.

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क़र्ज़ के बोझ तले दबे, निम्न आय वाले देश सर्वाधिक बुरी तरह प्रभावित हैं, जहाँ रोज़गार पाने के इच्छुक लोगों की संख्या औसतन हर चार में से एक से भी ज़्यादा है.

बेरोज़गारी व अवसरों के बीच बढ़ती खाई

रोज़गारशुदा कामकाज और सामाजिक संरक्षण के लिए संगठन की सहायक महानिदेशक मिया सैप्पो का कहना है कि वैश्विक बेरोज़गारी की दर में गिरावट, महामारी से पहले के समय के स्तर पर पहुँचने की अपेक्षा थी.

अलबत्ता, निम्न आय वाले देशों में, विशेष रूप में अफ़्रीका और अरब क्षेत्र में, इस वर्ष बेरोज़गारी में अपेक्षित गिरावट होने की सम्भावना नहीं है.

मिया सैप्पो ने कहा कि वर्ष 2023 के दौरान रोज़गार अवसरों और कामकाज व रोज़गार पाने के इच्छुक लोगों के बीच की खाई बढ़कर लगभग 45 करोड़ 30 लाख होने की अपेक्षा है, जिनमें, महिलाएँ, पुरुषों की तुलना में डेढ़ गुना ज़्यादा प्रभावित होती हैं.

अफ़्रीका पर सर्वाधिक असर

यूएन श्रम एजेंसी ने ये संकेत भी दिया है कि अफ़्रीका का श्रम बाज़ार, महामारी के दौरान सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है, जिसमें महाद्वीप की आर्थिक पुनर्बहाली की धीमी रफ़्तार झलकती है.

श्रम संगठन ने बताया है कि पूरे महाद्वीप में क़र्ज़ के भारी बोझ और बहुत सीमित वित्तीय व नीतिगत स्थान का मतलब है कि अफ़्रीका में बहुत कम देश ही, वो व्यापक आर्थिक पैकेज लागू कर पाए, जिसकी उन्हें आर्थिक पुनर्बहाली के लिए ज़रूरत थी. जबकि धनी देशों में ये स्थिति नहीं थी.

अपर्याप्त सामाजिक संरक्षण

मिया सैप्पो ने ज़ोर देकर कहा कि लोगों की रोज़गार सम्भावनाओं में सुधार के बिना, ठोस आर्थिक और सामाजिक पुनर्बहाली नहीं हो सकती.

इतना ही महत्वपूर्ण, रोज़गारशुदा कामकाज गँवाने वालों के लिए, एक कल्याणकारी सुरक्षा व्यवस्था में संसाधन निवेश किया जाना भी है. जोकि निम्न आय वाले देशों में अक्सर अपर्याप्त होता है.

एजेंसी के शोध के अनुसार, सामाजिक संरक्षण को बढ़ावा देने और वृद्धावस्था पेंशन का दायरा बढ़ाने से, निम्न आय वाले देशों में, एक दशक के दौरान, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में, लगभग 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी.