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2030 तक एड्स महामारी का अन्त करने के प्रयासों की गति बढ़ानी होगी

भारत के उत्तर प्रदेश में एक महिला का एचआईवी परीक्षण होते हुए
© UNICEF/Soumi Das
भारत के उत्तर प्रदेश में एक महिला का एचआईवी परीक्षण होते हुए

2030 तक एड्स महामारी का अन्त करने के प्रयासों की गति बढ़ानी होगी

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के कार्यालय प्रमुख (Chef de Cabinet) कोर्टेने रैटरे ने शुक्रवार को यूएन महासभा की एक बैठक में कहा है कि विश्व को, एड्स का ख़ात्मा करने, कोविड-19 का मुक़ाबला करने और भविष्य की महामारियों को होने से पहले ही रोकने के लिये, जीवनरक्षक स्वास्थ्य प्रोद्योगिकियों की सर्वसुलभता सुनिश्चित करनी होगी.

दुनिया भर में एड्स, हर सप्ताह 13 हज़ार लोगों की मौत के लिये ज़िम्मेदार बना हुआ है.

एड्स की रोकथाम व इसका मुकाबला करने के प्रयासों की अगुवाई कर रही संस्था यूएनएड्स (UNAIDS) के आँकड़े दिखाते हैं कि एचआईवी और एड्स की रोकथाम का राजनैतिक घोषणा-पत्र अपनाए जाने के एक वर्ष के बाद भी, एचआईवी के संक्रमण और एड्स सम्बन्धित मौतें फ़िलहाल इस रफ़्तार से नहीं घट रही हैं कि आठ वर्ष में इस महामारी का अन्त किया जा सके, जैसाकि सदस्य देशों ने संकल्प व्यक्त किया है.

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यूएन एजेंसी का कहना है कि सदस्य देशों ने, इस घोषणा-पत्र के क्रियान्वयन पर प्रगति को तेज़ करने के लिये, एकजुट होकर काम करने की ज़रूरत को रेखांकित किया है.

विषमताओं का सामना

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने इस बैठक से पहले, एचआईवी/एड्स पर राजनैतिक घोषणा-पत्र के क्रियान्वयन पर एक रिपोर्ट जारी की जिसका शीर्षक है - Tackling inequalities to end the AIDS pandemic.

रिपोर्ट में दिखाया गया है कि विषमताएँ और अपर्याप्त संसाधन निवेश के कारण, दुनिया वर्तमान और भविष्य की महामारियों का मुक़ाबला करने में, किस तरह ख़तरनाक रूप में कम तैयार है.

रिपोर्ट में समाधान भी रेखांकित किया हैं, जिनमें एचआईवी संक्रमण के फैलाव की रोकथाम और सामाजिक सामर्थ्य; समुदाय के नेतृत्व वाली कार्रवाइयाँ; दवाइयों, वैक्सीन्स, और स्वास्थ्य प्रोद्योगिकियों की समान सुलभता; एड्स और महामारी का मुक़ाबला करने की कार्रवाई के लिये टिकाऊ वित्त पोषण; और वैश्विक साझेदारियाँ मज़बूत करने की ज़रूरत शामिल हैं.

रास्ते पर आगे बढ़ना

यूएन प्रमुख का प्रतिनिधित्व करते हुए, उनके कार्यालय प्रमुख ने मौजूदा रुझानों का रुख़ पलटने और सही मार्ग पर आगे बढ़ने के लिये, तीन तात्कालिक क़दम रेखांकित किये...

उन्होंने कहा, “प्रथम, हमें तमाम क्षेत्रों में आपस में गुँथी हुई विषमताओं, भेदभाव और पूरे के पूरे समुदायों को हाशिये पर धकेले जाने जैसी स्थितियों से निपटना होगा, जिनमें अक्सर दण्डात्मक क़ानूनों, नीतियों और क्रियान्वयन के कारण बढ़ोत्तरी होती है.“

उन्होंने हाशिये पर धकेल दिये गए समुदायों के लिये एचआईवी के जोखिमों को कम करने के लिये नीतिगत सुधारों का आहवान किया. इन समुदायों में यौनकर्मी, इंजेक्शन के ज़रिये ड्रग्स लेने वाले लोग, क़ैदी, ट्रांसजैण्डर लोग और समलैंगिक पुरुष शामिल हैं.

वैश्विक स्वास्थ्य में निवेश

दूसरा क़दम है स्वास्थ्य प्रोद्योगिकियों की सर्वसुलभता सुनिश्चित करना और उन्हें दुनिया भर के तमाम देशों में लोगों को सुलभ बनाना.

उन्होंने कहा कि तीसरा क़दम – और ज़्यादा संसाधनों का संकल्प लेना होगा: “एड्स में निवेश, वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में निवेश करना है. उनकी बदौलत ज़िन्दगियाँ बचती हैं – और धन भी.”

लक्ष्य प्राप्ति

यूएन महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने ध्यान दिलाया कि स्वास्थ्य देखभाल के लिये समान पहुँच सुनिश्चित करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गारण्टी के लिये एक आवश्यक मानवाधिकार है.

उन्होंने कहा, “2025 के एड्स लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये प्रयास करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों और महामारी का मुक़ाबला करने की दिशा में निवेश बढ़ाने की ख़ातिर, एकजुट होकर काम करने का एक अवसर है...”

जून 2021 में जारी राजनैतिक घोषणा-पत्र के अनुसार, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय अगर लक्ष्यों तक पहुँचता है तो वर्ष 2030 तक, एचआईवी के नए संक्रमण के 36 लाख मामले, और एड्स से सम्बन्धित 17 लाख मौतें रोकी जा सकती हैं.

सामूहिक कार्रवाई को प्राथमिकता

यूएन महासभा में अफ़्रीका समूह, कैरीबियाई समुदाय और मध्य अमेरिकी एकीकरण व्यवस्था, व योरोपीय संघ की तरफ़ से जारी वक्तव्यों में, एचआईवी के विरुद्ध सफल कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिये, विषमता को जड़ से ख़त्म करने की ख़ातिर सामूहिक कार्रवाई की तात्कालिकता पर ज़ोर दिया गया है.

और अफ़्रीका समूह व अन्य समूहों ने ऐसे भेदभावपूर्ण क़ानूनों से निपटने के बारे में भी आवाज़ बुलन्द की, जो लोगों को स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सेवाओं तक पहुँच से दूर रखते हैं.