2022 पर एक नज़र: गहराते हिंसक टकरावों के बीच, अन्तरराष्ट्रीय सम्वाद, शान्ति के लिये एकमात्र आशा
इस वर्ष फ़रवरी महीने में यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों का आक्रमण, विश्व भर में बड़ी उथलपुथल की वजह बना, मगर उससे इतर भी, अन्य क्षेत्रों में जारी युद्ध, हिंसक टकराव और अशान्ति से चिन्ता गहराती रही. इस पृष्ठभूमि में, संयुक्त राष्ट्र ने अन्तरराष्ट्रीय सम्वाद की अहमियत को निरन्तर रेखांकित किया और एक नए शान्ति एजेंडा की योजना की घोषणा भी की.
वर्ष 2022 का फ़रवरी महीना यूएन में गहन कूटनीति का दौर रहा. तब तक यह स्पष्ट हो चुका था कि रूस, यूक्रेन पर धावा बोलने की तैयारी में है.
संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी ने इसे सम्पूर्ण अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था की परीक्षा क़रार दिया. “हमें संयम बरतने और तर्क की आवश्यकता है. हमें तनाव में अभी कमी लाने की आवश्यकता है.”
मगर, उनकी ये पुकार अनसुनी कर दी गई, और फिर युद्ध शुरू हो गया, जिसे रूस ने 'विशेष सैन्य अभियान' का नाम दिया.
यूक्रेन युद्ध के वैश्विक प्रभाव
यूक्रेन में हिंसक टकराव के उपजे झटके दोनों देशों से दूर तक महसूस किये गए.
वैश्विक ईंधन व खाद्य क़ीमतों में उछाल दर्ज किया गया, और व्यापार मामलों के लिये यूएन एजेंसी (UNCTAD) के अनुसार, कोविड-19 से उबर रही दुनिया में वैश्विक आर्थिक में मन्दी की यह एक बड़ी वजह रही.
वर्ष 1986 में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र हादसे की पीड़ा फिर से तब सजीव हो उठी, दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन में ज़ैपोरिझिझिया में परमाणु प्लांट पर रूसी सैन्य बलों ने नियंत्रण कर लिया.
यह योरोप का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है.
अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख रफ़ाएल ग्रोस्सी ने इस परमाणु प्लांट के पास हुई लड़ाई को आग के साथ खेलने जैसा क़रार दिया.
अनाज निर्यात समझौते से राहत
संयुक्त राष्ट्र की कूटनैतिक सफलता एक झलक इस वर्ष काला सागर अनाज निर्यात पहल में नज़र आई, जिसके तहत जुलाई महीने में यूक्रेनी बन्दरगाहों से अनाज की खेप ज़रूरतमन्द देशो के लिये रवाना किये जाने का काम शुरू हुआ.
साथ ही, रूस की खाद्य वस्तुओं और उर्वरकों के वैश्विक बाज़ारों में पहुँचने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ, जिससे अनाज, खाना पकाने के तेल, ईंधन और उर्वरकों की क़ीमतों मे आ रहे उछाल पर नियंत्रण पाना कुछ हद तक सम्भव हुआ.
यूक्रेन और रूस में भरोसे की कमी, और युद्धविराम की कोई आशा फ़िलहाल ना दिखाई देने के बावजूद, इस समझौते को नवम्बर महीने में 120 दिनों के लिये फिर से बढा दिया गया.
तब तक, यूक्रेन से एक करोड़ 10 लाख टन अति-आवश्यक खाद्य सामग्री को यूक्रेन से रवाना किया जा चुका है और वैश्विक खाद्य क़ीमतों में कुछ स्थिरता नज़र आने लगी है.
अफ़्रीका: शान्ति की आशा के बीच, टकराव की आँच
अफ़्रीका के अनेक देशों में यूएन शान्तिरक्षकों को इस वर्ष, आम नागरिकों की हिंसा से सुरक्षा प्रदान करने के अपने दायित्व का निर्वहन करते समय अनेक जोखिमों का सामना करना पड़ा.
माली में यूएन मिशन सबसे ख़तरनाक होने की छवि बरक़रार रही है, और लगभग हर महीने किसी ना किसी हमले में शान्तिरक्षक हताहत हुए, जबकि आम नागरिकों की भी हिंसा में मौत हुई, और सुरक्षा हालात बद से बदतर होते गए.
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में चरमपंथी गुटों के हमलों और अन्तर-सामुदायिक हिंसा की वजह से हज़ारों लोगों को विस्थापित होने के लिये मजबूर होना पड़ा. सैकड़ों आम लोगों की मौत हुई और अनेक शान्तिरक्षकों ने भी अपना सर्वोच्च बलिदान किया.
सूडान में वर्ष 2021 में सैन्य तख़्तापलट के बाद 2022 का आरम्भ राजनैतिक अशान्ति से हुआ, और प्रशासन के विरोध में प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाया जाना जारी रहा.
अत्यधिक बल प्रयोग के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई, जिसकी संयुक्त राष्ट्र ने निन्दा की.
मगर, दिसम्बर महीने तक, यूएन महासचिव के प्रयासों के फलस्वरूप आम नागरिकों व सैन्य नेताओं के बीच एक शान्ति समझौते पर सहमति बन गई. सूडान में यूएन टीम ने संक्रमणकाल के दौरान हरसम्भव समर्थन मुहैया कराने की घोषणा की है.
वहीं इधियोपिया के टीगरे क्षेत्र में भीषण लड़ाई पर विराम लगाने के लिये प्रयासों के तहत, मार्च महीने में संघर्षविराम पर सहमति बनी, मगर इससे हिंसा या मानवीय संकट पर रोक नहीं लग पाई.
इसके बाद, नवम्बर में अन्तत: एक शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिससे यूएन प्रमुख ने दो वर्ष से जारी क्रूर गृहयुद्ध की समाप्ति की दिशा में पहला क़दम बताया है.
मध्य पूर्व: हिंसा व टकराव पर विराम नहीं
यूएन महासचिव ने मार्च महीने में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से सीरिया के आम नागरिकों की उम्मीदों को पूरा करने का आग्रह किया, जहाँ गृहयुद्ध अपने 11वें वर्ष में प्रवेश कर गया.
अब तक तीन लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारों घायल हुए हैं. इस वर्ष का अन्त होते-होते, सैन्य टकराव फिर बढ़ने की आशंका है और शान्ति समझौते के फ़िलहाल कोई आसास नहीं है.
मगर, यूएन के विशेष दूत गेयर पैडरसन ने सीरिया व अन्तरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ अपना सम्वाद जारी रखा है, ताकि गतिरोध को तोड़ने के लिये राजनैतिक समाधान ढूँढा जा सके.
यमन में युद्ध का यह सातवाँ वर्ष है, जिसकी स्थानीय लोगों को एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी है. इस वर्ष अप्रैल महीने में, यूएन की मध्यस्थता में राष्ट्रव्यापी संघर्षविराम पर सहमति बनी, जोकि पिछले छह वर्षों में पहला ऐसा मौक़ा था.
लेकिन यह संघर्षविराम अक्टूबर महीने के अन्त में समाप्त हो गया, जिसके बाद नए सिरे से अनिश्चितता उभरी है.
इसराइल और फ़लस्तीन के रिश्तों में प्रगति की रफ़्तार बेहद सुस्त रही. इस वर्ष पश्चिमी तट और इसराइल में हिंसक घटनाओं में 150 फ़लस्तीनियों और 20 इसराइली नागरिकों की मौत हुई.
मध्य पूर्व के लिये यूएन के विशेष दूत टॉर वैनेसलैंड ने हिंसा में आम नागरिकों के मारे जाने की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिन्ता जताई और सचेत किया किया कि इससे हिंसक टकराव के शान्तिपूर्ण निपटारे का रास्ता कमज़ोर होता है.
अमेरिका: हेती में संकट, सतत शान्ति के नज़दीक कोलम्बिया
वर्ष 2022 में, हेती में सुरक्षा हालात बद से बदतर हो गए. राजधानी पोर्त-ओ-प्रान्स में किसी भी इलाक़े में जाना सुरक्षित नहीं था, और परस्पर विरोधी गुटों में दबदबे के लिये टकराव आम बात थी.
इन हालात में हताश आमजन के लिये आतंक भरा माहौल पैदा हो गया, जोकि पहले से ही एक मानवीय संकट की पीड़ा से गुज़र रहे थे.
अक्टूबर महीने में, हेती के लिये यूएन की विशेष प्रतिनिधि हेलेन ला लाइम ने सुरक्षा परिषद द्वारा पारित किये गए प्रस्तावों का स्वागत किया, जिनमें गैंग के नेताओं और उनके समर्थकों को निशाना बनाया गया है.
उन्होंने सुरक्षा परिषद को बताया कि यदि मौजूदा संकट का राजनैतिक समाधान तलाश भी लिया जाता है, तो भी यह संकट को पूरी तरह ख़त्म करन के लिये पर्याप्त नहीं होगा.
वहीं, कभी दशकों तक गृहयुद्ध की आँच में झुलसने वाले कोलम्बिया में सतत शान्ति की दिशा में सकारात्मक संकेत नज़र आए.
कोलम्बिया की सरकार और FARC विद्रोहियों के बीच ऐतिहासिक शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर के छह वर्ष बाद भी, देश में रह-रहकर लड़ाई भड़कती रही.
जुलाई महीने में, यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने नए प्रशासन से बढ़ती हिंसा पर लगाम कसने का आग्रह किया है, विशेष रूप से ग्रामीण इलाक़ों में.
अक्टूबर महीने तक, कोलम्बिया में यूएन मिशन के प्रमुख ने भरोसा जताया कि देश में स्थाई शान्ति समझौते को अन्तत: पूर्ण रूप से लागू किये जाने की दिशा में प्रगति की मज़बूत आशा है.
एशिया: कोरिया प्रायद्वीप में तनाव, अफ़ग़ानिस्तान में गहराया संकट
अफ़ग़ानिस्तान में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान मुख्यत: महिला अधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर केन्द्रित है, मगर इसके साथ-साथ देश में सुरक्षा हालात भी बेहद चुनौतीपूर्ण हैं.
अफ़ग़ान जनता को सिलसिलेवार जानलेवा आतंकी हमलों का सामना करना पड़ा – अप्रैल में स्कूलों पर हमलों से लेकर अगस्त में मस्जिद में बम विस्फोट, जिसका दावा दाएश, तथाकथित इस्लामिक स्टेट ने किया.
इस गुट ने अफ़ग़ानिस्तान में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर भी हमले किये हैं, और एक ऐसे होटल को निशाना बनाया जहाँ चीनी नागरिक ठहरे हुए थे.
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNAMA) की प्रमुख और यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोज़ा ओटुनबायेवा ने दिसम्बर में सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को बताया कि मत-भिन्नताओं के बावजूद, यूएन मिशन ने देश में लोगों की भलाई के लिये तालेबान प्रशासन के साथ सम्वाद जारी रखा है.
यूएन मिशन प्रमुख के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान का नियंत्रण है, मगर वे वहाँ सक्रिय आतंकी गुटों से उपजने वाले ख़तरों का सामना करने में असमर्थ हैं.
वहीं, कोरिया लोकतांत्रिक जनगणराज्य (उत्तर कोरिया) ने वर्ष 2022 में मिसाइलों का परीक्षण जारी रखा, जिसकी संयुक्त राष्ट्र द्वारा निन्दा की गई.
इन परीक्षणों के बाद उन आशंकाओं को बल मिला है जिनके अनुसार देश परमाणु हथियार क्षमता विकसित करने की कोशिशों में जुटा है.
यूएन प्रमुख के अनुसार मार्च महीने में लम्बी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन था.
इसके बाद, अक्टूबर महीने में जापान से होकर गुज़रने वाले मिसाइल परीक्षण को एक लापरवाही भरा कृत्य क़रार दिया गया.
नवम्बर में सुरक्षा परिषद की एक बैठक के दौरान, राजनैतिक व शान्तिनिर्माण मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि उत्तर कोरिया ने अब तक की सबसे बड़ी और शक्तिशाली मिसाइल को छोड़ा है, जोकि उत्तर अमेरिका में कहीं भी पहुँच सकती है.
उन्होंने उत्तर कोरिया से इन भड़काऊ क़दमों से पीछे हटने और प्रासंगिक सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अन्तर्गत तय किये गए अन्तरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने का आग्रह किया.
नया शान्ति एजेंडा
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने दिसम्बर महीने में सुरक्षा परिषद की एक बैठक के दौरान बताया कि यूएन स्थापना की 75वीं वर्षगाँठ पर जारी घोषणापत्र में उनसे विविध प्रकार के ख़तरों से निपटने के लिये ठोस अनुशंसाओं को प्रस्तुत करने के लिये कहा गया था. भूमि एवं समुद्र में, अन्तरिक्ष में और साइबर जगत में.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने ‘हमारा साझा एजेंडा’ नामक रिपोर्ट में शान्ति के लिये एक नए एजेंडा का प्रस्ताव दिया, जिसे 2023 में सदस्य देशों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इस एजेंडा में शान्ति व सुरक्षा पर संगठन के कामकाज को पेश किया जाएगा और रोकथाम के व्यापक उपायों पर बल दिया जाएगा, जिसमें टिकाऊ विकास, शान्ति, जलवायु कार्रवाई और खाद्य सुरक्षा को आपस में जोड़ा जाएगा.
साथ ही, साइबर ख़तरों, सूचना आधारित युद्ध के तौर-तरीक़ों और अन्य प्रकार के टकरावों के मद्देनज़र, यूएन द्वारा जवाबी उपाय अपनाने पर विचार-विमर्श होगा.
इसमें, बहुपक्षीय समाधानों को मज़बूती प्रदान करने, भूराजनैतिक प्रतिस्पर्धा का सामना करने, नए मानदंडों, नियामन और जवाबदेही तंत्रों की पुकार लगाने और ग़ैर-सरकारी पक्षों के साथ सम्पर्क व बातचीत के उपायों की तलाश करने में सदस्य देशों को साथ लेकर चला जाएगा.
महासचिव ने कहा कि आगे मौजूद चुनौती स्पष्ट है. “उत्तरोत्तर पीढ़ियों को युद्ध के दंश से बचाना, एक ऐसे बहुपक्षवाद में स्फूर्ति भरते हुए, जोकि कारगर, प्रतिनिधिक, और समावेशी हो.”