वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

एशिया-प्रशान्त में टिकाऊ विकास के लिये नए परिवहन एजेण्डे पर चर्चा

कोविड-19 महामारी ने जहाज़रानी परिवहन उद्योग में पहले मौजूद चुनौतियों को उजागर कर दिया है.
Unsplash/Maksym Kaharlytskyi
कोविड-19 महामारी ने जहाज़रानी परिवहन उद्योग में पहले मौजूद चुनौतियों को उजागर कर दिया है.

एशिया-प्रशान्त में टिकाऊ विकास के लिये नए परिवहन एजेण्डे पर चर्चा

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र की अवर महासचिव व एशिया और प्रशान्त के लिये आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ESCAP) की कार्यकारी सचिव, आर्मिडा सलसियाह अलिसजाहबना का मानना है कि कोविड-19 के दौरान एशिया-प्रशान्त की कमज़ोर सम्पर्क स्थिति उजागर हो गई है. इससे पहले कि हम फिर उसी ढर्रे पर वापस लौटें, परिवहन में बदलाव लाना बेहद ज़रूरी है.

परिवहन से जुड़े मुद्दों पर, बैंकॉक में चौथी मंत्री-स्तरीय बैठक में, इस क्षेत्र और दुनिया भर के लोगों और सामान की आवाजाही को लेकर सम्भावित परिवर्तनकारी एजेण्डे पर विचार किया जा रहा है.

महामारी के दौरान एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में, कोविड-19 से पहले से मौजूद, परिवहन सम्पर्क की कमज़ोरियाँ और भी स्पष्ट हो गईं:

भूमि से घिरे विकासशील देश, कम विकसित देश और छोटे द्वीप विकासशील देशों पर ख़ासतौर पर असर पड़ा. इसलिये, यह ज़रूरी है कि जैसे-जैसे देश अपने विकास एजेण्डे फिर से पटरी पर लाने के प्रयास कर रहे हैं, हम परिवहन प्रणालियों में तेज़ी से सार्थक बदलाव लाएँ. 

परिवहन से जुड़े मुद्दों पर कार्य-योजना

परिवहन पर चौथे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में इसी पृष्ठभूमि में, एशिया और प्रशान्त के लिये आर्थिक और सामाजिक आयोग की बैठक में भाग लेने वाले अधिकारी, 2022-2026 की क्षेत्रीय कार्य-योजना पर चर्चा में लगे हैं.

इसमें, परिवहन प्रणाली के लिये, सतत विकास का 2030 एजेण्डा और सतत विकास लक्ष्य हासिल करने हेतु, आवश्यक नया रोडमैप तैयार किया जाएगा.

आर्मिडा सालसियाह अलिसजहबाना संयुक्त राष्ट्र में अवर-महासचिव और संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग की कार्यकारी सचिव हैं.

इस नई क्षेत्रीय कार्रवाई योजना (आरएपी) में, माल परिवहन व यातायात की बढ़ती मांग के कारण, माल ढुलाई और यात्री मात्रा में वृद्धि जैसे मुद्दों के समाधान विकसित किए जाएंगे.

दरअसल, दो-तिहाई वैश्विक समुद्री व्यापार, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में केन्द्रित है, और दुनिया के सबसे व्यस्त माल ढुलाई बन्दरगाहों में से नौ बन्दरगाह इसी क्षेत्र में स्थित हैं.

फ़िलहाल, इस क्षेत्र से 40 प्रतिशत से अधिक वैश्विक सतह माल परिवहन की आवाजाही होती है और 2050 तक माल ढुलाई के लिये महाद्वीप की मांग तीन गुना होने का अनुमान है.

आने वाले वर्षों में, अधिक व्यापार आदान-प्रदान, आबादी में पर्याप्त बढ़ोत्तरी व मोटर आधारित साधनों के प्रयोग की उच्च दरों के कारण, एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में तेज़ी से शहरीकरण होने की उम्मीद है.

डिजिटलीकरण पर ज़ोर

ऐसे बदलावों और मांगों से निपटने के लिये, परिवहन की क्षेत्रीय कार्य योजना में अधिक से अधिक डिजिटलीकरण व नवाचार को प्रोत्साहन दिया जाएगा.

आर्मिडा सलसियाह अलिसजाहबना का कहना है कि महामारी शुरू होने पर, डिजिटल तकनीक तेज़ी से अपनाने की बदौलत, सरकारों और निजी उद्यमों को सीमाएँ बन्द होने व अन्य रोकथाम उपायों के बावजूद गतिविधियाँ जारी रखने में मदद मिली.

दक्षता, सहनसक्षमता के साथ-साथ, सामाजिक और पर्यावरणीय स्थिरता में सुधार के लिये, अधिकाधिक स्मार्ट परिवहन प्रणालियाँ स्थापित करना, निस्सन्देह बेहतर पुनर्निर्माण की एक प्रमुख प्राथमिकता होगी.

नई क्षेत्रीय कार्रवाई योजना (आरएपी) के अन्य प्रमुख प्रावधानों में निम्न कार्बन उत्सर्जन वाली परिवहन प्रणालियों के लिये तेज़ी से बदलाव लाना भी शामिल है.

परिवहन क्षेत्र जलवायु परिवर्तन में सबसे अधिक योगदान देने वाले क्षेत्रों में से एक है और एशिया व प्रशान्त दुनिया में सबसे अधिक कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जक क्षेत्र रहा है.

शहरी एवं सार्वजनिक परिवहन सहित क्षेत्रीय परिवहन नेटवर्क और सम्बन्धित कार्यों को तेज़ी से कार्बन मुक्त बनाए किए जाने की सख़्त ज़रूरत है.

रेलवे के ज़्यादा इस्तेमाल से अन्तरराष्ट्रीय माल परिवहन में टिकाऊपन लाने में काफ़ी मदद मिलेगी और कोविड-19 के बाद अधिक टिकाऊ दुनिया का निर्माण हो सकेगा.

कुछ देशों में अक्षय ऊर्जा की प्रचुरता, सार्वजनिक परिवहन में बिजली चालित वाहनों की ओर बदलाव लाने का अवसर बन सकता है.

आयोग ने इन प्रयासों में सहयोग देने के लिये, नवम्बर में, ग्लासगो में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप26) में बिजली सचलता (Electric Mobility ) पर एशिया-प्रशान्त पहल के लिये योजना का अनावरण किया था.

बिजली चालित वाहनों के ज़्यादा प्रयोग से प्रदूषण कम होगा और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आएगी.
IMF/Crispin Rodwell
बिजली चालित वाहनों के ज़्यादा प्रयोग से प्रदूषण कम होगा और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आएगी.

इस दौरान, कोविड-19 के प्रकोप का शहरी परिवहन, पहुँच और यातायात पर भी गहरा प्रभाव पड़ा.

ये चुनौतियाँ, परिवहन और शहर के योजनाकारों को यातायात के ऐसे स्वरूपों पर पुनर्विचार करने के लिये प्रोत्साहित करती हैं, जो सस्ती, सुलभ, विश्वसनीय और सुरक्षित हों.

इसके अलावा, परिवहन और सम्बन्धित अवसरों तक पहुँच के मामले में लैंगिक अन्तर और विषमताएँ बनी हुई हैं, जो सतत विकास के सामाजिक आयामों पर समान रूप से ध्यान करने की क्षेत्र की क्षमता को बाधित करती है.

सतत विकास के सन्दर्भ में, हम इस तथ्य को नज़रअन्दाज़ नहीं कर सकते हैं कि विश्व भर में सड़क दुर्घटनाओं में 60 प्रतिशत मौतें एशिया व प्रशान्त क्षेत्र में होती हैं.

यूएन महासभा ने 2021 से 2030 की अवधि को, सड़क सुरक्षा के लिये कार्रवाई के दूसरे दशक के रूप में घोषित किया है, जिसका लक्ष्य सड़क यातायात से होने वाली मौतों और घायलों की संख्या में कम से कम आधी कमी लाना है. इसके लिये, ESCAP भी, एक एशिया-प्रशान्त क्षेत्रीय कार्य योजना तैयार कर रहा है.

कोविड-19 महामारी से सबक़

पूरे महामारी के दौरान, अन्तरराष्ट्रीय माल यातायात बड़े पैमाने पर जारी रहा, क्योंकि देशों ने आपूर्ति श्रृंखलाओं की मदद करने के लिये माल परिवहन सम्पर्क संरक्षित करने के लिये नीतिगत उपाय अपनाए.

ESCAP के तत्वावधान में स्थापित एशियाई राजमार्ग, ट्रान्स-एशियाई रेलवे और ड्राई पोर्ट नेटवर्क इस क्षेत्र में भूमि परिवहन ढाँचागत सम्पर्क और तंत्र की बुनियाद हैं.

उन्हें अन्तर-क्षेत्रीय परिवहन गलियारों और बन्दरगाह एवं शिपिंग नेटवर्क के साथ भी तेज़ी से एकीकृत किया जा रहा है.

वर्ष 2020 और 2021 में विभिन्न देशों को इन सम्पर्कों के ज़रिये, महामारी की जवाबी कार्रवाई व क्षेत्रीय कनेक्टिविटी पर इस कार्रवाई के असर का विश्लेषण करने के लिये एक साथ लाया गया. भविष्य में इसका लाभ उठाकर, बुनियादी ढाँचे और परिचालन सम्पर्क सुधारों को बढ़ावा देने के लिये, परिवहन सम्पर्क के एक निर्बाध क्षेत्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था मॉडल को बढ़ावा दिया जा सकता है.

कोविड-19 महामारी ने कई टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में प्रगति को बाधित किया है और कुछ मामलों में, वर्षों की उपलब्धि को उलट दिया है.

एसडीजी हासिल करने के लिये बेहद अहम परिवहन क्षेत्र को महामारी के दौरान बड़ा झटका लगा, लेकिन देशों ने कार्यक्षमता और सहनक्षमता बनाए रखने व सामाजिक समावेश तक पहुँच का समर्थन करने के लिये, तेज़ी से स्वचालन और नवाचार का रूख किया.

यह निम्न-कार्बन विकास की दिशा में साहसिक नए क़दम उठाने के लिये क्षेत्र की क्षमता का भी सूचक है. एक नई क्षेत्रीय कार्ययोजना, इस क्षेत्र के पिछड़े हुए प्रदर्शन को सम्बोधित करने और गहरी सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय चुनौतियों को कम करके, भविष्य के संकटों के प्रति सहनक्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.