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एशिया प्रशान्त: कार्यबल को निर्धनता से निकालने के लिये, नए अभियान की ज़रूरत

कुछ महिला उद्यमियों की एक बैठक
© UN ESCAP
कुछ महिला उद्यमियों की एक बैठक

एशिया प्रशान्त: कार्यबल को निर्धनता से निकालने के लिये, नए अभियान की ज़रूरत

आर्थिक विकास

एशिया और प्रशान्त के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ESCAP) की नई रिपोर्ट दर्शाती है कि इस क्षेत्र में कामकाजी उम्र के लोग, उपयुक्त व शिष्ट रोज़गार के अवसर न मिलने के कारण, और वैश्विक महामारी या आर्थिक मन्दी जैसे झटके झेलने के कारण दबाव में हैं और अत्यधिक संवेदनशील हालात में जीवन गुज़ार रहे हैं.

यूएन रिपोर्ट के अनुसार, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में कार्यबल की लगभग आधी आबादी या तो निर्धनता की शिकार है या फिर निर्धनता के कगार पर है.

ये रिपोर्ट, सामाजिक विकास पर समिति के सातवें सत्र के दौरान जारी की गई है, जोकि मंगलवार को आरम्भ हुआ.

इस सत्र में उच्च-स्तरीय अधिकारी और अन्य हितधारक एक स्वस्थ, संरक्षित और उत्पादक कार्यबल के निर्माण के लिये क्षेत्रीय रणनीतियों पर चर्चा के लिये एकत्र हुए हैं.

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यूएन आयोग की अवर-महासचिव और कार्यकारी सचिव, अर्मिदा साल्सिया अलिसहबाना ने कहा, “हमारा क्षेत्र, सामाजिक संरक्षा पर वैश्विक औसत के आधे से भी कम संसाधन ख़र्च करता है.”

“लगभग 60 प्रतिशत आबादी के पास सामान्य जीवन की घटनाओं जैसे गर्भावस्था, बच्चे के पालन-पोषण, बीमारी, विकलांगता, बेरोज़गारी या वृद्धावस्था के लिये कोई सामाजिक संरक्षा कवरेज नहीं है.”

मौजूदा चुनौतियाँ

2022 Social Outlook for Asia and Pacific: The Workforce We need’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 के बाद इस क्षेत्र में प्रगति के बावजूद जलवायु परिवर्तन, बुज़ुर्गों की बढ़ती आबादी और डिजिटल तकनीक के फैलाव के कारण नई चुनौतियों उपजी हैं.

इनका सामना करने में, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र का मौजूदा कार्यबल फ़िलहाल तैयार नहीं है.

कार्यबल का दो-तिहाई हिस्सा यानि एक अरब 40 करोड़ लोग,असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं, जिसके परिणामस्वरूप, इनमें से आधी आबादी एक दिन में 5.50 डॉलर से कम पर गुज़ारा कर रही है.

कामकाजी आबादी के लिये इन नाज़ुक परिस्थितियों के अक्सर दूरगामी नतीजे सामने आते हैं.

एशिया और प्रशान्त क्षेत्र की श्रम उत्पादकता वैश्विक औसत से नीचे गिर गई है और टिकाऊ आजीविका लाखों लोगों की पहुँच से बाहर है.

कोविड-19 महामारी के दौरान, पहुँच के भीतर स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सुरक्षा के अभाव ने 24 करोड़ 30 लाख लोगों को ग़रीबी में धकेल दिया.

बेहतरी के उपायों पर चर्चा

अगले तीन दिनों में, सामाजिक सुरक्षा, बुज़ुर्गों की स्थिति और क्षेत्र में विकलांगता-समावेशी विकास को और मज़बूती देने के लिये नीतियों और श्रेष्ठ तौर-तरीक़ों की समीक्षा की जाएगी.

समिति के अध्यक्ष के रूप में चुने गए मंगोलिया के प्रधानमंत्री के वरिष्ठ सलाहकार और चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़, अरीउनज़या आयुष ने कहा, “महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक कि हर कोई सुरक्षित नहीं है.”

ESCAP सामाजिक विकास रिपोर्ट पर समिति का सातवां सत्र
ESCAP/सुवत चंचारोएनसुकी
ESCAP सामाजिक विकास रिपोर्ट पर समिति का सातवां सत्र

उन्होंने सचेत किया कि सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिये यह ज़रूरी है कि एकजुट होकर काम किया जाए, ज़िम्मेदारियाँ बाँटी जाएँ और लागत व बोझ को उचित और समान रूप से वितरित किया जाए.

सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा

थाईलैंड की सामाजिक विकास और मानव सुरक्षा मंत्री, छुटी क्रैरिकिक्ष ने भरोसा दिलाया कि, "सम्वेदनशील हालात में रह रहे लोगों की बेहतर सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिये हम अन्य सदस्य देशों और हितधारकों के साथ काम करने के लिये तैयार हैं, ताकि वे समुदाय भी समाज में एक सुरक्षित और गरिमामय जीवन जी सकें."

समिति के सत्र के दौरान, यूएन आयोग ने सामाजिक संरक्षा को व्यापक बनाने के प्रयासों में देशों को समर्थन प्रदान करने के लिये ’Social Protection Online Toolbox’ नामक एक पहल शुरू की है.

इस मंच पर डेटा-संचालित सामाजिक सुरक्षा नमूने, समावेशी सामाजिक सुरक्षा पर केन्द्रित ई-लर्निंग पाठ्यक्रम, पैरोकारी उद्देश्यों के लिये सामग्री और नीतिपत्र उपलब्ध हैं.

इस नमूने को तैयार करने में राष्ट्रीय घर-परिवार आय और व्यय सर्वेक्षण का सहारा लिया गया है और इसके ज़रिये, विकलांगता भत्ते व वृद्धावस्था पेंशन समेत सामाजिक संरक्षा कवरेज का दायरा बढ़ाने में आने वाली लागत का अनुमान लगाया जा सकता है.