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कोविड-19: शिक्षा पर संकट - पीढ़ीगत तबाही रोकने की पुकार

कम्बोडिया के एक स्कूल में बच्चे मास्क पहन कर और शारीरिक दूरी बरतते हुए पढ़ाई कर रहे हैं.
© UNICEF/Chansereypich Seng
कम्बोडिया के एक स्कूल में बच्चे मास्क पहन कर और शारीरिक दूरी बरतते हुए पढ़ाई कर रहे हैं.

कोविड-19: शिक्षा पर संकट - पीढ़ीगत तबाही रोकने की पुकार

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया भर में छात्रों की शिक्षा के लिये भीषण संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने आगाह किया है कि मौजूदा समय में विश्व पर एक पीढ़ीगत तबाही का जोखिम मँडरा रहा है जिसे टालने के लिये हरसम्भव प्रयास किये जाने होंगे. 

संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की वैश्विक शिक्षा बैठक (Global Education Meeting) को दिये वीडियो सन्देश में कहा कि इस महामारी का सबसे निर्बलों और हाशिये पर रहने के लिये मजबूर बच्चों और युवाओं पर बहुत ज़्यादा असर हुआ है. 

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“हमने जो प्रगति दर्ज की है, विशेष रूप से लड़कियों व युवा महिलाओं के लिये, उस पर जोखिम मँडरा रहा है.”

“हमें अब निम्न और मध्य आय वाले देशों में पढ़ाई-लिखाई में पुनर्बहाली को समर्थन देने की ज़रूरत है – और हर प्रोत्साहनकारी पैकेज में शिक्षा का ध्यान रखा जाना होगा.”

महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि इस संकट से सफलतापूर्वक निपटने के लिये यह ज़रूरी है कि शिक्षा को एक साझा लोक-कल्याण के रूप में देखा जाए. 

इस क्रम में शिक्षकों, सुरक्षित स्कूलों, डिजिटल टैक्नॉलॉजी और जोखिमों का सामना कर रहे व्यक्तियों में और ज़्यादा निवेश की दरकार होगी. 

“वित्तीय संसाधन और राजनैतिक इच्छाशक्ति बेहद अहम होंगे.”

उपमहासचिव आमिना जे मोहम्मद ने अपने सम्बोधन में कहा कि कोविड-19 ने शिक्षा, पोषण, लैंगिक समानता, स्वास्थ्य और सामाजिक संरक्षा के बीच मज़बूत कड़ी को रेखांकित किया है. 

उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणालियों के लिये तेज़ गति से बड़ी तब्दीलियाँ ला पाना सम्भव हुआ है और सरकारों ने भी छात्रों पर असर को कम करने के लिये प्रयास किये हैं. 

यूएन उपप्रमुख के मुताबिक शिक्षकों और देखभाल करने वालों ने लचीलापन और सृजनात्मक तरीक़ों से बच्चों की शिक्षा को सहारा देने के लिये अग्रिम मोर्चों पर भूमिका निभाई है. 

लेकिन उन्होंने माना कि ये प्रयास पर्याप्त नहीं रहे हैं. 

महामारी शुरू होने के बाद से अब तक विश्व भर में लगभग एक तिहाई बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर असर पड़ा है. क़रीब 50 करोड़ छात्र स्कूलों के बन्द होने से अब भी प्रभावित हैं और करोड़ों बच्चों पर फिर कभी स्कूल ना लौट पाने का जोखिम मँडरा रहा है – इनमें एक करोड़ से ज़्यादा लड़कियाँ हैं. 

कथनी को करनी में बदलना 

यूनेस्को ने इस बैठक से पहले सिलसिलेवार चर्चाओं के ज़रिये एक घोषणापत्र का मसौदा तैयार करने के लिये प्रयास किये हैं. 

इस घोषणा-पत्र में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के नीतपक्ष और टिकाऊ विकास के चौथे लक्ष्य के तहत स्थापित उद्देश्यों का ध्यान रखा गया है. 

उपमहासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा कि आगामी वर्ष में राजनैतिक नेताओं, दानदाता एजेंसियों और वित्तीय संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा को सहारा देने के लिये संकल्पों के साथ वित्तीय संसाधन भी मुहैया कराए जाएँ.   

उन्होंने नवाचार की अपील की है और स्पष्ट किया है कि अतीत के सामान्य हालात में लौटना ना तो सम्भव है ना ही वांछनीय है. 

इसका अर्थ उन गहरे बदलावों को नज़रअन्दाज़ करना होगा जो दुनिया भर के टैक्नॉलॉजी और श्रम बाज़ारों में हो रहे हैं. 

साथ ही उन्होंने प्रभावी बहुपक्षीय सहयोग की अहमियत पर बल दिया है और शैक्षिक प्रयासों में समन्वय के लिये सबसे निर्बल देशों के साथ ज़्यादा एकजुटता दिखाने का आग्रह किया है. 

अन्य आवाज़ें

यूनेस्को की प्रमुख ऑड्री अज़ोले ने इस बैठक में सैमुअल पैटी को श्रृद्धांजलि अर्पित की जिनकी कुछ दिन पहले पेरिस में एक स्कूल में पढ़ाई ख़त्म होने के बाद सिर धड़ से अलग करके हत्या कर दी गई थी. 

सैमुअल पैटी ने अपनी कक्षा में छात्रों को पैगम्बर मोहम्मद के कार्टून दिखाए थे.

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यूनेस्को प्रमुख ने कहा कि वह उन सभी शिक्षकों का भी आभार व्यक्त करती हैं जो बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में तमाम जोखिमों का सामना करते हैं. 

उन्होंने कहा कि शिक्षा को वित्तीय सहारा देने को किसी ख़र्च के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये, अगर इसके लिये धनराशि का आबण्टन अभी नहीं होता है, तो फिर हमारे समक्ष एक उजड़ा भविष्य होगा. 

इस कार्यक्रम की सहआयोजक, नॉर्वे की प्रधानमन्त्री एरना सोलबर्ग ने बताया कि कोविड-19 के दौर में जैसे-जैसे देश पाबन्दियाँ हटाने की शुरुआत कर रहे हैं, शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी होगी. 

एक अन्य सह-आयोजक ब्रिटेन की विदेश व विकास मामलों की मन्त्री बैरोनैस सुग्ग ने कहा कि हम ये जानते हैं कि कोविड-19 पर वैश्विक जवाबी कार्रवाई के केन्द्र में शिक्षा को रखना कितना आवश्यक है.