यूएन प्रमुख की इराक़ यात्रा, देश के लिए प्रतिबद्धता पर बल
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, पिछले छह वर्षों में अपनी पहली इराक़ यात्रा के दौरान देश के लोगों व नई सरकार के महत्वाकांक्षी सुधार एजेंडे के लिए समर्थन व्यक्त किया है.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश मंगलवार देर रात राजधानी बग़दाद पहुँचे और उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "मैं यहाँ एकजुटता और लोकतांत्रिक संस्थानों को मज़बूती देने और सभी इराक़ियों के लिए शान्ति, सतत विकास और मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने में, देश की सरकार के समर्थन के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता को रेखांकित करने के लिए आया हूँ.”
A busy morning in Baghdad for @antonioguterres who met with senior Iraqi officials and reiterated the UN's support for the country. 📷: @UNIraq https://t.co/1NaHzDEMwL
UN_Spokesperson
यूएन महासचिव ने कहा कि इराक़ में दशकों के दमन, युद्ध, आतंकवाद, संप्रदायवाद और देश के अन्दरूनी मामलों में विदेशी हस्तक्षेप के मद्देनज़र, देश जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने ये बात इराक़ पर 2003 में हुए विदेशी हमलों के 20 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कही है.
उपयुक्त क्षण
इस बीच ऐसी ख़बरें हैं कि इराक़ी प्रधान मंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी को राष्ट्रीय सम्पदाओं की पुनर्बहाली की राह में लगातार सम्भावित राजनैतिक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने इस पृष्ठभूमि में प्रधान मंत्री अल-सुदानी के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में, आशा व्यक्त कि इराक़ "अस्थिरता और हालात की नाज़ुकता के चक्र को तोड़ सकता है."
उन्होंने कहा, "मैं देश के सामने दरपेश अत्यन्त महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने की, प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता की सराहना करता हूँ, जिसमें भ्रष्टाचार का मुक़ाबला, सार्वजनिक सेवाओं में सुधार, बेरोज़गारी को कम करने, अवसर सृजित करने, विशेष रूप से युवजन के लिए, अर्थव्यवस्था में विविधता लाने की चुनौतियाँ शामिल हैं.”
उन्होंने कहा, “इस तरह के संरचनात्मक परिवर्तन के लिए प्रणालीगत सुधार, मज़बूत संस्थान, अधिक जवाबदेही और सभी स्तरों पर बेहतर शासन की आवश्यकता है, और संयुक्त राष्ट्र इन महत्वपूर्ण प्रयासों का समर्थन करने के लिए तत्पर है."
यूएन प्रमुख ने, राजधानी बग़दाद में स्थित केन्द्रीय सरकार और उत्तर में स्थित प्रान्तीय सरकार के बीच इराक़ी तेल राजस्व के बँटवारे पर कथित विभाजनों का उल्लेख करते हुए, सभी पक्षों को, बग़दाद और एरबिल के बीच "हाल के सकारात्मक क़दमों" से लाभ उठाते हुए, आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया.
उनहोंने कहा कि "टिकाऊ समझौते" और संवाद ही दीर्घकालिक उद्देश्य होने चाहिए.
विस्थापितों की गरिमा
महासचिव ने इससे पहले देश में पहुँचते ही अपनी टिप्पणी में, इराक़ी लोगों के लिए अपनी "असीम प्रशंसा" व्यक्त की और रेखांकित किया कि कैसे उन्होंने अपने पिछले दौरों के दौरान, देश के भीतर विस्थापित लोगों का साहस देखा था.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस बात पर भी विशेष ध्यान दिया कि जॉर्डन और सीरिया में इराक़ी शरणार्थियों ने किस तरह दिखाया कि वो एक दूसरे की मदद करने के लिए "एक दूसरे के साथ एकजुट होकर रह सकते हैं.” और ये स्थिति मेरी नज़र में, आने वाले दिनों में देश के लिए एक बड़ी उम्मीद है."
यूएन महासचिव ने देश के उत्तरी इलाक़े में, नस्लीय यज़ीदियों की सुरक्षित और गरिमापूर्ण वापसी के लिए, प्रधानमंत्री अल-सुदानी की - समर्थन प्रतिबद्धता - को भी रेखांकित किया.
यूएन प्रमुख ने ये भी कहा कि सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े से अपने नागरिकों को वापस लाने के, इराक़ के प्रयास शानदार रहे हैं, जिनमें विशेष रूप से, कुख्यात अल होल शिविर से निकाले गए नागरिक भी शामिल हैं.

जल संकट
यूएन महासचिव गुटेरेश ने इराक़ के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण चुनौती - पानी की क़िल्लत की बात करते हुए, न्यूयॉर्क में 22 से 24 मार्च को आयोजित हो रहे, यूएन जल सम्मेलन 2023 की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया और कहा कि जल संकट के मुद्दे पर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान देने की ज़रूरत है.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि दजला (Tigris) और फ़रात (Euphrates) जैसी प्रबल नदियाँ अब सूख रही हैं और कृषि क्षेत्र पर इसका आकस्मिक प्रभाव पड़ा है.
उन्होंने कहा, “ये देखना बेहद दुखद है” कि किसानों को अपनी उन ज़मीनों को छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा है, जहाँ हज़ारों वर्षों से फसलें उगाई जाती रही थीं.
महासचिव ने बताया कि इराक़ भी, जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित देशों में से एक है, जो विस्थापन, खाद्य असुरक्षा, बेरोज़गारी, बढ़ते संघर्ष और मानवाधिकारों की अनदेखी के हालात का सामना कर रहा है.
यूएन प्रमुख ने कि जब एक अस्थिर सुरक्षा परिस्थिति और शासन की चुनौतियाँ एक साथ मिल जाती हैं तो, "यह स्थिति स्थिरता को जोखिम में डाल सकती है... तो इसलिए अब समय आ गया है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, इराक़ को अपनी पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने, अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने और टिकाऊ विकास को बहाल करने में सहायता करे."