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यूक्रेनी ‘युद्ध बन्दियों पर मारियूपोल में मुक़दमा, युद्धापराध गिना जा सकता है’

यूक्रेन के मारियूपोल में एक स्थान से 170 से ज़्यादा लोगों को जीवित बचाया गया था. सैकड़ों लड़ाकों ने, युद्ध बन्दी के तौर पर, रूसी अधिकारियों के सामने समर्पण किया था. (मई 2022)
© UNOCHA/Kateryna Klochko
यूक्रेन के मारियूपोल में एक स्थान से 170 से ज़्यादा लोगों को जीवित बचाया गया था. सैकड़ों लड़ाकों ने, युद्ध बन्दी के तौर पर, रूसी अधिकारियों के सामने समर्पण किया था. (मई 2022)

यूक्रेनी ‘युद्ध बन्दियों पर मारियूपोल में मुक़दमा, युद्धापराध गिना जा सकता है’

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय – OHCHR ने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियो प्रकाशित होने पर मंगलवार को चिन्ता व्यक्त की है जिनमें यूक्रेन के युद्ध में बुरी तरह तबाह हो चुके मारियूपोल शहर में, धातु के कटघरे नज़र आ रहे हैं, जिनमें सम्भवत: आगामी मुक़दमे की सुनवाई के दौरान यूक्रेनी युद्ध बन्दियों को रखा जाएगा.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शम्दासानी ने जिनीवा में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ये मुक़दमे, रूस द्वारा क़ाबिज़ मारियूपोल में, रूस समर्थित अधिकारियों के समर्थन से सम्भवतः कुछ ही दिनों में शुरू हो सकते हैं.

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प्रवक्ता ने आगाह किया है कि ये प्रक्रिया, युद्धापराध की परिभाषा के दायरे में आ सकती है.

प्रवक्ता ने कहा, “जिस तरीक़े से ये सब कुछ किया जा रहा है, उसे लेकर हम बहुत चिन्तित हैं. मीडिया में ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें मारियूपोल के फ़िलहार्मोनिक सभागार में धातु के कटघरे बनाए जा रहे हैं, जोकि बहुत विशाल हैं, और उनमें सम्भवतः क़ैदियों को रखे जाने की योजना है.”

उन्होंने कहा, “ये स्वीकार्य नहीं है, ये अपमानजक है.”

लड़ाकों की दण्ड मुक्ति

प्रवक्ता रवीना शम्दासानी ने ध्यान दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत, किस तरह युद्ध बन्दियों का दर्जा पाने वाले व्यक्तियों को लड़ाका दण्डमुक्ति हासिल है और उन पर युद्धक गतिविधियों में शिरकत करने, सशस्त्र संघर्ष के दौरान युद्ध की क़ानूनी गतिविधियों के लिये मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता, यहाँ तक कि ऐसी गतिविधियाँ, अगर देशों के क़ानून के अन्तर्गत कोई अपराध मानी जाएँ, तो भी.”

प्रवक्ता ने कहा कि रूसी अधिकारियों और सम्बद्ध सशस्त्र गुटों की तरफ़ से ऐसे सार्वजनिक वक्तव्य आए हैं जिनमें यूक्रेनी युद्ध बन्दियों को, ‘युद्धापराधी’, ‘नात्सी’, और ‘आतंकवादी’ तक कहा गया है, जिससे अपराध सिद्ध होने तक निर्दोष समझे जाने के सिद्धान्त की अनदेखी होती है.

स्वास्थ्य सेवाओं पर असाधारण हमले

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी के अन्दाज़ में कहा है कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से, स्वास्थ्य देखभाल ठिकानों पर असाधारण संख्या में हमले होते देखे गए हैं. ये हमला 24 फ़रवरी को शुरू हुआ था.

यूक्रेन में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि और मुखिया डॉक्टर जार्नो हैबिष्ट का कहना है, “23 अगस्त तक, स्वास्थ्य देखभाल ठिकानों पर 460 हमलों की पुष्टि हुई है, जिनमें कम से कम 100 लोगों की मौत हुई है और 100 से ज़्यादा घायल हुए हैं.”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ये हमले ना केवल अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करते हैं, बल्कि, ये उन लोगों के लिये भी अनेक बाधाएँ खड़ी करते हैं जिन्हें स्वास्थ्य देखभाल की ज़रूरत है.

350 से ज़्यादा बच्चों की मौत

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – UNICEF के अनुसार, इस युद्ध में मारे गए बच्चों की आधिकारिक संख्या 356 बताई गई है, मगर ये बहुत कम आकलन है.

यूनीसेफ़ ने सोमवार को ख़बर दी थी कि यूक्रेन में युद्ध के दौरान लगभग 1,000 बच्चों की मौत हो चुकी है – जोकि हर दिन लगभग पाँच बच्चों की मौत के बराबर है. 

एजेंसी ने ज़ोर देकर ये भी कहा था कि वास्तविक संख्या इससे कहीं ज़्यादा होगी.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशिका कैथरीन रसैल ने शान्ति की तत्काल ज़रूरत को रेखांकित करते हुए ध्यान दिलाया था कि “एक बार फिर, जैसाकि युद्धों में होता है, वयस्कों के विवेकहीन निर्णय, बच्चों को अत्यन्त गम्भीर जोखिम में डाल रहे हैं. इस तरह के कोई भी सशस्त्र अभियान ऐसे नहीं होते हैं जिनमें बच्चों को नुक़सान ना पहुँचे.”

हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका के लिये जीवन रक्षक अनाज

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार, यूक्रेन के गेहूँ अनाज लेकर हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका के लिये निकला पहला जहाज़, 30 अगस्त को जिबूती पहुँचने वाला है. 

एजेंसी के पदाधिकारियों ने बताया है कि उस जहाज़ में भरे 23 हज़ार मीट्रिक टन गेहूँ से, 15 लाख लोगों का पेट, केवल एक महीने तक भर सकेगा. जबकि अनुमान है कि सहायता के ज़रूरतमन्द लोगों की संख्या लगभग 2 करोड़ 20 लाख है.