मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रक्षा के लिए, ‘देशों को और प्रयास करने होंगे’
संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने सचेत किया है कि अनेक देशों में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के योगदान को मान्यता या उनकी सफलताओं को पहचान दिए जाने के बजाय उनका तिरस्कार किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र की विशेष रैपोर्टेयर मैरी लॉलोर ने मानवाधिकार परिषद को सौंपी गई अपनी एक नई रिपोर्ट में ध्यान दिलाया है कि मानवाधिकारों के रक्षक, न्यायोचित समाजों के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं.
इसके मद्देनज़र, देशों को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है.
"On every continent, #HumanRightsDefenders are achieving stunning success, in democracies and dictatorships, in cities, in forests and in deserts, and often in the face of terrible danger," @MaryLawlorhrds told the Human Rights Council.
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मैरी लॉलोर ने ज़ोर देकर कहा कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के कामकाज की रक्षा और उसे बढ़ावा दिए जाने पर केन्द्रित घोषणा-पत्र को पारित हुए, 25 वर्ष बीत चुके हैं.
इस घोषणापत्र पर हुई सहमति के बावजूद, मानवाधिकार रक्षकों के योगदान की अक्सर अपेक्षा कर दी जाती है.
यूएन की विशेष रैपोर्टेयर ने ध्यान दिलाया कि वर्ष 1998 में, मानवाधिकार रक्षकों पर घोषणा-पत्र को आम सहमति से पारित किया गया था, और सभी ने इसका सम्मान करने और उसे लागू किए जाने की हामी भरी थी.
मैरी लॉलोर ने उन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का भी उल्लेख किया, जिनमें मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को काम करना पड़ता है.
निशाने पर मानवाधिकार कार्यकर्ता
उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि मानवाधिकार कार्यकर्ता, शान्तिपूर्ण ढंग से शक्तिशाली हितों से टकराते हैं, भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं, अन्याय को स्वीकार करने से मना कर देते हैं, आपराधिक गुटों को चुनौती देते हैं और ऐसे मुद्दों को उठाते हैं, जिन्हें सरकारें छिपाना चाहती हैं.
विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार, चूँकि मानवाधिकार कार्यकर्ता सच्चाई बताते हैं और लोगों की भलाई के लिए कोशिश करते हैं, उन पर हमले किए जाते हैं.
मैरी लॉलोर की रिपोर्ट में, मानवाधिकार रक्षकों द्वारा हासिल की गई कुछ उपलब्धियों पर भी विवरण प्रस्तुत किया गया है.
इनमें क़ानूनी बदलाव लाने, बन्दियों को जेल से रिहा कराए जाने, मानवीय सहायता प्रदान करने और भ्रष्टाचार उजागर करने में मिली सफलता समेत अन्य मामले हैं.
रिपोर्ट दर्शाती है कि कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए, अत्यधिक दबाव के बावजूद अपना कामकाज जारी रख पाना ही अपने आप में एक असाधारण सफलता है.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने बताया कि मानवाधिकारों के लिए दर्ज की गई उपलब्धियाँ, रातों-रात हासिल नहीं की जा सकती हैं और वे अक्सर एक लम्बी लड़ाई का नतीजा होती हैं, जिसके लिए धैर्य, नैटवर्क और अन्य समर्थकों की आवश्यकता होती है.
अहम योगदान
मैरी लॉलोर ने कहा कि मानवाधिकार रक्षकों के महत्वपूर्ण योगदान की अपेक्षा किए जाने, या उसे कम करके आँके जाने से उनके और उनके कामकाज के लिए जोखिम बढ़ते हैं.
“इस घोषणापत्र की वर्षगाँठ, इन कार्यकर्ताओं की सफलताओं को पहचाने जाने और उनका जश्न मनाए जाने का अवसर होना चाहिए. ना केवल उन्हें मदद प्रदान करने का फिर से संकल्प लेने के लिए, बल्कि व्यावहारिक तौर पर यह दर्शाने के लिए भी कि वो किस तरह की मदद हो सकती है.”
रिपोर्ट में, देशों द्वारा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के कामकाज को बेहतर ढंग से समर्थन प्रदान करने के लिए सिफ़ारिशें भी प्रस्तुत की गई हैं.
ये अनुशंसाएँ, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, ग़ैर-सरकारी संगठनों, अकादमिक विशेषज्ञों, और सरकारी अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श पर आधारित हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञ
विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं.
उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है.
ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.