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एसडीजी की दिशा में डगमगाती प्रगति बेहद चिन्ताजनक: यूएन उप महासचिव

संयुक्त राष्ट्र उप महासचिव अमीना मोहम्मद ने बेरूत, लेबनान में अरब फोरम फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट 2023 के उद्घाटन के अवसर पर टिप्पणी की.
ESCWA/Najib Dib
संयुक्त राष्ट्र उप महासचिव अमीना मोहम्मद ने बेरूत, लेबनान में अरब फोरम फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट 2023 के उद्घाटन के अवसर पर टिप्पणी की.

एसडीजी की दिशा में डगमगाती प्रगति बेहद चिन्ताजनक: यूएन उप महासचिव

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना मोहम्मद ने मंगलवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि आपस में गुँथे हुए वैश्विक संकट, अरब क्षेत्र में और विश्व भर में, टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धियों को ख़तरे में डाल रहे हैं.

उन्होंने लेबनान के बेरूत में टिकाऊ विकास के लिए अरब फ़ोरम (AFSD) के लिए अपनी उदघाटन टिप्पणी में कहा, “मैं स्पष्ट कहूंगी, हम अच्छा नहीं कर रहे हैं. एसडीजी की दिशा में हमारी प्रगति कमज़ोर पड़ रही है, यहाँ तक ​​कि कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्यों में हमारी प्रगति उलट रही है और बहुत से लोग पीछे छूटते जा रहे हैं.

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विश्व नेताओं ने वर्ष 2015 में 17 टिकाऊ विकास लक्ष्य (SDG) स्वीकार किए थे और 2030 तक अधिक न्यायपूर्ण, न्यायसंगत और "हरित" वैश्विक भविष्य के लिए एक ख़ाका तैयार किया गया था.

टिकाऊ विकास लक्ष्यों की वर्ष 2030 प्राप्ति के लिए तय समयसीमा में से, आधा समय निकल चुका है और इस पड़ाव पर, उप महासचिव ने देशों से एसडीजी हासिल करने के मार्ग में हुई ग़लतियों पर विचार-विमर्श करने का आहवान किया.

वादे संकट में

उप महासचिव आमिना मोहम्मद ने कोविड-19 महामारी, यूक्रेन में युद्ध और जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण के “तिहरे पृथ्वी संकट” (triple planetary crisis) को भी उजागर किया, जिसके कारण अनेक ज़िन्दगियाँ व आजीविकाएँ प्रभावित हुई हैं.

विकासशील और निम्न-आय वाले देशों में हालात विशेष रूप से विकट है जहाँ विकास के रास्ते में अवरोध नज़र आ रहे हैं. यूक्रेन में युद्ध और कोविड-19 महामारी के कारण, विश्व भर में महंगाई बढ़ी है और जीवन-यापन मुश्किल हुआ है. 

अरब दुनिया में बढ़ती निर्धनता और खाद्य असुरक्षा, एसडीजी हासिल करने की रफ़्तार को धीमा कर रही है. सीरिया और तुर्की में हाल ही में आए विनाशकारी भूकम्पों ने इस पीड़ा को केवल बढ़ाया ही है.

उप महासचिव ने कहा कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो इन कारणों से, इस क्षेत्र में और विश्व भर में हम टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने की राह से भटक जाएंगें.

"हमें नीतिगत निर्णय और निवेश क्षेत्र की तत्काल समीक्षा करने की आवश्यकता है ताकि हम इस क्षेत्र को पटरी पर ला सकें."

एसडीजी प्रोत्साहन योजना

आमिना मोहम्मद ने कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद, अरब क्षेत्र ने नवीकरणीय ऊर्जा, इंटरनैट और सामाजिक सुरक्षा में टिकाऊ विकास की दिशा में प्रगति की है, जो भविष्य के लिए प्रेरणा स्वरूप है.

उन्होंने क्षेत्र की ‘निराशाजनक’ वैश्विक वित्तीय प्रणाली की ओर संकेत करते हुए कहा कि इस प्रगति के बावजूद, अरब क्षेत्र के देशों के सामूहिक ऋण बोझ में ख़ासी बढ़ोत्तरी देखी गई है.

उप महासचिव ने याद दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने वैश्विक वित्तीय ढाँचे में तत्काल और आवश्यक सुधार लाने हेतु, एसडीजी के लिए, 500 अरब डॉलर की वार्षिक प्रोत्साहन योजना का आहवान भी किया है.

जलवायु और लैंगिक कार्रवाई

ये क्षेत्र सूखे और रेतीले तूफ़ानों से प्रभावित रहा है और वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण भविष्य में ये हालात केवल बदतर होंगे. इस स्थिति को देखते हुए आमिना मोहम्मद ने जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता को भी रेखांकित किया.

इस वर्ष संयुक्त अरब अमीरात, यूएन जलवायु सम्मेलन - कॉप28 की मेज़बानी करेगा और ये सम्मेलन दुबई में होगा.

उप महासचिव ने कहा कि देश पर, "क्षेत्र और दुनिया भर में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को ख़त्म करके, परिवर्तन लाने की दिशा में सहमति बनाने की एक बड़ी ज़िम्मेदारी है."

उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि जबकि टिकाऊ विकास आवश्यक है, लेकिन लैंगिक समानता की अक्सर अनदेखी की जाती है, जोकि एक एक महत्वपूर्ण घटक है.

उन्होंने कहा, “ये हिसाब बेहद सरल है. समाज अपने आधे सदस्यों के योगदान के बिना, अपनी केवल आधी सम्भावित क्षमता ही पा सकते हैं.”

"हमें मौजूदा तूफ़ानों से निपटने के लिए और भविष्य के लिए समावेशी, टिकाऊ अर्थव्यवस्थाओं व समाजों का निर्माण करने के लिए, सभी के पूर्ण योगदान की आवश्यकता है."

निजी क्षेत्र का महत्व

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मोहम्मद ने लेबनान में एक्सेस किचन परियोजना का दौरा किया.
© ESCWA/Najib Dib

उप महासचिव आमिना मोहम्मद ने एक अन्य AFSD कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए,  एक स्थाई वैश्विक भविष्य को साकार करने में - निजी क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों से लेकर बहुराष्ट्रीय निगमों के महत्व को रेखांकित किया.

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि निजी क्षेत्र के बिना टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने में सफलता नहीं मिल पाएगी.

उन्होंने कहा कि व्यवसाय समुदाय, 2030 के विकास एजेंडे के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वित्तीय खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. 12 अरब देशों में, प्रति वर्ष ये अन्तर 660 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है.

उप महासचिव ने कहा कि हालाँकि निजी पूंजी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन एसडीजी के साथ उसका केवल एक छोटा सा हिस्सा जुड़ा हुआ है. इस अन्तर को कम करने के लिए, घरेलू और विदेशी निजी पूंजी जुटाना चुनौतीपूर्ण है.

उन्होंने कुछ सकारात्मक उपलब्धियों को भी उजागर किया क्योंकि हाल के कॉर्पोरेट वित्त समझौते ने क्षेत्र में स्थिरता की दिशा में एक क़दम बढ़ाया है, विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा, जल और परिवहन क्षेत्र में.

हालाँकि, उन्होंने कहा कि सामाजिक बुनियादी ढाँचे, सेवाओं और समानता, शान्ति व क़ानून में बहुत कम निवेश हुआ है.

उप महासचिव की गतिविधियाँ

टिकाऊ विकास के लिए अरब फ़ोरम (AFSD), गुरूवार को समाप्त होगा. इस संगोष्ठी का आयोजन, बेरूत में स्थित पश्चिमी एशिया के लिये आर्थिक व सामाजिक आयोग (ESCWA) ने किया है.

उप महासचिव ने. इस कार्यक्रम से पहले, AFSD-2023 अध्यक्ष, यमन के योजना और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग मंत्री वाईद बादिब से मुलाक़ात की.

उन्होंने पश्चिमी एशिया के लिये आर्थिक व सामाजिक आयोग (ESCWA) के कार्यकारी सचिव, रोला दाशती और बादिब के साथ मंगलवार को एक प्रैस वार्ता भी की.

उप महासचिव आमिना मोहम्मद और अरब क्षेत्र से संयुक्त राष्ट्र के पदाधिकारियों ने बेरूत में विकलांग व्यक्तियों के लिए लेबनानी संघ द्वारा स्थापित एक सामुदायिक रसोई का भी दौरा किया.

"ऐक्सेस किचन" को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के साथ एक संयुक्त कार्यक्रम के तहत, संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था (UN Women) से समर्थन प्राप्त है.

उप महासचिव ने लेबनान में विकलांग महिलाओं और लड़कियों की चुनौतियों के बारे में बातचीत की और जानने की कोशिश की, कि ये महिलाएँ इस स्थिति का किस तरह सामना करती हैं. इसके उपरान्त उप महासचिव ने भोजन पकाने की गतिविधियों में भी शिरकत की.

आमिना मोहम्मद ने क्षेत्र में तैनात यूएन पदाधिकारियों से इस बात पर भी चर्चा की, कि सितम्बर 2023 में न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में एसडीजी शिखर सम्मेलन से पहले, टिकाऊ विकास हासिल करने की प्रक्रिया को किस तरह गतिशील किया जाए.