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जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर तत्काल क़दम बढ़ाने का आहवान

जर्मनी के बिडेशाइम में पवन चक्की का इस्तेमाल.
Unsplash/Karsten Würth
जर्मनी के बिडेशाइम में पवन चक्की का इस्तेमाल.

जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर तत्काल क़दम बढ़ाने का आहवान

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि विश्व संगठन का मुख्य लक्ष्य इस सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता, यानि नैट कार्बन उत्सर्जन की स्थिति हासिल करने के लिये, वैश्विक गठबन्धन का निर्माण करना है. महासचिव गुटेरेश ने, सोमवार को जलवायु कार्रवाई पर चर्चा के लिये आयोजित एक सम्मेलन के दौरान यह बात कही है. 

महासचिव गुटेरेश ने स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में क़दम बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित कॉप-26 गोलमेज़ चर्चा को वर्चुअली सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी देशों को विश्वसनीय लक्ष्य स्थापित करने होंगे जो इन उद्देश्यों की पूर्ति करते हों. 

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“वर्ष 2050 तक नैट उत्सर्जन शून्य का लक्ष्य हासिल करने के लिये हमें तत्काल जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने की आवश्यकता है.”

विकासशील जगत में 78 करोड़ से ज़्यादा लोग बिजली से वंचित हैं – इनमें तीन-चौथाई से ज़्यादा आबादी सब-सहारा अफ़्रीका में रहती है. 

यूएन प्रमुख ने कहा कि यह अन्यायपूर्ण है और टिकाऊ विकास के रास्ते में एक बड़ा अवरोध भी है. 

महासचिव गुटेरेश के मुताबिक समावेशन और सततता अपनाते हुए, अफ़्रीकी देशों को समर्थन मुहैया कराना होगा. 

सभी देशों के लिये स्वच्छ और नवीनीकृत ऊर्जा को बढ़ावा देना अहम है ताकि पृथ्वी के तापमान में हो रही ख़तरनाक वृद्धि को टाला जा सके. 

इस क्रम में उन्होंने सभी देशों की सरकारों से, जीवाश्म ईंधन को दिया जाने वाला अनुदान बन्द करने, कार्बन की क़ीमत तय करने, आम लोगों के बजाय प्रदूषण फैलाने वालों पर टैक्स लगाने और कोयला आधारित ऊर्जा संयन्त्रों के निर्माण पर रोक लगाने का आहवान किया है.  

अनुकूलन: एक नैतिक अनिवार्यता

महासचिव गुटेरेश ने इस पृष्ठभूमि में विकसित देशों के लिये जारी अपनी अपील को दोहराया जिसमें उन्होंने कार्बन उत्सर्जन में कटौती व अनुकूलन के प्रयासों के लिये 100 अरब डॉलर के वार्षिक संकल्प को पूरा करने की बात कही है.  

उन्होंने आगाह किया कि अफ़्रीका के सहेल और हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका क्षेत्रों में लम्बी अवधि तक सूखे का सामना करना पड़ता है. इसके मद्देनज़र अनुकूलन के प्रयासों को बढ़ावा दिया जाना बेहद महत्वपूर्ण है. 

“25 जनवरी को आगामी जलवायु अनुकूलन सम्मेलन, उपेक्षित रहने वाले इस क्षेत्र में तेज़ी से क़दम बढ़ाने का एक अवसर है.”

यूएन महासचिव ने ध्यान दिलाया कि कोविड-19 से पुनर्बहाली और आर्थिक स्फूर्ति के लिये बड़ी मात्रा में धनराशि आरक्षित की गई है लेकिन टिकाऊ निवेशों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है. 

एंतोनियो गुटेरेश ने दोहराया कि पूर्व औद्योगिक काल के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान में बढोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की ज़रूरत है. 

इसके लिये अब से लेकर वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष कार्बन उत्सर्जनों में 7.6 फ़ीसदी की कटौती की जानी होगी, लेकिन कुछ देश इसके विपरीत दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और इस रुझान को पलटे जाने की ज़रूरत है. 

टिकाऊपन पर ज़ोर

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी वित्तीय संसाधनों के इन्तज़ाम को पेरिस समझौते और टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा के अनुरूप बनाया जाना होगा. 

साथ ही नए अवसरों को न्यायोचित और समावेशी ढंग से उपलब्ध कराया जाना होगा.

उन्होंने कहा कि एक टिकाऊ अर्थव्यवस्था का अर्थ बेहतर बुनियादी ढाँचा, एक सहनशील भविष्य और लाखों की संख्या में नए रोज़गारों से है, विशेषत: महिलाओं व युवाओ के लिये. 

यूएन के शीर्ष अधिकारी ने याद दिलाया कि इस महत्वाकाँक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिये वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता है, और यही कोविड-19 से उभरने के प्रयासों की भी बुनियाद में है. 

उन्होंने कहा कि एक वैश्विक संकट के दौर में हम अपनी रक्षा सर्वश्रेष्ठ ढँग से तभी कर पाते हैं जब हम सभी की रक्षा करें.