शान्तिनिर्माण की बुनियाद में ‘समावेशी, टिकाऊ विकास को रखना होगा’

संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने कहा है कि शान्ति क़ायम रखना, यूएन के कामकाज की बुनियाद और उसके अस्तित्व की एक अहम वजह है. उन्होंने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के इस महत्वपूर्ण मिशन पर गम्भीर ख़तरा मंडरा रहा है.
उन्होंने कहा कि हर देश में लोगों में सुरक्षा व सलामती का ऐहसास कम स्तर पर है, और हर सात में से छह देश, असुरक्षा की भावना से ग्रस्त है.
यूएन उपप्रमुख ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अब तक, दुनिया सबसे अधिक संख्या में हिंसक टकरावों की चपेट में है, और एक-चौथाई मानवता युद्धक्षेत्र में रह रही है.
यह गम्भीर मानवीय पीड़ा, गहराती निर्धनता, खाद्य असुरक्षा की वजह है, और लाखों-करोड़ों के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य देखभाल से दूर कर रहा है.
कोविड-19 महामारी से पहले भी, हिंसक टकराव प्रभावित देश, यूएन विकास लक्ष्यों पर कार्रवाई में पिछड़ रहे थे.
कुछ अनुमान दर्शाते हैं कि वर्ष 2030 तक विश्व में 80 फ़ीसदी से अधिक अत्यधिक निर्धन, नाज़ुक व संघर्ष-प्रभावित इलाक़ों में रह रहे होंगे.
“अन्य शब्दों में, हिंसक संघर्ष और निर्धनता आपस में गहराई से गुँथे हुए हैं. वैश्विक महामारी ने इस कठिन स्थिति को और अधिक गम्भीर बनाया है.”
कोविड-19 की शुरुआत से अब तक 20 करोड़ से अधिक लोग निर्धनता के गर्त में धँस चुके हैं, 82 करोड़ अतिरिक्त लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है.
उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने कहा कि महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों को कुचला जा रहा है, वैश्विक वित्तीय व्यवस्था विकासशील देशों को निराश कर रही है और अर्थव्यवस्थाएँ अपने नागरिकों की सेवा कर पाने में विफल हैं.
उनके अनुसार इन चुनौतियों से शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है.
उन्होंने आगाह किया कि विकास का अभाव, शिकायतों व पीड़ा को बढ़ाता है, संस्थानों का क्षरण होता है और टकराव व शत्रुता फलती-फूलती है.
आमिना मोहम्मद के अनुसार जैवविविधता हानि, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण केवल पर्यावरण के लिए ख़तरा नहीं है. इन चुनौतियाँ उन विध्वंसकारी ताक़तों के भी बेलगाम होने का जोखिम है, जिनसे हमारे समाजों में दरारें पनपती हैं, सामाजिक समरसता का क्षरण होता है और अस्थिरता भड़कती है.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने सुरक्षा परिषद से अभी और भविष्य में शान्ति सुनिश्चित करने के लिए टिकाऊ विकास पर बल दिए जाने का आग्रह किया है.
आमिना मोहम्मद ने कहा कि शान्ति का निर्माण, समावेशी, टिकाऊ विकास की आधारशिला पर किया जाना होगा.
यूएन उपप्रमुख ने कहा कि ‘शान्ति के लिए नया एजेंडा’ की बुनियाद में रोकथाम उपाय और शान्तिनिर्माण हैं, और यह सदस्य देशों के लिए एक अनूठा अवसर है कि साझा चुनौतियों से निपटने के इरादे से किस तरह एक साझा दूरदृष्टि को प्रस्तुत कर सकते हैं.
नए एजेंडा में राष्ट्रीय रोकथाम व शान्तिनिर्माण प्राथमिकताओं की शिनाख़्त की जाएगी, और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन के ज़रिए, राष्ट्रीय-स्वामित्व में हिंसा रोकथाम उपायों को समर्थन प्रदान किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि नए एजेंडा में मानवाधिकारों की केन्द्रीय भूमिका होगी, और ना केवल ऐसा करना सही, बल्कि बुद्धिमतापूर्ण भी है.
आमिना मोहम्मद ने सचेत किया कि महिलाओं को अब भी निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया के हर स्तर से दूर रखा गया है और उनके संगठनों के लिए वित्त पोषण का अभी अभाव है, जबकि सैन्य ख़र्च बढ़ रहा है.
“हमें महिलाओं अधिकारों के क्षरण को रोकने और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि शान्ति का निर्माण और उसे बनाया जा रखा जा सके.”
उन्होंने शान्ति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने में युवजन की भूमिका का उल्लेख किया, शान्तिनिर्माण में युवाओं को सम्मिल्लित करने के लिए समर्पित क्षेत्रीय व राष्ट्रीय फ़्रेमवर्क की पैरवी की.
यूएन की शीर्ष अधिकारी ने शान्तिनिर्माण की अहमियत को रेखांकित करते हुए राजदूतों से शान्तिनिर्माण आयोग के लिए अधिक समर्थन सुनिश्चित करने का आग्रह किया, जिसके लिए कामकाज में रोकथाम व शान्तिनिर्माण नज़रियों को एकीकृत करना होगा.
उन्होंने कहा कि शान्तिनिर्माण निवेशों से दुनिया भर में सतत शान्ति को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. इस क्रम में, यूएन उपप्रमुख ने वर्ष 2022 में यूएन महासभा में पारित, शान्तिनिर्माण के लिए वित्त पोषण प्रस्ताव की प्रशंसा की, जोकि सामाजिक सहन-सक्षमता निर्माण के लिए आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि शान्तिनिर्माण कोष, शान्तिनिर्माण और रोकथाम उपाय में निवेश के लिए यूएन का एक अहम उपाय है, और संकटों को इन बुनियादी प्रयासों से ध्यान हटाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.