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यमन: व्यापक पैमाने पर लड़ाई में ठहराव, संवाद के लिए एक अहम अवसर

यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैन्स ग्रुंडबर्ग सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधियों को हालात से अवगत करा रहे हैं.
UN Photo/Loey Felipe
यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैन्स ग्रुंडबर्ग सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधियों को हालात से अवगत करा रहे हैं.

यमन: व्यापक पैमाने पर लड़ाई में ठहराव, संवाद के लिए एक अहम अवसर

शान्ति और सुरक्षा

यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने सोमवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को बताया है कि युद्धरत पक्षों को फ़िलहाल लड़ाई पर लगे विराम का लाभ उठाते हुए शान्ति वार्ता को आगे बढ़ाना होगा.

यमन में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधियों को देश की सरकार और हूती लड़ाकों (अंसार अल्लाह) के साथ जारी मध्यस्थता प्रयासों के सम्बन्ध में अवगत कराया.

इससे पहले, पिछले वर्ष छह महीने तक चले संघर्षविराम की अवधि बढ़ाने की दिशा में प्रयास अक्टूबर 2022 में विफल हो गए थे.  

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हैंस ग्रुंडबर्ग के अनुसार, आठ वर्ष से जारी युद्ध का अन्त करने के लिए क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय कोशिशों में तेज़ी आई है, और कुछ हद तक इसके संकेत भी दिखाई दे रहे हैं.

“यमन को एक ऐसे समझौते की आवश्यकता है जिसमें आगे बढ़ने के लिए साझा दूरदृष्टि होगा, ताकि बड़े स्तर पर फिर से हिंसक टकराव से बचा जा सके.”

“इसलिए, मैं सभी पक्षों से आग्रह करता हूँ कि बड़े पैमाने पर लड़ाई की अनुपस्थिति से संवाद के लिए उपलब्ध हुए अवसर का अधिक से अधिक लाभ उठाया जाए.”

बड़ा टकराव नहीं

बताया गया है कि यमन में ज़मीन पर हालात स्थिर हैं और अग्रिम मोर्चों पर विशाल स्तर पर लड़ाई नहीं हुई है.

मगर, सीमित स्तर पर सैन्य गतिविधियाँ जारी हैं, विशेष रूप से मारिब, ताइज़, डाली, हुदायदाह और लहज गवर्नरेट में. इसके अलावा सऊदी अरब से लगी सीमा पर भी संघर्ष से आम नागरिक हताहत हुए हैं.

विशेष दूत ने कहा कि नए सिरे से फिर लड़ाई शुरू होने की आशंका से बचने के लिए, सभी युद्धरत पक्षों को वहाँ पसरी शान्ति की अवधि को बढ़ाने के लिए सक्रिय प्रयास करने होंगे, जिससे यमनी आबादी को बहुत राहत मिली है.

समग्र उपाय

विशेष दूत के अनुसार, उन्होंने यमन में दोनों युद्धरत पक्षों के साथ-साथ क्षेत्र में स्थित देशों के साथ भी अपना सम्पर्क जारी रखा है, जिनमें मुख्यत: ओमान और सऊदी अरब हैं.

बातचीत के दौरान सैन्य तनाव में कमी लाने, आर्थिक बदहाली को टालने और हिंसक टकराव से आम नागरिकों पर पड़े असर को दूर करने के लिए विकल्पों पर चर्चा हुई है.

हैंस ग्रुंडबर्ग ने ज़ोर देकर कहा कि टुकड़ों में बँटे हुए तौर-तरीक़ों या फिर अल्पकालिक उपायों के बजाय, समग्र दूरदृष्टि के साथ सम्पर्क व बातचीत को आगे बढ़ाना होगा ताकि राष्ट्रव्यापी युद्धविराम के साथ शान्ति प्रक्रिया भी फिर से शुरू की जा सके.

विशेष दूत ने कहा कि शान्ति प्रक्रिया को यमनी नागरिकों के स्वामित्व में ही सम्पन्न करना होगा, और सम्प्रभुता से जुड़े मुद्दों के सतत हल के लिए एक समावेशी, अन्तर-यमनी संवाद की दरकार होगी.

सहायता प्रयासों में बाधा

आपात राहत मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए बताया कि इस वर्ष, दो करोड़ 16 लाख यमनी नागरिकों को मानवीय सहायता व संरक्षण सेवाओं की आवश्यकता होगी.

उन्होंने कहा कि राहत वितरण कार्य में अनावश्यक अवरोध एक बड़ी समस्या है और विश्व में सबसे ख़राब हैं, जिससे लोगों तक मदद पहुँचाने का काम कठिन हो जाता है.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि पिछले वर्ष मानवीय सहायता साझेदारों, एजेंसियों की जानकारी दर्शाती है कि सहायता प्रयासों के दौरान तीन हज़ार 300 से अधिक घटनाएँ हुईं, यानि हर दिन क़रीब 10 घटनाएँ, जिससे 50 लाख लोगों के लिए सहायता प्रावधान पर असर हुआ.

आपात राहत मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स.
UN Photo/Loey Felipe
आपात राहत मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स.

महिलाओं के लिए मुश्किल

अवर महासचिव ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि मानव कल्याण के लिए आवाजाही पर पाबन्दी, लालफ़ीताशाही और वर्क परमिट और वीज़ा स्वीकृति में देरी होना, चिन्ता की वजह है.

मानवीय राहतकर्मियों को अक्सर अपने कामकाज में हस्तक्षेप की कोशिशों से भी जूझना पड़ता है, जोकि राहत वितरण के हर चरण में उपस्थित है और हूती लड़ाकों के नियंत्रण वाले इलाक़ों में परिस्थितियाँ अधिक जटिल हैं.

उन्होंने हूती नियंत्रण वाले इलाक़ों में महरम नामक तथाकथित सख़्त नियमों को थोपे जाने पर भी चिन्ता व्यक्त की, जिनके तहत यमनी महिला राहतकर्मियों को बिना किसी पुरुष साथी के बाहर जाने की अनुमति नहीं है.

आपात राहत मामलों के प्रमुख ने कहा कि इनसे कार्यक्रमों को कारगर ढंग से पूरे कर लिए जाने के रास्ते में अवरोध उत्पन्न होता है.

इन हालात में यूएन राहत एजेंसियों की यमन में लड़कियों व महिलाओं समेत, सर्वाधिक निर्बल समुदायों तक पहुँचने की क्षमता प्रभावित हो रही है.

सहायता मार्ग सुलभता की अपील

मानव कल्याण अभियानों पर सुरक्षा-सम्बन्धी चिन्ताओं का भी असर हुआ है. पिछले वर्ष, राहत एजेंसियों ने अपने कर्मचारियों पर हिंसा के क़रीब 150 मामलों की सूचना दी थी, जिनमें से अधिकांश, सरकार के नियंत्रण वाले इलाक़ों से थे.

“यूएन के दो कर्मचारी 14 महीने बाद भी सना में हिरासत में हैं, और क़रीब एक वर्ष पहले अबयान में अगवा किए जाने के बाद, पाँच अन्य अब भी लापता हैं.”

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सभी पक्षों से मानवीय राहत प्रयासों के लिए सुरक्षित, त्वरित व निर्बाध मार्ग सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया, ताकि अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण क़ानून के तहत राहतकर्मियों व सम्पत्तियों की रक्षा की जा सके.