हरित प्रौद्योगिकी क्रान्ति अपनाएँ, या फिर पीछे छूट जाने का जोखिम
संयुक्त राष्ट्र के व्यापार और विकास सम्मेलन की मुखिया रिबेका ग्रीनस्पैन ने गुरूवार को अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि देशों की सरकारें और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय अगर अभी निर्णायक कार्रवाई नहीं करते हैं तो, बहुत से विकाशशील देश, हरित प्रौद्योगिकी क्रान्ति के लाभों से वंचित रह सकते हैं.
UNCTAD की महासचिव रिबेका ग्रीनस्पैन ने कहा, “हम हरित प्रौद्योगिकियों पर आधारित एक प्रौद्योगिकी क्रान्ति के आरम्भिक छोर पर हैं. प्रौद्योगिकी परिवर्तन की यह नई लहर, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असाधारण प्रभाव छोड़ेगी.”
“There is enormous potential for developing countries to benefit from green frontier technologies,” said Shamika N. Sirimanne, director of @UNCTAD's technology and logistics division, at the launch of the Technology and Innovation Report 2023. ▶️ https://t.co/13u1Bxopxm https://t.co/epnLzbuN7a
UNCTAD
यूएन व्यापार और विकास एजेंसी की – प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट 2023 में, जिन 17 अग्रिम प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है, इनमें वर्ष 2030 तक 9.5 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा का बाज़ार राजस्व सृजित करने की सम्भावना है, जोकि भारत की आज की अर्थव्यवस्था के आकार का लगभग तीन गुना होगा.
तार्किक कार्रवाई
वस्तुओं और सेवाओं के उत्पाद व सृजन में, हरित प्रौद्योगिकियों की नई लहर का प्रयोग होने से, कार्बन पद चिन्ह कम होंगे. ध्यान रहे कि ये प्रौद्योगिकियाँ कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लेकर बिजली चालित वाहनों तक फैली हुई हैं.
रिपोर्ट में ऐसी तार्किक कार्रवाई का आहवान गया है ताकि विकासशील देशों को हरित प्रौद्योगिकी से फ़ायदा पहुँच सके, वरना उन्हें बढ़ती आर्थिक विषमताओं के जोखिम का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि विकसित देशों को इन लाभों का ज़्यादा फल मिलता है.
रिबेका ग्रीनस्पैन ने कहा, “विकासशील देशों को, अपनी अर्थव्यवस्थाओं के विकास के लिए, इस प्रौद्योगिक क्रान्ति में सृजित हो रहे मूल्य का लाभ उठाना होगा.
अगर इस मौक़े को अपर्याप्त नीतिगत सतर्कता के कारण, या फिर क्षमता निर्माण में लक्षित संसाधन निवेश के अभाव के कारण, गँवा दिया जाता है, तो उसके दीर्घकालीन नकारात्मक परिणाम होंगे.”
शीघ्र बदलाव, त्वरित प्रगति
एक तरफ़ तो विकासशील देशों से हरित प्रौद्योगिक निर्यात 2018 और 2021 के बीच, 57 अरब डॉलर से बढ़कर 75 अरब डॉलर हुआ, मगर साथ ही वैश्विक बाज़ार में उनकी भागेदारी 48 प्रतिशत से गिरकर 33 प्रतिशत पर पहुँच गई.
इन्हीं वर्षों के दौरान विकसित देशों से हरित प्रौद्योगिक निर्यात 60 अरब डॉलर से उछलकर 156 अरब डॉलर हो गया.
अंकटाड का विश्लेषण दिखाता है कि विकासशील देशों को बहुत तेज़ी से कार्रवाई करनी होगी, और एक ऐसी विकास प्रणाली अपनानी होगी जो ज़्यादा विविध, उत्पादक, और प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्थाओं के लिए रास्ता निकाले.
अतीत की प्रौद्योगिकीय क्रान्तियों ने दिखाया है कि इस तरह के बदलाव बहुत जल्द करने से प्रगति भी जल्द नज़र आती है और उसके दीर्घकालीन लाभ होते हैं.
वांछित: एजेंसी और तात्कालिकता
अंकटाड के प्रौद्योगिकी और प्रचालन तंत्र विभाग की निदेशक शमिका एन सिरीमान्ने का कहना है कि विकासशील देशों में, हरित प्रौद्योगिकियों पर लक्षित, सक्रिय औद्योगिक, नवाचार और ऊर्जा नीतियों की आवश्कता है ताकि वो हरित प्रौद्योगिकी क्रान्ति से लाभावन्वित हो सकें.
शमिका एन सिरीमान्ने ने कहा, “विकासशील देशों को नीतिगत कार्रवाइयों के साथ, एजेंसी और तात्कालिकता दिखाने की ज़रूरत है. विकासशील देश चूँकि आज के आपस में गुँथे हुए संकटों का सामना कर रहे हैं तो ऐसे में, उन्हें नवाचार और प्रौद्योगिकीय क्षमताओं के निर्माण के लिए, रणनैतिक, दीर्घ-कालीन कार्रवाई करने की ज़रूरत है, जिनसे टिकाऊ आर्थिक प्रगति को बढ़त मिल सके और भविष्य के संकटों के लिए उनकी सहनक्षमता बढ़ सके.”
अंकटाड ने विकासशील देशों में सरकारों से, पर्यावरण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार, और औद्योगिक नीतियों का सहारा लेने की पुकार लगाई है. साथ ही ज़्यादा हरित और जटिल क्षेत्रों में संसाधन निवेश को वरीयता देने और उपभोक्ता मांग हरित वस्तुओं की तरफ़ मोड़ने के लिए, रियायतें उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया है.
‘अल्पतम’ तैयार देश
रिपोर्ट के “सीमान्त प्रौद्योगिकी तत्परता सूचकांक” में दिखाया गया है कि इस तरह की हरित प्रौद्योगिकी से लाभ उठाने के लिए जिन क्षमताओं की ज़रूरत है वो बहुत कम विकासशील देशों के पास मौजूद हैं.
इस सूचकांक में सूचना और व संचार प्रौद्योगिकी (ICT), कौशल, अनुसन्धान और विकास, औद्योगिक क्षमता, और वित्त संकेतकों के आधार पर 166 देशों का स्थान निर्धारित करने वाले इस सूचकांक में, नैदरलैंड, सिंगापुर, स्वीडन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का दबदबा है.
सूचकांक में दिखाया गया है कि लातीन अमेरिका, कैरीबियाई और सब-सहारा अफ़्राका क्षेत्र के देश, सीमान्त प्रौद्योगिकियों से लाभ उठाने के लिए, बहुत कम तैयार हैं, और मौजूदा प्रौद्योगिकी अवसरों के लाभों से वंचित रह जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं.