वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

हर पाँच में से एक लड़की, बाल विवाह की चपेट में

2016 में यूएनएफ़पीए और यूनीसेफ़ ने नेपाल में बाल-विवाह समाप्त करने के लिए एक वैश्विक अभियान शुरू किया था.
UNFPA-UNICEF/Kiran Panday
2016 में यूएनएफ़पीए और यूनीसेफ़ ने नेपाल में बाल-विवाह समाप्त करने के लिए एक वैश्विक अभियान शुरू किया था.

हर पाँच में से एक लड़की, बाल विवाह की चपेट में

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA), बुधवार 14 फ़रवरी, को ‘वैलेंटाइंस डे’ के अवसर पर, बाल विवाह की समस्या का अन्त करने के लिए अपनी जागरूकता मुहिम को आगे बढ़ा रहा है.

बाल विवाह से तात्पर्य, एक ऐसे विवाह या बन्धन से है, जिसमें एक या फिर दोनों जीवनसंगियों की आयु 18 वर्ष से कम होती है. वैसे तो यह समस्या दुनिया के हर कोने में दिखाई देती है, मगर निम्न- और मध्य-आय वाले देश इससे ज़्यादा प्रभावित हैं.

UNFPA ने ध्यान दिलाया है कि हर साल, 1.2 करोड़ लड़कियाँ अपने जीवन के 18 वर्ष पूरे करने से पहले ही, विवाह बन्धन में धकेल दी जाती हैं.

यूएन जनसंख्या कोष ने बाल विवाह प्रथा को मानवाधिकारों का एक ऐसा हनन बताया है, जिससे सर्वाधिक निर्बल, दरिद्र और हाशिएकरण का शिकार लड़कियाँ प्रभावित होती हैं.

‘वैलेटाइंस डे’ प्रेम, रूमानियत व संकल्प, और सम्भवत: एक दूसरे के साथ रिश्ता जोड़ने व विवाह करने का एक वार्षिक अवसर है. 

यह पीड़ित लड़कियों के साथ-साथ बाल विवाह से प्रभावित समाजों और समुदायों के लिए भी एक बड़ी समस्या है, जिन्हें कई पीढ़ियों तक निर्धनता के चक्र में पिसना पड़ता है.

बाल विवाह का अन्त करके, लड़कियों को अपनी शिक्षा पूरी करने, मातृत्व को कुछ समय तक टालने, रोज़गार पाने और अपनी सम्भावनाओं को साकार करने में मदद दी जा सकती है.

यूएन जनसंख्या कोष के अनुसार इससे अरबों डॉलर की आय और उत्पादकता में वृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है.

इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी वर्ष 2015 से ही वैलेंटाइंस दिवस पर, #IDONT नामक एक मुहिम के ज़रिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से विश्व भर में, इच्छा के विरुद्ध शादी करने के लिए मजबूर लड़कियों के समर्थन में ऐसा नहीं करने की पुकार लगा रही है.

छोटी आयु में शादी होने की वजह से बाल दुल्हनों को अपनी स्कूली पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है. उनके हिंसा का शिकार होने का जोखिम बढ़ जाता है और भावनात्मक या शारीरिक रूप से तैयार होने से पहले ही उनकी शादी करा दी जाती है. 

बाल विवाह का अन्त, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के 2030 एजेंडे का हिस्सा है, जिसके लिए 2030 की समयसीमा निर्धारित की गई है.

यूएन एजेंसी ने चेतावनी जारी की है कि यदि इस हानिकारक प्रथा का अन्त करने के लिए जल्द प्रयास नहीं किए गए, तो 15 करोड़ से अधिक लड़कियों की कम आयु में शादी कराए जाने का जोखिम है.

बाल विवाह से जुड़ी कुछ अहम बातें:

  • बाल विवाह के मामले दुनिया के लगभग हर कोने में नज़र आते हैं. एक अनुमान के अनुसार, आज 65 करोड़ से अधिक ऐसी महिलाएँ व लड़कियाँ जीवित हैं, जिनकी 18 वर्ष की आयु से पहले ही शादी करा दी गई थी. विश्व भर में, 20 से 24 वर्ष की आयु के बीच की 19 प्रतिशत महिलाएँ, 18 वर्ष की उम्र पूरी करने से पहले ही या तो शादीशुदा थीं, या फिर अपने संगी के साथ रह रही थीं. 
     
  • विश्व भर में बाल विवाह मामलों की दर में धीरे-धीरे गिरावट आ रही है, और अधिकाँश क्षेत्रों में पिछले 25 वर्षों में इसमें कमी आई है. मगर, यदि इन प्रयासों में तेज़ी नहीं लाई गई, तो कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर लड़कियों की संख्या में गिरावट, आबादी में हो रही वृद्धि से सन्तुलन नहीं रख पाएगी.
     
  • आपात मानवीय परिस्थितियों, जैसेकि हिंसक टकराव, विस्थापन, प्राकृतिक आपदा और जलवायु परिवर्तन के कारण बाल विवाह मामलों में अक्सर वृद्धि देखने को मिलती है. इन संकटों की वजह से आजीविकाओं और शिक्षा प्रणालियों पर गम्भीर असर होता है, यौन हिंसा का जोखिम बढ़ता है, और पारिवारिक सम्मान व लड़कियों की सुरक्षा के लिए चिन्ता बढ़ती है, जिससे बाल विवाह के मामले बढ़ते हैं.
     
  • बाल विवाह पर सार्वभौमिक पाबन्दी है. बाल अधिकारों पर सन्धि और महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन पर सन्धि में बाल विवाह पर प्रतिबन्ध लगाया गया है. लगभग हर देश ने इन सन्धियों पर हस्ताक्षर या उनका अनुमोदन किया है. मगर, राष्ट्रीय व स्थानीय क़ानूनों में इनकी अलग-अलग व्याख्या की जाती है, जिससे अक्सर अभिभावकों की रज़ामन्दी से या फिर धार्मिक या पारम्परिक क़ानूनों के तहत इसकी स्वीकृति मिल जाती है.
     
  • बाल विवाह का अन्त करना सम्भव है. एक शोध के अनुसार, 68 देशों में बाल विवाह के 90 प्रतिशत मामले नज़र आते हैं, जहाँ 2020-2030 के दौरान इनका अन्त करने के लिए केवल 35 अरब डॉलर की दरकार होगी. इस धनराशि के ज़रिये शिक्षा जगत में उपायों, सशक्तिकरण पहलों, जीवन कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करके, लगभग 5.8 करोड़ बाल विवाहों को टाला जा सकता है.