सर्वाधिक वंचितों के लिये, शिक्षा अवसरों की सुलभता सबसे कम

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की एक नई रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि विश्व भर में बड़ी संख्या में वयस्क, अब भी पढ़ाई-लिखाई के अवसरों से वंचित हैं और इस स्थिति में बदलाव लाने की आवश्यकता है. यूएन एजेंसी के अनुसार वयस्कों की शिक्षा सुनिश्चित करने के मार्ग में एक बड़ी चुनौती, सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों के लिये इसे सुलभ बनाना है.
वयस्कों की पढ़ाई-लिखाई व शिक्षा के विषय पर यूनेस्को की पाँचवी वैश्विक रिपोर्ट (GRALE5), मोरक्को के मराकेश शहर में आयोजित एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान जारी की गई है.
Many adults across the world continue to be deprived of learning opportunities. This must change. The #RightToEducation must mean lifelong learning opportunities for all.Learn more @UNESCO’s work on adult education: https://t.co/iLgZ4Xbw5d pic.twitter.com/qqaDeq981w
UNESCO
रिपोर्ट दर्शाती है कि महिलाओं के लिये इस दिशा में प्रगति दर्ज की गई है, मगर हाशिये पर धकेले गए और ग्रामीण आबादी, आदिवासी, प्रवासी, बुज़ुर्ग और विकलांगजन जैसे निर्बल समूह, अब भी शिक्षा के इन अवसरों की सुलभता से वंचित हैं.
सर्वेक्षण में 159 देशों ने हिस्सा लिया और इनमें से 60 प्रतिशत ने बताया है कि वहाँ विकलांगजन, प्रवासियों और बन्दियों की भागीदारी के सिलसिले में कोई बेहतरी नहीं हुई है.
24 प्रतिशत देशों का कहना है कि ग्रामीण आबादी की भागीदारी में गिरावट आई है, और वृद्धजन आबादी की भागीदारी भी 24 प्रतिशत तक कम हुई है.
GRALE5 रिपोर्ट में सदस्य देशों से वयस्कों की पढ़ाई-लिखाई और शिक्षा के लिये तौर-तरीक़ों में बड़े बदलाव का आग्रह किया गया है, जिसके लिये उपयुक्त निवेश किया जाना होगा ताकि हर किसी तक लाभ पहुँचाया जा सके.
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने कहा, “मैं सरकारों और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से हमारे प्रयासों में शामिल होने और यह सुनिश्चित करने के लिये कार्रवाई का आग्रह करती हूँ जिससे शिक्षा का अधिकार, हर किसी के लिये साकार किया जाए.”
उन्होंने कहा कि टैक्नॉलॉजी और समाज में तेज़ी से बदलाव आए हैं, और वैश्विक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए यह ज़रूरी है कि आम लोगों के पास आजीवन, सीखने-सिखाने की सुलभता बनी रहे.
“वयस्क पढ़ाई-लिखाई और शिक्षा के ज़रिये फिर से नए कौशल सीखना और उन्हें निखारना, नियमित बनाया जाना होगा. 21वीं सदी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कौशल, सीखने की योग्यता है.”
सर्वे में हिस्सा लेने वाले आधे से अधिक देशों ने, वर्ष 2018 के बाद से, वयस्कों की पढ़ाई-लिखाई और शिक्षा में भागादीरी बढ़ने की बात कही है, लेकिन चुनौतियाँ बरक़रार हैं.
लड़कियों और युवजन की भागीदारी में काफ़ी हद तक बेहतरी नज़र आई है, कुल मिलाकर सभी समूहों की भागीदारी अब भी अपर्याप्त आँकी गई है.
कुल 159 देशों में क़रीब एक-चौथाई का कहना है कि 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र के एक फ़ीसदी से भी कम युवजन और वयस्क, शिक्षा और पढ़ाई-लिखाई कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं.
सब-सहारा अफ़्रीका सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में है. 59 प्रतिशत देशों के मुताबिक़, हर पाँच में से कम से कम एक वयस्क, पढ़ाई-लिखाई का लाभ उठा रहे हैं.
लेकिन लातिन अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र के लिये यह आँकड़ा घटकर 16 प्रतिशत ही रह जाता है, जबकि योरोप के लिये यह 25 प्रतिशत है.
अफ़्रीका में भागीदारी की ऊँची दर का कारण, वयस्क साक्षरता और शिक्षा पाने का एक और अवसर मिलना बताया गया है.
अधिकांश देशों के अनुसार, पाठ्यक्रम, आकलन और वयस्क शिक्षाविदों के पेशेवेर स्तर पहुँचने में में हालात बेहतर हुए हैं. दो-तिहाई से अधिक देशों ने सेवा से पहले और सेवा के दौरान, प्रशिक्षण अवसरों और कामकाजी परिस्थितियों में प्रगति की बात कही है.
हालाँकि यह प्रगति क्षेत्र और आय समूह पर निर्भर है.
यूनेस्को का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और डिजिटलीकरण जैसी समकालीन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, आम नागरिकों का जागरूक, प्रशिक्षित व सक्रिय होना बेहद आवश्यक है, ताकि वे साझा मानवता और पृथ्वी के लिये अपने दायित्वों की पहचान कर सकें.
इस क्रम में नागरिकता शिक्षा एक अहम उपाय है, और क़रीब 74 प्रतिशत देश, नागरिकता शिक्षा के सिलसिले में नीतियाँ विकसित या लागू करने की प्रक्रिया में हैं.