वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

बाढ़ जोखिमों से निपटने के लिए विज्ञान-आधारित समाधानों व एकजुटता की दरकार

भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के नामखाना में तटीय समुदाय को ऊँची लहरों से जूझना पड़ रहा है.
Climate Visuals/Supratim Bhattacharjee
भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के नामखाना में तटीय समुदाय को ऊँची लहरों से जूझना पड़ रहा है.

बाढ़ जोखिमों से निपटने के लिए विज्ञान-आधारित समाधानों व एकजुटता की दरकार

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने आगाह किया है कि विश्व भर में, एक अरब 80 करोड़ लोग, बाढ़ की चपेट में आने के जोखिम का सामना कर रहे हैं. उन्होंने शनिवार को जापान की राजधानी टोक्यो में जल प्रबन्धन के विषय पर आयोजित एक संगोष्ठि को सम्बोधित करते हुए सुदृढ़ता, सततता और समावेश पर आधारित समाधानों पर बल दिया है.

यूएन महासभा के 77वें सत्र के लिए प्रमुख ने कहा कि यह एक ऐसी चुनौती है जिस पर संकल्प और चतुरता के साथ पार पाना होगा.  

उन्होंने कोविड-19 के बाद की दुनिया में एकीकृत जल चक्र प्रबन्धन पर आयोजित उच्चस्तरीय परिचर्चा के दौरान प्रतिभागियों से विज्ञान-आधारित समाधानों को अपनाने और एकजुटता दर्शाए जाने की पुकार लगाई.

Tweet URL

कसाबा कोरोसी के अनुसार, जब संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास लक्ष्य शुरू किए गए थे, तब तक जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे और बाढ़ की घटनाओं का पूरा आयाम स्पष्ट नहीं था.

इस वजह से, जल एवं साफ़-सफ़ाई सम्बन्धी टिकाऊ विकास लक्ष्यों में बाढ़ और सूखा सम्बन्धी संकेतकों का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं हो पाया.

उन्होंने मौजूदा चुनौतियों की तुलना अपोलो-13 चन्द्रमा मिशन से की, जिसे एक बेहद गम्भीर तकनीकी समस्या का सामना करने के बावजूद, पृथ्वी पर वापिस लाने में सफलता मिली थी.

“1970 में, चतुराई और दृढ़ क़दमों के ज़रिए, अन्तरिक्ष यात्री पृथ्वी पर जीवित वापिस लौट आए.”

महासभा अध्यक्ष ने ज़ोर देकर कहा कि बाढ़ जोखिमों का सामना करने के लिए इसी तरह के संकल्प की आवश्यकता होगी.

उन्होंने सचेत किया कि जलवायु परिवर्तन-जनित ख़तरों से इतर, लचर बाढ़ संरक्षण व प्रबन्धन, और भूमि के लापरवाह इस्तेमाल से आपदाओं के ख़तरे बढ़ रहे हैं.

जल सम्मेलन में संकल्पों की आशा

यूएन महासभा प्रमुख ने सहन-सक्षमता, सततता और समावेशिता पर आधारित समाधानों का आग्रह किया है.

इस क्रम में, पार-अटलांटिक गठबन्धनों को मज़बूती दिए जाने की आवश्यकता है, जैसेकि वर्ष 1992 में हुई यूएन जल सन्धि, जिसकी देखरेख योरोप के लिए यूएन के आर्थिक आयोग (UNECE) द्वारा की जाती है.

साथ ही, उन्होंने एक वैश्विक जल सूचना प्रणाली की अपनी अपील भी दोहराई है.

पाँच हफ़्तों बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा महत्वपूर्ण ‘यूएन जल सम्मेलन’ आयोजित किया जाएगा.

उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि जल सम्मेलन के ज़रिये वैश्विक जल सूचना प्रणाली, सर्वजन के लिए समय पूर्व चेतावनी व्यवस्था, और भावी चुनौतियों के लिए मज़बूत विज्ञान साझेदारियों के लिए संकल्पों में स्फूर्ति प्रदान करने में मदद मिलेगी.

आर्थिक व सामाजिक मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव ली जुनहुआ ने अपने वीडियो सन्देश में कहा कि जल सम्मेलन का एक अहम नतीजा, जल कार्रवाई एजेंडा है, जोकि एक ऐसा मंच है, जहाँ कार्रवाई-केन्द्रित स्वैच्छिक संकल्प जुटाए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जल और बाढ़ प्रबन्ध पर मौजूदा स्थिति में बदलाव लाने के लिए, मार्च में आयोजित होने वाले सम्मेलन के दौरान कल्पनाशील और भविष्योन्मुख संकल्पों की आवश्यकता होगी.