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इसराइलियों और फ़लस्तीनियों से हिंसा पर विराम लगाने व तनाव में कमी लाने का आग्रह

फ़लस्तीन के ग़ाज़ा पट्टी में, एक इसराइली हमले में ध्वस्त एक इमारत के पास से सायकल पर गुज़रता एक लड़का.
© UNRWA/Samar Abu Elouf
फ़लस्तीन के ग़ाज़ा पट्टी में, एक इसराइली हमले में ध्वस्त एक इमारत के पास से सायकल पर गुज़रता एक लड़का.

इसराइलियों और फ़लस्तीनियों से हिंसा पर विराम लगाने व तनाव में कमी लाने का आग्रह

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच बढ़ती हिंसा के मद्देनज़र, दोनों पक्षों के नेताओं से तनाव में कमी लाने के लिए, तत्काल साथ मिलकर प्रयास करने का आग्रह किया है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त के अनुसार विफल साबित हो चुके हिंसक तौर-तरीक़ों और तनाव भड़काने वाले कुतर्कों से पीछे हटना होगा.

उन्होंने शुक्रवार को अपने एक वक्तव्य में आगाह किया कि ऐसी कोशिशों का नतीजा अभी तक शवों, तबाह हो चुकी ज़िन्दगियों और पूर्ण रूप से निराशा के रूप में ही नज़र आया है.

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मानवाधिकार कार्यालय प्रमुख ने बताया कि वर्ष 2022 में पूर्वी येरूशेलम समेत क़ाबिज़ पश्चिमी तट में रिकॉर्ड संख्या में फ़लस्तीनी मारे गए हैं.

वहीं, पिछले कई वर्षों में क़ाबिज़ पश्चिमी तट और इसराइल के भीतर इसराइली नागरिकों की भी बड़ी संख्या में मौत हुई है.

यूएन के शीर्ष अधिकारी के अनुसार, इस वर्ष भी और अधिक रक्तपात, अधिक तबाही अपने साथ लाया है और हालात और चिन्ताजनक होते जा रहे हैं.

वर्ष 2022 में, यूएन कार्यालय ने क़ाबिज़ पश्चिमी तट में इसराइली सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 151 फ़लस्तीनियों के मारे जाने की पुष्टि की थी. इसके अलावा, एक लड़के की मौत इसराइली बस्ती के बाशिन्दे या सुरक्षा बलों के हाथों हुई है.

बताया गया है कि दो अन्य फ़लस्तीनी नागरिकों को इसराइली बस्तियों के बाशिन्दों ने जान से मार दिया था.

इनमें अधिकाँश मामलों में, सुरक्षा बलों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग किए जाने और मनमाने ढँग से लोगों की हत्या किए जाने पर गम्भीर चिन्ता उभरी है.  

इसी अवधि में, इसराइल के भीतर और क़ाबिज़ पश्चिमी तट में फ़लस्तीनियों द्वारा 24 इसराइली नागरिकों की हत्या की गई.

वर्ष की घातक शुरुआत

इस वर्ष अब तक 34 फ़लस्तीनी और सात इसराइली मारे जा चुके हैं. मानवाधिकार उच्चायुक्त ने आशंका जताई कि इसराइल द्वारा उठाए गए क़दमों से मानवाधिकार व मानव कल्याण क़ानूनों का हनन होगा.

पिछले सप्ताहांत, पूर्वी येरूशेलम में हमलों के बाद, इसराइली प्रशासन ने संदिग्ध दोषियों के घरों को सील कर दिया है, 40 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और दो परिवारों को घरों से जबरन निकाला गया है.

इसके अलावा, इसराइल ने अनेक अन्य उपायों का प्रस्ताव दिया है, जिनमें पहचान-पत्र, नागरिकता व निवास अधिकार रद्द किए जाने, और संदिग्ध हमलावरों के सम्बन्धियों के सामाजिक संरक्षा लाभ को ख़त्म किए जाने की बात कही गई है.

इसके अलावा, घरों को ढहाए जाने की प्रक्रिया में भी मज़बूती लाई जाने का सुझाव है.

हिंसा भड़कने का जोखिम

वोल्कर टर्क ने आशंका व्यक्त की है कि इन क़दमों को लागू किया जाना, सामूहिक दंड के समान होगा, जिस पर अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण क़ानून के अन्तर्गत पाबन्दी है, और ना ही ये अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों के अनुरूप हैं.

इसके अलावा, इसराइली सरकार की योजना, नागरिक आबादी के लिए हथियार लाइसेंस मुहैया कराए जाने की प्रक्रिया में तेज़ी लाना है, जिससे हिंसा व रक्तपात और भड़क सकता है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि इसराइली बाशिन्दों और फ़लस्तीनियों के बीच पिछले सप्ताह के दौरान हिंसा की अनेक घटनाएँ हुई हैं.

इसे ध्यान में रखते हुए, उन्होंने ऐसी भाषा का इस्तेमाल किए जाने से परहेज़ बरतने की अपील की है, जिससे हालात और भड़कते हों.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने हत्याओं और गम्भीर रूप से घायल होने के मामलों की अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप जाँच कराए जाने समेत तत्काल ऐसे क़दमों की पुकार लगाई है, जिससे तनाव में कमी लाने में मदद मिले.