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एड्स की रोकथाम के वैश्विक प्रयासों में, लैंगिक विषमताएँ हैं बड़ी बाधा

एड्स के लिये ज़िम्मेदार एचआईवी (वायरस) का मुक़ाबला करने के लिये, सुलभ परीक्षण एक महत्वपूर्ण उपकरण है.
Public Health Alliance/Ukraine
एड्स के लिये ज़िम्मेदार एचआईवी (वायरस) का मुक़ाबला करने के लिये, सुलभ परीक्षण एक महत्वपूर्ण उपकरण है.

एड्स की रोकथाम के वैश्विक प्रयासों में, लैंगिक विषमताएँ हैं बड़ी बाधा

स्वास्थ्य

एचआईवी संक्रमण और एड्स के ख़िलाफ़ लड़ाई के प्रयासों की अगुवाई कर रही संयुक्त राष्ट्र एजेंसी – UNAIDS ने मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि असमानता, दुनिया को एड्स पर वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति से रोकेगी, मगर एक महिलावादी मार्ग, देशों को फिर से सही रास्ते पर चला सकता है.

रिपोर्ट में दिखाया गया है कि लैंगिक विषमताएँ और हानिकारक लैंगिक प्रथाएँ, एड्स महामारी की समाप्ति को रोक रही हैं, जिससे नए संक्रमण मामले बढ़ रहे हैं और पृथ्वी के अनेक हिस्सों में मौतें होनी जारी है.

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वर्ष में 2021 एड्स से लगभग साढ़े छह लाख लोगों की मौत हुई और क़रीब 15 लाख लोगों को एचआईवी संक्रमण हुआ. ध्यान रहे कि एड्स के पीछे एचआईवी वायरस ही होता है.

बाहर निकलने का मार्ग

यूएन एड्स की कार्यकारी निदेशिका विनी ब्यानयीमा का कहना है, “दुनिया पितृसत्तात्मकता को मज़बूत करना जारी रखते हुए, एड्स को मात देने में समर्थ नहीं होगी.”

उन्होंने महिलाओं के सामने दरपेश व्यापक विषमताओं से निपटने का आहवान भी किया है.

विनी ब्यानयीमा ने कहा, “एड्स की समाप्ति, विकास लक्ष्यों की प्राप्ति, और स्वास्थ्य, अधिकार व साझा ख़ुशहाली सुनिश्चित करने का एक मात्र प्रभावकारी रास्ता महिलावादी मार्ग मैप है.”

“महिला अधिकार संगठन और आन्दोलन, इस साहसिक कार्य को करने के लिए पहले ही, अग्रिम मोर्चों पर हैं. नेताओं को उन्हें समर्थन देना होगा और उनसे सबक़ सीखने होंगे.”

ख़तरनाक विषमताओं से महिलाएँ प्रभावित

‘ख़तरनाक विषमताएँ’ नामक इस रिपोर्ट के अनुसार, एचाईवी के उच्च बोझ वाले क्षेत्रों में, महिलाएँ अपने अन्तरंग साथी के हाथों हिंसा का सामना करती हैं जिससे उनके इस वायरस से संक्रमित होने की सम्भवना 50 प्रतिशत ज़्यादा होती है.

वर्ष 2015 से 2021 के दौरान, 33 देशों में 15 से 24 वर्ष की उम्र की केवल 41 प्रतिशत महिलाएँ, यौन स्वास्थ्य के बारे में ख़ुद के निर्णय ले सकीं.

महिलाओं के एचआईवी जोखिम पर लैंगिक विषमताओं के प्रभाव, विशेष, रूप से सब-सहारा अफ़्रीका क्षेत्र में प्रखर हैं, जहाँ वर्ष 2021 के दौरान, एचआईवी संक्रमण के नए मामलों में, महिलाओं की संख्या 63 प्रतिशत थी.

सत्ता का सवाल

शिक्षा में संसाधन निवेश करके, महिलाओं और लड़कियों को एचआईवी से बचाया जा सकता है.
UNAIDS
शिक्षा में संसाधन निवेश करके, महिलाओं और लड़कियों को एचआईवी से बचाया जा सकता है.

यूएनएड्स का कहना है कि महत्वपूर्ण कारक सत्ता है. इस सम्बन्ध में एक अध्ययन का हवाला भी दिया गया है जिसमें दिखाया गया है कि अगर लड़कियों को स्कूली शिक्षा जारी रखने और उन्हें सैकंडरी शिक्षा पूरी करने का मौक़ा दिया जाए तो, एचआईवी संक्रमण के लिए उनकी कमज़ोरी में 50 प्रतिशत तक की कमी होती है.

एजेंसी का कहना है, “जब इस स्थिति को, एक सशक्तिकरण समर्थन पैकेज के ज़रिये मज़बूत किया जाता है, तो लड़कियों के लिए संक्रमण का ख़तरा और भी कम होता है.”

एजेंसी के अनुसार, “नेताओं को सुनिश्चित करना होगा कि सभी लड़कियाँ स्कूली शिक्षा के लिये वहाँ रहें, लड़कियों को उस हिंसा से बचाया जाए जिसे सामान्य बताया जाता है और इसमें कम उम्र में विवाह के ज़रिये हिंसा होना भी शामिल है, साथ ही लड़कियों को ऐसे आर्थिक रास्ते मुहैया कराए जाएँ जिनके ज़रिये उनके अच्छे भविष्य की गारंटी बने.”

इस बीच “हानिकारक मर्दानगी” की मानसिकता, पुरुषों को उपचार हासिल करने से हतोत्साहित कर रही है. वर्ष 2021 में एचआईवी संक्रमण के साथ जीवन जीने वाले पुरुषों में से केवल 70 प्रतिशत पुरुषों ने उपचार स्वीकार किया, जबकि ऐसी महिलाओं की संख्या 80 प्रतिशत थी.

रिपोर्ट में कहा गया है, “दुनिया के अनेक हिस्सों में लैंगिक रूपान्तरकारी कार्यक्रमों में इज़ाफ़ा करना, इस महामारी पर विराम लगाने की कुंजी है.”