जलवायु परिवर्तन है ऊर्जा सुरक्षा के लिये जोखिम, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश की पुकार
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) व साझेदार संगठनों की एक नई रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक तापमान में वृद्धि को रोकने के लिये यह ज़रूरी है कि ऊर्जा स्रोतों – सौर, पवन व जलविद्युत – से प्राप्त होने वाली बिजली आपूर्ति को अगले आठ वर्षों में दोगुना किया जाए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर जलवायु परिवर्तन, चरम मौसम घटनाओं और जल आपूर्ति दबाव के कारण ऊर्जा सुरक्षा ख़तरे में पड़ सकती है.
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी की ‘State of Climate Services’ वार्षिक रिपोर्ट, 26 संगठनों से मिली जानकारी के आधार पर तैयार की गई है, जोकि इस वर्ष ऊर्जा पर केन्द्रित है.
संगठन महासचिव पेटेरी टालस ने बताया कि ऊर्जा सैक्टर, वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की कुल मात्रा में से तीन-चौथाई के लिये ज़िम्मेदार है.
The energy sector contributes around 3/4 of global greenhouse gas emissions
Fossil fuels drive #climatechange.
#Climatechange threatens energy security.
We can break the vicious circle through #EnergyTransition to renewables.
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WMO
“यदि हमें 21वीं सदी में फलना-फूलना है तो ऊर्जा उत्पादन के सौर, पवन व जलविद्युत जैसे स्वच्छ रूपों की ओर बढ़ना और ऊर्जा दक्षता को बेहतर बनाना अहम है. 2050 तक नैट-शून्य लक्ष्य है.”
यूएन एजेंसी प्रमुख ने सचेत किया कि यह लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है जब निम्न-उत्सर्जन बिजली की आपूर्ति को अगले आठ वर्षों में दोगुना किया जाए.
रिपोर्ट बताती है कि बिजली आपूर्ति के हरित स्रोतों के लिये अपार अवसर मौजूद हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन से निपटने, वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने, जल संसाधनों व पर्यावरण का संरक्षण करने, रोज़गार सृजित करने और सर्वजन के लिये एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम, जल, और जलवायु सम्बन्धी जानकारी व सूचना की भरोसेमन्द सुलभता समय के साथ महत्वपूर्ण होती जाएगी.
ऊर्जा सम्बन्धी बुनियादी ढाँचे की सहनक्षमता को मज़बूती देना और बढ़ती मांग (पिछले 10 वर्षों में 30 प्रतिशत की वृद्धि) को पूरा करने के नज़रिये से यह अहम है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने सचेत किया कि, “समय हमारे साथ नहीं है, और जलवायु हमारी आँखों के सामने बदल रही है.”
“हमें वैश्विक ऊर्जा प्रणाली में पूर्ण रूप से रूपान्तरकारी बदलाव लाने की आवश्यकता है.”
ऊर्जा सुरक्षा
जलवायु परिवर्तन के कारण ईंधन आपूर्ति, ऊर्जा उत्पादन और मौजूदा व भावी ऊर्जा बुनियादी ढाँचे की सहनक्षमता पर सीधा असर पड़ता है.
ताप लहरों और सूखे की घटनाओं के कारण मौजूदा ऊर्जा उत्पादन तंत्र पर पहले से ही बोझ है, और इसलिये जीवाश्म ईंधन से होने वाले उत्सर्जनों में कमी लाना महत्वपूर्ण है.
चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति व गहनता, जल व जलवायु घटनाओं के कारण होने वाला असर पहले से ही स्पष्ट है.
उदाहरणस्वरूप, जनवरी 2022 में अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में रिकॉर्ड ताप लहर के कारण विशाल स्तर पर बिजली आपूर्ति में व्यवधान आया, जिससे सात लाख लोग प्रभावित हुए.
नवम्बर 2022 में रूसी महासंघ के सुदूर पूर्व में जमा देने वाली बारिश के कारण बिजली संचारण व्यवस्था व तारों पर असर पड़ा और लाखों घरों को अनेक दिन तक बिना बिजली के रहना पड़ा.
नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश
इन जोखिमों के बावजूद, सदस्य देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन पर यूएन संस्था (UNFCCC) के सम्मुख प्रस्तुत जलवायु कार्रवाई में से केवल 40 फ़ीसदी में ही ऊर्जा सैक्टर में अनुकूलन को प्राथमिकता दी गई है, और निवेश भी कम है.
देशों द्वारा फ़िलहाल अक्षय ऊर्जा अपनाने के लिये जो संकल्प लिये हैं, वे वर्ष 2030 तक पहुँच के भीतर, भरोसेमन्द, सतत और आधुनिक ऊर्जा की सार्वभौमिक सुलभता के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये पर्याप्त नहीं हैं.
वर्ष 2020 में, वैश्विक बिजली का 87 प्रतिशत तापीय, परमाणु और जलविद्युत प्रणालियों से प्राप्त हुआ, जोकि सीधे तौर पर जल उपलब्धता पर निर्भर है.
रिपोर्ट के अनुसार. दुनिया को वर्ष 2050 तक नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य की दिशा में आगे बढ़ाने के लिये, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश को तब तक तीन गुना करना होगा.
मगर, विकासशील देशों में स्वच्छ ऊर्जा के समर्थन के लिये अन्तरराष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त पोषण के प्रवाह में गिरावट आई है.
वर्ष 2019 में, लगातार दूसरे साल निवेश गिरकर 10 अरब 90 करोड़ डॉलर रह गया, जोकि 2018 में 14 अरब 20 करोड़ डॉलर से क़रीब 23 प्रतिशत कम है.
नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में बढ़ने से जल आपूर्ति पर दबाव को कम करने में मदद मिलेगी, चूँकि सौर व पवन बिजली उत्पादन में, पारम्परिक बिजली संयंत्रों की तुलना में कम मात्रा में जल का इस्तेमाल होता है.