इराक़ को अस्थिरता के भँवर से निकालना, राजनैतिक वर्ग का 'साझा दायित्व'
इराक़ में संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि जिनीन हैनिस-प्लाशर्ट ने राजनैतिक दलों और अन्य पक्षों द्वारा देशहित को सर्वोपरि रखे जाने की अहमियत को रेखांकित किया है. उन्होंने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इराक़ को अस्थिरता व नाज़ुक हालात के चक्र से बाहर लाना अन्तत: सभी का एक साझा दायित्व है.
विशेष प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद को देश में हालात से अवगत करते हुए बताया कि देश में यह आशा जगी है कि नई सरकार के गठन की पुष्टि इराक़ व स्थानीय जनता के समक्ष मौजूद विशाल चुनौतियों का ढाँचागत समाधान ढूँढने का अवसर होगा.
साथ ही, देश में राजनैतिक वर्ग को इस अवसर का लाभ उठाते हुए अस्थिरता व भंगुरता के चक्र से इराक़ को बाहर निकालना होगा.
SRSG: The hope is that the confirmation of new GoI will provide an opportunity to structurally address the many pressing issues. The urgency is for #Iraq’s political class to seize opportunity to finally lift country out of recurring cycles of instability and fragility. https://t.co/JjFrf5La8v
UNIraq
जिनीन हैनिस-प्लाशर्ट के अनुसार, अर्थपूर्ण बदलावों को लाने में समय लगेगा और इसके लिए व्यवस्थागत सामाजिक-आर्थिक सुधार, मज़बूत संस्थाएँ और सभी स्तरों पर बेहतर शासन व्यवस्था की दरकार है.
“किसी को भी इराक़ में मौजूद चुनौतियों के रातों-रात हल होने की आशा नहीं है, लेकिन मैं गिलास को आधा भरा हुआ देखना चाहूँगी.”
जिनीन हैनिस-प्लाशर्ट इराक़ में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMI) की प्रमुख हैं – इस विशेष राजनैतिक मिशन को वर्ष 2003 में स्थापित किया गया था.
इसके मौजूदा शासनादेश (mandate) के तहत यूएन मिशन द्वारा सरकार को परामर्श, समर्थन व सहातान प्रदान की जाती है, ताकि देश में समावेशी राजनैतिक सम्वाद व मेल-मिलाप को बढ़ावा दिया जा सके.
साझा दायित्व
विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि अतीत की विरासत और मौजूदा दौर की अनेक चुनौतियों पर पार पाने में समय लगेगा, और कोई भी सरकार अकेले आगे नहीं बढ़ सकती है.
“यह बेहद अहम है कि राजनैतिक दल और अन्य पक्ष देश के हितों को सर्वोपरि रखें, और अन्तत: यह सभी का एक साझा दायित्व है.”
जिनीन हैनिस-प्लाशर्ट के अनुसार, अपने तीन महीनों के कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सूडानी ने प्रतिबद्धता दर्शाई है, और नई सरकार सार्वजनिक सेवा वितरण व बेरोज़गारी समेत विशाल चुनौतियों से निपटने की कोशिश कर रही है.
सार्वजनिक सेवाओं की व्यवस्था में बेहतरी लाने और व्यवस्थागत भ्रष्टाचार से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने देश को सम्वाद और निवेश का एक मंच बनाने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा किए गए प्रयासों को अपना समर्थन व्यक्त किया.
व्यवस्थागत बदलाव अहम
जिनीन हैनिस-प्लाशर्ट ने कहा कि जवाबदेही को तय किया जाना और आमजन की आशाओं को साकार करना बहुत आवश्यक है, जिसके लिए व्यवस्थागत परिवर्तन अहम होगा.
उन्होंने आगाह किया कि बड़े वादे करने मगर उन्हें पूरा करने में पीछे रह जाने के गम्भीर नतीजे हो सकते हैं, और हालात की गम्भीरत को कम करके दर्शाने से हताशा और बढेगी.
उन्होंने वर्तमान चुनौतियों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि अति-आवश्यक आर्थिक सुधारों में हुई देरी को महसूस किया जा सकता है, जिससे इराक़ी जनता पर दबाव बढ़ रहा है.
जिनीन हैनिस-प्लाशर्ट ने मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित किए जाने पर भी बल दिया और कहा कि आवाज़ को चुप कराने, आलोचनात्मक स्वरों में रुकावट पैदा करने, उन्हें ख़ारिज करने से देश की छवि कमज़ोर होगी और आमजन का भरोसा दरकेगा.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सार्वजनिक विमर्श को प्रोत्साहन देकर संस्थाओं को फलने-फूलने और आवश्यकता अनुसार ढलने का अवसर दिया जा सकता है.
इसके अलावा, विशेष प्रतिनिधि ने पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने पर ध्यान केन्द्रित की अहमियत को रेखांकित किया और कहा कि देश में मानवीय सहायता प्रयासों से आगे बढ़कर विकास की ओर क़द़म उठाए जाने होंगे.