वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

एशिया प्रशान्त: पुनर्बहाली में एक 'नया सामाजिक संकल्प' नज़र आना चाहिये

भारत में महिलाओं को टिकाऊ विकास मुद्दों, विशेष रूप से लैंगिक समानता से जुड़े विषयों पर अग्रणी भूमिका निभाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है. (फ़ाइल फ़ोटो)
UNDP India
भारत में महिलाओं को टिकाऊ विकास मुद्दों, विशेष रूप से लैंगिक समानता से जुड़े विषयों पर अग्रणी भूमिका निभाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है. (फ़ाइल फ़ोटो)

एशिया प्रशान्त: पुनर्बहाली में एक 'नया सामाजिक संकल्प' नज़र आना चाहिये

आर्थिक विकास

एशिया व प्रशान्त के लिये संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) ने मंगलवार को एक नया आर्थिक व सामाजिक सर्वे प्रकाशित किया है जिसके अनुसार क्षेत्र में कोविड-19 व अन्य वैश्विक झटकों से आर्थिक पुनर्बहाली एक समावेशी “नए सामाजिक संकल्प” के रूप में नज़र आनी चाहिये, जिससे आने वाले वर्षों में, सबसे कमज़ोर हालात वाले लोगों की हिफ़ाज़त हो सके.

आयोग की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह रिपोर्ट दिखाती है कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के सामने, महामारी के अतिरिक्त, नीचे की ओर जाने वाले अन्य जोखिम भी मौजूद हैं जोकि व्यवधानों का सामना रही वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से भी सम्बन्धित हैं.

इन व्यवधानों में “बढ़ती महंगाई के दबाव, ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की सम्भावनाएँ, सिकुड़ता वित्तीय स्थान”, और यूक्रेन में रूसी हमले के परिणामस्वरूप उभरता वैश्विक आर्थिक परिदृश्य” प्रमुख हैं.

Tweet URL

इस क्षेत्र के विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि वर्ष 2022 में गिरकर 4.5 प्रतिशत पर जाने की सम्भावना है और वर्ष 2023 के दौरान इसके 5 प्रतिशत रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है. जबकि वर्ष 2021 के दौरान इस क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि 7.1 प्रतिशत थी.

2 ट्रिलियन डॉलर की हानि

इस क्षेत्र के विकासशील अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में कोविड-19 के कारण, 2020 से अब तक की अवधि के बीच, सम्पूर्ण नुक़सान अनुमानतः लगभग दो ट्रिलियन डॉलर आँका गया है.

सर्वे में पिछले दशकों के दौरान हासिल किये गए विकास लाभों को बरक़रार रखने और पूरे क्षेत्र में विषमताओं को और ज़्यादा गहरा होने से रोकने की ख़ातिर, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और सामाजिक संरक्षण जैसे सार्वजनिक क्षेत्रों में वित्तीय कटौती के ख़िलाफ़ आगाह किया है.

रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि महामारी ने एशिया व प्रशान्त क्षेत्र में 82 करोड़ से ज़्यादा अनौपचारिक कामगारों को आमदनी वाले रोज़गार से और 7 करोड़ से ज़्यादा बच्चों को स्कूली शिक्षा से वंचित किया है.

भयावह प्रभाव

आयोग का कहना है कि इस स्थिति के कारण, इन लोगों के लिये भविष्य में आमदनी अर्जित करने की सम्भावनाओं पर और सम्पूर्ण उत्पादकता प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. जबकि एशिया व प्रशान्त क्षेत्र में वर्ष 2021 के दौरान लगभग साढ़े आठ करोड़ अतिरिक्त लोग, पहले ही अत्यन्त गम्भीर निर्धनता में धकेल दिये गए हैं.

आयोग की कार्यकारी सचिव अरमीदा सैलसियाह ऐलिसजाहबना का कहना है कि क्षेत्र के विकासशील देश, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आजीविकाओं की रक्षा में सन्तुलन बनाते हुए, जैसे-जैसे कोविड-19 की मौजूदगी के साथ रहना सीख रहे हैं, समान अवसरों और समावेशी परिणामों वाले एक ज़्यादा न्यायसंगत भविष्य के लिये, बुनियाद डालने के लिये अब, सही समय है.

तीन बिन्दुओं वाली कार्य योजना

आयोग ने क्षेत्र के लिये एक समावेशी अर्थव्यवस्था को आकार देने के उद्देश्य से तीन सूत्री नीति एजेण्डा की सिफ़ारिश की है.

प्रथम, क्षेत्र के विकासशील देशों को सार्वजनिक व्यय में कटौती करने के बजाय, बुनियादी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में ख़र्च बढ़ाना होगा, सार्वभौमिक प्राथमिक और सैकेण्डरी शिक्षा की दिशा में प्रयास बढ़ाने होंगे और सामाजिक संरक्षण का दायरा बढ़ाना होगा.

आयोग की दलील है कि “स्मार्ट” वित्तीय नीतियों की बदौलत, सार्वजनिक व्यय और राजस्व संग्रह के प्रभावों और सम्पूर्ण कुशलता में बेहतरी हासिल की जा सकती है. साथ ही, राजस्व के नए स्रोतों की भी खोज होनी चाहिये जिनमें टैक्स का बोझ उच्च आय वाले घरों की तरफ़ करना और डिजिटिल अर्थव्यवस्था पर टैक्स लगाने जैसे उपाय शामिल हो सकते हैं.

दूसरा, 2022 का सर्वे दलील देता है कि क्षेत्र के केन्द्रीय बैंकों को अपने परम्परागत मौद्रिक नीति आचरण को समावेशी विकास को बढ़ावा देने की तरफ़ मोड़ना होगा. केन्द्रीय बैंक, महंगाई को कम करने व स्थिर रखने पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, आधिकारिक रिज़र्व धन का एक हिस्सा, सामाजिक बॉण्ड्स में निवेश कर सकते हैं.

तीसरा, देशों की सरकारें, ज़्यादा समावेशी परिणामों की ख़ातिर, ढाँचागत आर्थिक बदलाव प्रक्रिया को सक्रिय रूप से दिशा निर्देशित करें और आकार देने व प्रबन्धन में सक्रिय भागीदारी निभाएँ. इस बदलाव प्रक्रिया को, डिजिटल रोबोटिक्स और एआई क्रान्ति दिशा-निर्देशित कर रहे हैं.

इसमें श्रम सघन टैक्नॉलॉजी का विकास, गुणवत्ता वाली शिक्षा की समावेशी पहुँच, कौशल पुनर्विकास, श्रम सौदेबाज़ी क्षमताओं में मज़बूती, और सामाजिक संरक्षण मंचों को सहारा देना भी शामिल है.

एशिया व प्रशान्त क्षेत्र में आर्थिक व सामाजिक सर्वे, संयुक्त राष्ट्र का क्षेत्र में सबसे पुराना और व्यापक वार्षिक अध्ययन है जिसमें क्षेत्र के नीति-निर्माण के बारे में जानकारी होती है. यह सर्वे पहली बार 1947 में प्रकाशित किया गया था.