बच्चों व किशोरों में एचआईवी की रोकथाम व उपचार प्रयासों की सुस्त हुई रफ़्तार
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के एक नए अध्ययन के अनुसार पिछले तीन वर्षों में बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं में एचआईवी की रोकथाम और उपचार के लिये प्रयासों में प्रगति लगभग थम सी गई है. यूएन एजेंसी की नवीनतम रिपोर्ट में एचआईवी संक्रमण और एड्स के उपचार में बच्चों और वयस्कों के बीच सेवा कवरेज की बढ़ती खाई पर भी चिन्ता जताई गई है.
रिपोर्ट दर्शाती है कि 2021 के दौरान, तीन लाख 10 हज़ार बच्चे संक्रमित हुए, जिससे एचआईवी की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे युवाओं की संख्या बढ़कर 27 लाख तक पहुँच गई है.
वर्ष 2021 में एक लाख 10 हज़ार से अधिक बच्चों व किशोरों (0-19 वर्ष) की मौत एड्स-सम्बन्धी कारणों से हुई.
यूनीसेफ़ ने गुरूवार, 1 दिसम्बर, को ‘विश्व एड्स दिवस’ से पहले एक चेतावनी जारी की है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं में, एचआईवी की रोकथाम और उपचार के लिये प्रगति रुकने लगी है.
अनेक देशों व क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कवरेज, कोविड-19 महामारी से पहले के स्तर तक नहीं पहुँची हैं. बच्चों और वयस्कों के लिये उपचार सेवाओं की उपलब्धता के बीच एक बड़ा अन्तर पहले से ही मौजूद था, जोकि अब और अधिक गहरा हो रहा है.
एचआईवी/एड्स मामलों के लिये यूनीसेफ़ में सहायक प्रमुख अनुरीता बेंस ने बताया कि “एड्स पर जवाबी कार्रवाई के मामले में बच्चे, लम्बे समय से वयस्कों की अपेक्षा पीछे रहे हैं, मगर पिछले तीन वर्षों में आई रुकावट अभूतपूर्व है.”
उन्होंने चिन्ता जताई कि इससे बड़ी संख्या में युवा ज़िन्दगियों पर बीमारी व मौत का जोखिम मंडरा रहा है. वर्ष 2021 में एचआईवी संक्रमण के नए मामलों में 21 फ़ीसदी बच्चों और किशोरों में दर्ज किये गए.
एचआईवी संक्रमण की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे कुल लोगों में से केवल सात फ़ीसदी बच्चे व किशोर हैं, मगर एड्स के कारण होने वाली कुल मौतों में उनका हिस्सा 17 प्रतिशत है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने आगाह किया है कि जब तक मौजूदा विषमताओं की वजहों का हल नहीं ढूंढा जाता है, तब तक बच्चों व किशोरों में एड्स का अन्त कर पाना एक दूर का सपना ही रहेगा.
यूनीसेफ़ की वरिष्ठ अधिकारी अनुरीता बेंस के अनुसार बच्चों का परीक्षण कर पाने और ज़रूरी होने पर उनके लिये जीवनरक्षक उपचार सुनिश्चित कर पाने में विफलता हाथ लगी है.
“बिना किसी प्रगति के हर एक दिन बीतने के साथ, 300 से अधिक बच्चे व किशोर एड्स के विरुद्ध अपनी लड़ाई हार जाएंगे.”
क्षेत्रवार स्थिति
यूनीसेफ़ के विश्लेषण के अनुसार, अनेक क्षेत्रों – एशिया-प्रशान्त, कैरीबियाई, पूर्वी व दक्षिणी अफ़्रीका, लातिन अमेरिका, मध्य पूर्व व उत्तर अफ़्रीका, और पश्चिम व मध्य अफ़्रीका में, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं में वर्ष 2020 के दौरान उपचार कवरेज में गिरावट दर्ज की गई.
एशिया-प्रशान्त, और मध्य पूर्व व उत्तर अफ़्रीका में यह गिरावट वर्ष 2021 में भी जारी रही.
पश्चिम और मध्य अफ़्रीका में माताओं से बच्चों में होने वाले संक्रमण के मामले सबसे बड़ी संख्या में दर्ज किये गए हैं.
अधिकतर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कवरेज वर्ष 2019 के स्तर तक अभी नहीं पहुँच पाई है.
इन व्यवधानों के कारण नवजात शिशुओं पर जोखिम बढ़ा है.
वर्ष 2021 में बच्चों में 75 हज़ार से अधिक संक्रमण मामले इसलिये दर्ज किये गए, चूँकि गर्भवती महिलाओं का रोग निदान या उपचार शुरू नहीं किया गया था.
दीर्घकालीन प्रगति
यूनीसेफ़ के अनुसार एचआईवी/एड्स के विरुद्ध लड़ाई में दीर्घकालीन रुझानों में बेहतरी दर्ज की गई है.
युवा बच्चों (0-14 वर्ष) में नए एचआईवी संक्रमण के मामलों में 2010 की तुलना में 2021 में 52 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. किशोरों (15-19 वर्ष) में भी नए संक्रमण मामलों में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
एचआईवी की अवस्था में रह रही गर्भवती महिलाओं में जीवन-पर्यन्त एंटी-रैट्रोवायरल उपचार की कवरेज पिछले एक दशक में 46 प्रतिशत से बढ़कर 81 प्रतिशत तक पहुँच गई है.
एचआईवी के साथ रह रहे बच्चों की कुल संख्या में भी गिरावट जारी है, मगर बच्चों और वयस्कों के बीच उपचार कवरेज की खाई बढ़ती जा रही है.
उदाहरणस्वरूप, यूनीसेफ़ के लिये प्राथमिकता वाले देशों में, बच्चों के लिये एंटी-रैट्रोवायरल उपचार की कवरेज वर्ष 2020 में 56 प्रतिशत थी, जोकि 2021 में घटकर 54 प्रतिशत रह गई है.
इस ढलान के लिये कोविड-19 महामारी और अन्य वैश्विक संकटों समेत अनेक कारकों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है, जिनसे निर्धनता बढ़ी है, लोग हाशिए पर धकेल दिए गए हैं.
इसके अलावा, मौजूदा परिस्थितियाँ कमज़ोर पड़ रही राजनैतिक इच्छाशक्ति और बच्चों में एचआईवी की रोकथाम के लिये जवाबी कार्रवाई में आ रही सुस्ती भी एक बड़ी चुनौती है.
संगठन ने एचआईवी के विरुद्ध लड़ाई में सर्वाधिक निर्बलों तक पहुँच बनाने के लिये नए सिरे से राजनैतिक संकल्प की पुकार लगाई है.
इस क्रम में रणनैतिक साझेदारी और संसाधनों के ज़रिये, कार्यक्रमों का दायरा व स्तर बढ़ाया जाना होगा, ताकि बच्चों, किशोरों व गर्भवती महिलाओं में एड्स का अन्त किया जा सके.