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1.5 डिग्री जलवायु संकल्प ‘मरणासन्न अवस्था में’, यूएन प्रमुख की चेतावनी

पाकिस्तान में जुलाई-अगस्त में भारी बढ़ से हुई भीषण तबाही का एक हवाई दृश्य. यूएन महासचिव ने देश के साथ एकजुटता दिखाने के लिये सितम्बर 2022 में बाढ़ प्रभावित कुछ इलाक़ों का दौरा किया.
UN Photo/Eskinder Debebe
पाकिस्तान में जुलाई-अगस्त में भारी बढ़ से हुई भीषण तबाही का एक हवाई दृश्य. यूएन महासचिव ने देश के साथ एकजुटता दिखाने के लिये सितम्बर 2022 में बाढ़ प्रभावित कुछ इलाक़ों का दौरा किया.

1.5 डिग्री जलवायु संकल्प ‘मरणासन्न अवस्था में’, यूएन प्रमुख की चेतावनी

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, बुधवार को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में, देशों के राष्ट्राध्यक्षों व सरकार अध्यक्षों के साथ एक निजी बैठक में, जलवायु परिवर्तन संकट का सामना करने के लिये, और ज़्यादा कार्रवाई और नेतृत्व दिखाए जाने की पुकार लगाई है. उन्होंने साथ ही आगाह भी किया है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के प्रयास अन्तिम साँसें गिनते नज़र आ रहे हैं.

यूएन प्रमुख ने उस बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने विश्व नेताओं के साथ जलवायु आपदा के बारे में, और तिहरे वैश्विक संकटों – खाद्य, ऊर्जा और वित्त के बारे में भी बातचीत की है.

एंतोनियो गुटेरेश ने विश्व नेताओं से कहा कि उन्होंने पाकिस्तान में बाढ़ से हुई जो भारी तबाही इस महीने देखी है, वो वैश्विक तापमान वृद्धि 1.2 डिग्री सेल्सियस के साथ हुई है; जबकि दुनिया इस समय कुल मिलाकर तीन डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी के रास्ते पर है.

इस बैठक का आयोजन यूएनव महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फ़त्ताह अल सीसी ने संयुक्त रूप से किया था और इस बैठक को “अनौपचारिक व बेबाक वार्तालाप” क़रार दिया गया था.

इस बैठक को, नवम्बर 2022 में मिस्र के एक पर्यटन स्थल - शर्म अल शेख़ में होने वाले अगले यूएन जलवायु सम्मेलन – कॉप27 से पहले, महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देने के अवसर के रूप में भी देखा गया है.

‘जीवाश्म ईंधन हमारा दम घोंट रहे हैं’

ब्रिटेन के ग्लासगो शहर में, नवम्बर 2021 में जलवायु सम्मेलन - कॉप-26 के दौरान जलवायु परिवर्तन प्रदर्शनकारी.
UN News/Conor Lennon
ब्रिटेन के ग्लासगो शहर में, नवम्बर 2021 में जलवायु सम्मेलन - कॉप-26 के दौरान जलवायु परिवर्तन प्रदर्शनकारी.

स्कॉटलैंड के ग्लासगो में नवम्बर 2021 में हुए यूएन जलवायु सम्मेलन कॉप26 के बाद से, जलवायु प्रभाव और बदतर हुए हैं, और कार्बन उत्सर्जन रिकॉर्ड ऊँचे स्तरों पर पहुँच गए हैं, जिनसे सबसे ज़्यादा निर्बल परिस्थितियों वाले लोग सर्वाधिक प्रभावित हो रहे हैं.

इस अनौपचारिक वार्तालाप के दौरान, चार प्रमुख मुद्दों पर ध्यान दिया गया: उत्सर्जन का शमन यानि असर कम करना, जलवायु वित्त, अनुकूलन, और हानि व विध्वंस.

यूएन प्रमुख ने उत्सर्जन शमन के मुद्दे पर विश्व नेताओं से कहा कि वैसे तो उत्सर्जनों में वर्ष 2030 तक, कम से कम 50 प्रतिशत कमी की आवश्यकता है, मगर देश अभी केवल 14 प्रतिशत मात्रा हासिल करने के रास्ते पर ही हैं.

उन्होंने विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के संगठन – जी20 के प्रतिनिधियों से, कोयला प्रयोग को चरणबद्ध तरीक़े से बन्द करने, नवीन ऊर्जा साधनों में निवेश बढ़ाने, और “जीवाश्म ईंधन के लिये अपनी लत” ख़त्म करने का आहवान किया.

उन्होंने कहा, “जीवाश्म ईंधन उद्योग हमारा दम निकाल घोंट रहा है, और नेतृत्व हस्तियाँ अपने लोगों के मिज़ाज को नहीं समझ रही हैं, जबकि आम लोग तत्काल जलवायु कार्रवाई के लिये चिल्ला रहे हैं.”

वर्ष 2015 में वजूद में आए ऐतिहासिक पैरिस जलवायु समझौते में, विकासशील देशों को वैश्विक तापमान वृद्धि के प्रभावों का सामना करने में मदद के लिये, वित्त पहल के रूप में हर साल 100 अरब डॉलर की रक़म दिये जाने का प्रावधान है.

फ़िलहाल ये लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है. यूएन प्रमुख ने ऐलानिया अन्दाज़ में कहा कि विकासशील दुनिया के लिये किये गए ये वित्तीय संकल्प, तत्काल पूरे किये जाने होंगे, और वो भी सम्पूर्ण रूप में.

यूएन महासचिव ने अगले जलवायु सम्मेलन कॉप27 का सन्दर्भ देते हुए आशा व्यक्ति की कि उस सम्मेलन में इन मुद्दों पर, जलवायु न्याय, अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता और भरोसे के मामलों के रूप में, आगे विचार विमर्श किया जाएगा.