वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

लड़कियों के बेहतर भविष्य के लिए, 2030 तक बाल विवाह का उन्मूलन ज़रूरी

हालिम्ज़ की शादी 14 साल की उम्र में हुई थी. वह अपने भाइयों के विपरीत कभी स्कूल नहीं गई, और कहती हैं कि चाड में उनके गांव में बाल विवाह गरीबी के मुख्य कारणों में से एक है.
UNICEF/UN014189/Sang Mooh
हालिम्ज़ की शादी 14 साल की उम्र में हुई थी. वह अपने भाइयों के विपरीत कभी स्कूल नहीं गई, और कहती हैं कि चाड में उनके गांव में बाल विवाह गरीबी के मुख्य कारणों में से एक है.

लड़कियों के बेहतर भविष्य के लिए, 2030 तक बाल विवाह का उन्मूलन ज़रूरी

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने क्षोभ प्रकट किया है कि बाल विवाह को मानवाधिकारों का उल्लंघन क़रार दिए जाने के बाद भी यह समस्या अब भी व्याप्त है. यूएन एजेंसी ने इस चुनौती से निपटने के लिए समन्वित, वैश्विक कार्रवाई पर बल दिया है ताकि वर्ष 2030 तक बाल विवाह के मामलों का उन्मूलन के लक्ष्य को साकार किया जा सके.

जब बाल विवाह होता है तो बचपन अक्सर समाप्त हो जाता है. अनेक प्रमाण हमारे सामने हैं, जो दर्शाते हैं कि बाल वधुओं को स्कूल छोड़ना पड़ता है, समय से पहले गर्भावस्था से गुज़रना पड़ता है, सामाजिक अलगाव की भावना का सामना करना पड़ता है और उनके सामने रोज़गार की सीमित सम्भावनाएँ होती हैं.

विश्व भर में, यह एक ऐसा कठोर सत्य है जिसका सामना हर पाँच में से एक लड़की कर रही है.

बाल विवाह को व्यापक रूप से मानव अधिकारों के उल्लंघन माना जाता है लेकिन ये प्रथा आज भी क़ायम है.

बाल विवाह और उससे उपजे नतीजों से ना केवल लड़कियों बल्कि उनके परिवारों और समुदायों पर भी प्रभाव पड़ता है.

यह चलन निर्धनता के चक्र को बनाए रखने के साथ-साथ, लैंगिक समानता की दिशा में प्रयासों को कमज़ोर करता है, और वर्ष 2030 तक एक बेहतर, न्यायोचित विश्व को साकार करने के रास्ते में एक रुकावट है.

अनेक देशों में मौजूद है यह प्रथा

विश्व में 50 करोड़ से अधिक ऐसी लड़कियाँ और महिलाएँ जीवित हैं जिनका विवाह बचपन में ही कर दिया गया था.

हालाँकि, यह रूझान समान रूप से नहीं देखा गया है. बाल विवाह से पीड़ित अधिकाँश लड़कियों के मामले कुछ ही देशों में केन्द्रित हैं. बचपन में शादी करा दिए जाने का जोखिम लड़कियों के मूल निवास स्थान पर निर्भर करता है.

विश्व भर में कुल बाल वधुओं की आधी संख्या केवल पाँच देशों में रहती हैं: भारत, बांग्लादेश, नाइजीरिया, इंडोनेशिया और ब्राजील में सर्वाधिक मामले देखे गए हैं, और सब-सहारा अफ़्रीका में स्थित देभ भी भीषण रूप से प्रभावित हैं.

वर्ष 2030 तक उन्मूलन का लक्ष्य

यूनीसेफ़ ने बाल विवाह की समस्या से निपटने के लिए, तत्काल वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया है. संगठन का कहना है कि यदि विश्व में वर्ष 2030 तक बाल विवाह का अन्त करने के टिकाऊ विकास लक्ष्य (SDG) के लक्ष्य की ओर अग्रसर रहना है, तो उन देशों पर ध्यान केन्द्रित किया जाना होगा जहाँ अधिकतर मामले पाए जाते हैं.

इसे ध्यान में रखते हुए, यूनीसेफ़ ने बाल विवाह का अन्त करने के लिए बांग्लादेश, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया और नाइजीरिया की सरकारों की प्रतिबद्धता का समर्थन किया है.

यूनीसेफ़ ने इस संकल्प के तहत निम्न पाँच क्षेत्रों में कार्रवाई का वादा किया है:

  • यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि आर्थिक विकास का लाभ समाज के सबसे वंचित वर्गों तक पहुँच सके. सर्वाधिक ज़रूरतमन्द परिवारों को समर्थन प्रदान करने के लिए लैंगिक आवश्यकताओं के अनुरूप सामाजिक संरक्षा कार्यक्रमों को लागू किया जाना होगा.
  • महिलाओं के लिए शिष्ट व उपयुक्त कार्य को प्रोत्साहित करने वाली श्रम बाज़ार नीतियों को मज़बूती प्रदान करनी होगी, ताकि माता-पिता अपनी बेटियों को स्कूल भेजने में निहित लाभ को देख पाएँ. उन नीतियों को समर्थन देना होगा जिनसे अवैतनिक देखभाल कार्य के बोझ से निपटने में मदद मिल सके.
  • गुणवत्तापूर्ण माध्यमिक शिक्षा में निवेश करना होगा, ताकि लड़कियों को ज्ञान हासिल करने, कौशल सीखने और भविष्य में रोज़गार के बेहतर विकल्प सृजित हो सकें.
  • पहले से विवाहित लड़कियों, तलाक़शुदा या विधवा महिलाओं के लिए स्कूल के दरवाज़े फिर से खोलने होंगे, जिससे उनका सशक्तिकरण हो सके. साथ ही,  स्वास्थ्य देखभाल तक उनकी पहुँच में सुधार किया जाना होगा.
  • हानिकारक लैंगिक मानदंडों व शक्ति समीकरणों से निपटना होगा, जिससे लड़कियाँ अपनी आवाज़ उठाने में सशक्त महसूस कर सकें और विवाह के सम्बन्ध में अपने निर्णय स्वयं ले सकें

रोकथाम पर केन्द्रित पहल

यूएन एजेंसी ने सचेत किया है कि अतीत के वर्षों में प्रगति के बावजूद, हाल के समय में कोविड-19 महामारी के कारण इस दिशा में प्रयासों को धक्का पहुँचा है.

यूनीसेफ़ का अनुमान है कि अगले एक दशक में क़रीब 10 करोड़ लड़कियों की बचपन में ही शादी हो जाने की सम्भावना है.

कोविड-19 के अलावा, आर्थिक चुनौतियों, स्कूलों में तालाबन्दी, और अति-आवश्यक सेवाओं में आए व्यवधान को इसकी वजह बताया गया है. विश्व के अनेक हिस्सों में बाल विवाह का जोखिम, असुरक्षा और हिंसक टकराव व जलवायु परिवर्तन के कारण उपजे ख़तरों के कारण और बढ़ जाता है.

यूनीसेफ़ इस चुनौती पर पार पाने के लिए, बाल विवाह निगरानी तंत्र की अगुवाई कर रहा है. यह पहल बाल विवाह के मामलों से निपटने के लिए जागरूकता प्रसार पर केन्द्रित है, और इसमें डेटा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाता है, नीतिगत उपायों को निखारा जाता है और वित्त पोषण व संकल्प की निरन्तरता सुनिश्चित की जाती है.

इस निगरानी तंत्र की मदद से डेटा को विविध प्रकार के हितधारकों को प्रदान किए जाने का लक्ष्य है, ताकि बाल विवाह पर विराम लगाने के लिए रचनात्मक सहयोग को प्रोत्साहन दिया जा सके और सभी लड़कियों के लिए उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित किया जा सके.