इसराइल व फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद के बीच ताज़ा संघर्ष विराम से 'बड़े पैमाने के युद्ध' से बचाव

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने, तीन दिनों की घातक लड़ाई के बाद, ग़ाज़ा में इसराइल और फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद के चरमपंथियों के बीच कमज़ोर पड़ रहे संघर्ष विराम का आकलन करने के लिये, सोमवार को एक आपातकालीन बैठक की.
मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के विशेष समन्वयक, टोर वेनेसलैण्ड ने सभी पक्षों से समझौते का पालन करने का आहवान किया, और सभी प्रतिनिधियों ने नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों को जानबूझकर निशाना बनाए जाने की निन्दा की.
"The ceasefire is fragile. Any resumption of hostilities will only have devastating consequences for Palestinians & Israelis, & make any political progress on key issues elusive," #UN Envoy @TWennesland to members of the Security Council. 🔗full briefing: https://t.co/KStBkpzGfo
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टोर वेनेसलैण्ड ने 5 और 7 अगस्त के बीच हुई घटनाओं को मई 2021 के बाद की सबसे तीव्र लड़ाई बताते हुए, ताज़ा ताज़ा जानकारी में कहा, "फ़िलहाल तो युद्धविराम यथावत है.”
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, क़तर, संयुक्त राज्य अमेरिका, जॉर्डन और फ़लस्तीनी प्राधिकरण के प्रयासों के साथ-साथ, समझौते की मध्यस्थता में मिस्र की महत्वपूर्ण भूमिका की भी सराहना की.
"इन सभी प्रयासों ने एक बड़े पैमाने पर युद्ध होने से रोकने में मदद की," जिससे उस दिन ग़ाज़ा में मानवीय राहत की वितरण की अनुमति मिल सकी.
प्रारम्भिक संख्या से संकेत मिलता है कि शुक्रवार से, इसराइली रक्षा बलों ने ग़ाज़ा में विभिन्न स्थानों को निशाना बनाकर 147 हवाई हमले किये, जबकि फ़लस्तीनी चरमपंथियों ने इसराइल में 1,100 रॉकेट और मोर्टार दागे.
गोलीबारी रुकने के बाद, 46 फ़लस्तीनियों के मारे जाने और 360 के घायल होने की जानकारी है.
वहीं, 70 इसराइलियों के घायल होने और कई नागरिक इमारतों को नुक़सान पहुँचने की भी ख़बर है.
फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद और इसराइल के प्रधानमंत्री ने अलग-अलग बयानों में घोषणा की है कि युद्धविराम 7 अगस्त को स्थानीय समय रात 11:30 बजे लागू होगा.
संयुक्त राष्ट्र, संघर्ष विराम को मज़बूत करने के लिये सभी पक्षों के साथ निकट सम्पर्क में है और यह सुनिश्चित करने में लगा है कि गत मई के बाद से प्रतिबन्धों में ढील से मिलने वाले महत्वपूर्ण लाभ जारी रहें - और अन्ततः इनका विस्तार किया जा सके.
चूँकि एरेज़ और केरेम शालोम क्रॉसिंग के छह दिनों तक बन्द रहने से प्रतिदिन 20 घण्टे से अधिक की बिजली कटौती हुई थी, ऐसे में, संयुक्त राष्ट्र अधिकारी ने विशेष रूप से युद्धविराम से ग़ाज़ा के भीतर और बाहर, माल व लोगों की आवाजाही फिर से शुरू होने का स्वागत किया.
उन्होंने बताया कि केरेम शालोम खोलने से, उस दिन ईंधन से भरे 23 ट्रक ग़ाज़ा में प्रवेश कर सके, जिससे क्षेत्र के बिजली संयंत्र का सामान्य संचालन फिर शुरू किया जा सका.
फ़लस्तीन के स्थाई पर्यवेक्षक, रियाद मंसूर ने कहा कि आख़िर कितने फ़लस्तीनी बच्चे दफ़नाए जाएंगे, इससे पहले कि कोई कहे कि "बस अब बहुत हुआ."
उन्होंने कहा कि सत्ता में चाहे कोई भी हों, लेकिन इसराइल की नीति की दो विशेषताएँ स्थाई हैं - ग़ाज़ा पर बमबारी और औपनिवेशिक बस्तियों का विस्तार. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि "इसराइल हमारे लोगों को मारता है, क्योंकि वह यह करने में सक्षम है."
उन्होंने कहा कि एक पक्ष के तैयार होने की प्रतीक्षा करने की बजाय, परिषद को "दोनों पक्षों को शान्ति प्रक्रिया में ज़बरदस्ती खींच लेना चाहिये,” वो भी जल्दी से जल्दी."
इसराइल के प्रतिनिधि ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तर्क दिया कि बहस में इस तथ्य पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिये कि इसराइली नागरिकों की हत्या करने का प्रयास करने वाले एक चरमपंथी संगठन की चपेट में आकर, निर्दोष फ़लस्तीनी नागरिक भी मारे गए.
इसराइली प्रतिनिधि ने यह याद दिलाते हुए कि फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद ने इसराइली नागरिकों पर जानबूझकर 1,100 रॉकेट दागे, जिनमें से लगभग 200 रॉकेट ग़ाज़ा पट्टी के अन्दर गिरे, उन्होंने कहा: “यह कोई आकलन नहीं है. यह कड़वा सच है और इसराइल के पास इसके सारे सबूत हैं."
राजदूत ने वीडियो फुटेज, रेडियो साक्ष्य और मिशन लॉग की ओर इशारा किया, जिससे साबित होता है कि गेवलिया में हुई बच्चों की मौत, दरअसल इस समूह द्वारा दागे गए रॉकेट का परिणाम थी.