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ILO: एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में रोज़गार में मामूली सुधार

एशिया और प्रशांत क्षेत्र में नौकरियों में थोड़ा सुधार दर्ज किया गया है.
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एशिया और प्रशांत क्षेत्र में नौकरियों में थोड़ा सुधार दर्ज किया गया है.

ILO: एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में रोज़गार में मामूली सुधार

आर्थिक विकास

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की नई जानकारी में कहा गया है कि एशिया-प्रशान्त श्रम बाज़ारों ने कोविड-19 महामारी के प्रभाव से आंशिक रूप से वापसी तो दर्ज की है, लेकिन पुनर्बहाली अब भी अस्थिर नज़र आ रही है, और वर्ष 2023 में परिस्थितियाँ कठिन बने रहने की सम्भावना नज़र आती है.

एशिया-प्रशान्त रोज़गार और सामाजिक परिदृश्य 2022 के अनुसार रोज़गार संख्याओं में वर्ष 2022 में, 2019 की तुलना में दो प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. जबकि वर्ष 2020 के दौरान लगभग पाँच करोड़ 70 लाख रोज़गारों की हानि हुई थी.

पुनर्बहाली की ओर

अलबत्ता, पुनर्बहाली अभी पूरी नहीं हुई है. वर्ष 2022 में भी इस क्षेत्र में दो करोड़ बीस लाख रोज़गारों की कमी देखी गई.  वर्तमान भू-राजनैतिक वैश्विक और क्षेत्रीय सन्दर्भ में विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए, यह संख्या वर्ष 2023 में बढ़कर दो करोड़ 6 लाख (1.4 प्रतिशत) होने की सम्भावना है.

वहीं वर्ष 2019 के कुल कामकाजी घंटों की तुलना में, इस समय कमी देखी गई, जबकि 2022 में क्षेत्रीय बेरोज़गारी दर 5.2 प्रतिशत रहा, जो 2019 से 0.5 प्रतिशत अधिक है.

सभी उप-क्षेत्रों ने 2020 में हुए रोज़गार के नुक़सान की भरपाई 2022 में कर ली और 2019 की तुलना में सकारात्मक रोज़गार वृद्धि दिखा रहे थे. हालाँकि, रोज़गार वृद्धि, जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ आगे नहीं बढ़ सकी है.

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की सहायक महानिदेशिका और एशिया व प्रशान्त क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशिका चिहोको ऐसदा मियाकावा का कहना है, “एशिया-प्रशान्त में रोज़गार के रुझान वैसे तो सकारात्मक नज़र आते हैं, मगर क्षेत्र का श्रम बाज़ार अब भी कोरोनावायरस महामारी का संकट शुरू होने से पहले की स्थिति में नहीं पहुँचा है, जिसमें बहुत सी अतिरिक्त चुनौतियाँ, भविष्य की विकास संभावनाओं पर मंडरा रही हैं."

"यह महत्वपूर्ण है कि हम समावेशी और मानव-आधारित विकास को क्षेत्र में वापस लाएँ और अनौपचारिक व ख़राब गुणवत्ता वाले रोज़गारों के आधार पर आंशिक बहाली के साथ समझौता नहीं करें.”

केनया में, किसानों को प्रशिक्षण देने के लिये, सब्ज़ियाँ तैयार किये जाते हुए.
© FAO/Fredrik Lerneryd
केनया में, किसानों को प्रशिक्षण देने के लिये, सब्ज़ियाँ तैयार किये जाते हुए.

रोज़गार वृद्धि का आकलन

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की इस नवीन रिपोर्ट में वर्ष 1991-2021 तक तीन दशक की अवधि में क्षेत्रीय अनुमानों का पहली बार आकलन किया गया है. इस मूल्याकंन से ये उजागर करने का प्रयास किया गया है कि कौन से क्षेत्र रोज़गारों के स्रोत के रूप में बढ़ रहे हैं, कौन से सिकुड़ रहे हैं और कौन से क्षेत्र ‘उपयुक्त कार्य’ के अवसर प्रदान कर रहे हैं.

इस रिपोर्ट में सामने आया है कि जहाँ सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और सूचना सेवाएँ रोज़गार वृद्धि के मामले में क्षेत्र का सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला क्षेत्र है, वहीं वर्ष 2021 में इस क्षेत्र में केवल 94 लाख लोगों ने काम किया, जो कुल रोज़गार का केवल 0.5 प्रतिशत है.

इसके विपरीत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रोज़गार के मामले में तीन सबसे बड़े क्षेत्रों: कृषि, वानिकी व मत्स्य पालन; निर्माण; और थोक व खुदरा व्यापार; में वर्ष 2021 में, कुल लगभग एक अरब 10 करोड़ श्रमिक रोज़गार पा रहे थे.

यूएन एजेंसी के मुताबिक़, हर क्षेत्र में लैंगिक असमानता प्रचलित है. वर्ष 1991 और 2021 के बीच आवास और भोजन सेवाओं ने, 55 प्रतिशत अतिरिक्त रोज़गार महिलाओं को देते हुए, इस चलन को कम किया.

ILO की वरिष्ठ अर्थशास्त्री और रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका सारा ऐल्डर का कहना है आधी सदी के आर्थिक विकास के बावजूद यह तथ्य बना हुआ है कि एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में अधिकांश श्रमिक उन क्षेत्रों में कार्यरत हैं जो 'एशियाई चमत्कार' (Asian miracle) से गुज़र चुके हैं.

सारा ऐल्डर के अनुसार, “वैसे तो आईटी और आधुनिक क्षेत्रों पर सबसे अधिक ध्यान है, मगर विकास और उपयुक्त कामकाज को आगे बढ़ाने की सबसे बड़ी सम्भावना बहुत कम आकर्षक क्षेत्रों में है. भविष्य की चुनौतियों में नीतिगत ध्यान और सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने और बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि सभी क्षेत्रों में, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ अधिकांश लोग काम करते हैं, उपयुक्त काम और समावेश हासिल किया जा सके."