यूक्रेन: मारियुपोल से आमजन की सुरक्षित निकासी से जागी आशा की किरण

संयुक्त राष्ट्र में मानवीय राहत मामलों (UNOCHA) की उप प्रमुख जॉयस म्सूया ने कहा है कि यूक्रेन पर बर्बरतापूर्ण रूसी आक्रमण से प्रभावित आमजन तक पहुँचने के लिये हर विकल्प पर विचार किया जा रहा है. इस क्रम में, मारियुपोल व आसपास के इलाक़ों से आमजन को सुरक्षित निकालने में मिली सफलता से उम्मीद जगी है.
यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को बताया कि पूर्वी क्षेत्र में आम नागरिकों की सुरक्षित निकासी के हमारे हालिया प्रयासों ने दर्शाया है कि सदभावना और साझा हित की ज़मीन मौजूद है, जिस पर पक्षों के साथ आगे बढ़ा जा सकता है.
The war in #Ukraine is continuing on its destructive path, with women and children paying the heaviest price in the intense fighting. My remarks to the Security Council on Ukraine: https://t.co/tid1ebo37T pic.twitter.com/Yp9fhQwyMQ
JoyceMsuya
संयुक्त राष्ट्र और अन्तरराष्ट्रीय रैड क्रॉस समिति के साझा अभियान के परिणामस्वरूप, मारियुपोल के ऐज़ोवस्टाल स्टील प्लांट और अन्य इलाक़ों से 600 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है.
जॉयस म्सूया ने कहा कि पूर्व में बमबारी और विध्वंस के बीच यह वास्तव में एक विशाल उपलब्धि है, जोकि आशा की किरण प्रदान करती है.
इस बीच, राहत मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स युद्धरत पक्षों को एक साथ लाकर, मानव कल्याण मुद्दों पर बातचीत करने के विकल्प की तलाश कर रहे हैं, ताकि राहत काफ़िलों और आमजन की सुरक्षित निकासी सम्भव बनाई जा सके.
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स इस सप्ताह तुर्की के दौरे पर थे जहाँ उन्होंने मानवीय राहत प्रदान करने के लिये, यूएन द्वारा किये जा रहे प्रयासों को तुर्की से समर्थन पर चर्चा की.
“हम कोई भी कसर ना छोड़ने के लिये पूरी तरह समर्पित हैं. स्थानीय स्तर पर ठहराव से लेकर व्यापक युद्धविराम तक, ज़िन्दगियों की रक्षा के इरादे से उपायों की तलाश करने के लिये.”
लोगों को सुरक्षित निकाले जाने से जगी आशा के बावजूद, यूक्रेन के अन्य इलाक़ों में जारी भीषण लड़ाई से पीड़ा बनी हुई है.
हिंसक संघर्ष के कारण अब तक एक करोड़ 40 लाख लोग अपने घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर हुए हैं, जिनमें 80 लाख से अधिक आन्तरिक रूप से विस्थापित हैं.
जॉयस म्सूया के मुताबिक़, अब तक 227 साझीदार संगठनों ने 54 लाख लोगों तक सहायता पहुँचाई है, विशेष रूप से पूर्वी क्षेत्र में. इनमें से अधिकांश राष्ट्रीय ग़ैर-सरकारी संगठन हैं.
सुरक्षित निकासी के समानान्तर, पाँच अन्तर-एजेंसी काफ़िलों की मदद से लड़ाई में घिरे लोगों तक जीवनदायी मदद, अति-आवश्यक मेडिकल आपूर्ति, राशन, जल मरम्मत प्रणाली और अन्य सामग्री पहुँचाई गई है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के उप कार्यकारी निदेशक ओमार आब्दी ने युद्ध से यूक्रेन और अन्य देशों में शरण लेने वाले युवजन पर हुए असर के बारे में जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने में, संयुक्त राष्ट्र ने क़रीब 100 बच्चों के मारे जाने की पुष्टि की है और उनका मानना है कि वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक है.
यूनीसेफ़ अधिकारी ने बताया कि मारियुपोल और अन्य अग्रिम मोर्चों से हुई सुरक्षित निकासी, थोड़ी राहत प्रदान करने वाली है, मगर, बच्चों और उनके परिवारों के लिये हिंसा प्रभावित इलाक़ों में परिस्थितियाँ विकट हैं.
“बच्चे और अभिभावक हमें अपनी नारकीय परिस्थितियों के बारे में बताते हैं – उन्हें भूखा रहने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है, कीचड़ भरे गढ़्ढों से पानी पीना पड़ रहा है, और भागते हुए लगातार हो रही गोलाबारी व बमों, गोलियों, और बारुदी सुरंगों से शरण लेनी पड़ रही है.”
यूक्रेन में शैक्षणिक संस्थान भी हिंसा की चपेट में आए हैं – इसी सप्ताह लुहान्स्क में एक स्कूल पर हुए हमले में कम से कम 60 लोगों के मारे जाने की ख़बर है.
24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से अब तक, पूर्वी यूक्रेन में यूनीसेफ़-समर्थित 89 स्कूलों में से 15 क्षतिग्रस्त या ध्वस्त हो चुके हैं.
यूनीसेफ़ अधिकारी ने स्कूलों पर हमले बन्द किये जाने की पुकार लगाई है, जिन्हें उन्होंने बच्चों के लिये एक जीवनरेखा के समान बताया है, विशेष रूप से हिंसा प्रभावित इलाक़ों में जहाँ उन्हें सुरक्षा, रोज़मर्रा के जीवन का एहसास होता है.
उन्होंने सचेत किया कि स्कूल, अति-आवश्यक स्वास्थ्य व मनोसामाजिक सेवाओं से जोड़ने का भी काम करते है, जिसके मद्देनज़र, शिक्षकों, प्राध्यापकों और अन्य के लिये समर्थन सुनिश्चित किया जाना होगा.
यूक्रेन के जिन पड़ोसी देशों ने, शरणार्थी बच्चों को लिया है, वे भी उनकी शिक्षा जारी रखने में मदद कर रहे हैं, और इसके लिये कक्षाओं में पढ़ाई के अलावा वैकल्पिक शिक्षा उपायों का सहारा लिया जा रहा है.
उप कार्यकारी निदेशक ओमार आब्दी ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार, यूक्रेन और देश से बाहर 37 लाख बच्चे ऑनलाइन व दूरस्थ पढ़ाई-लिखाई के विकल्प का उपयोग कर रहे हैं.
इसके बावजूद, शिक्षा सुलभता में विशाल अवरोध हैं जिनमें क्षमता और संसाधन रूपी कठिनाइयाँ, भाषा सम्बन्धी रुकावटें, और बच्चों व उनके परिवारों का एक स्थान से दूसरे स्थान तक आना जाना भी है.
इसके अलावा, उन बच्चों तक सहायता पहुँचाने के लिये विशेष अपील की गई है, जिनके लिये जोखिम सबसे अधिक है, या इन परिस्थितियों में पीछे छूट जाने का ख़तरा सबसे अधिक है, विशेष रूप से विकलांगता की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे बच्चे.
ओमार आब्दी के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध का पूरी दुनिया पर असर हुआ है, और भोजन व ईंधन की क़ीमतें अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गई हैं, जिसका असर बच्चों पर भी हुआ है.
यूनीसेफ़ अधिकारी ने ध्यान दिलाया कि अफ़ग़ानिस्तान से लेकर यमन और हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका क्षेत्र तक, दुनिया भर में हिंसक संघर्ष और जलवायु संकट से बच्चे पहले से ही प्रभावित हैं.
अब उन्हें यूक्रेन में युद्ध से उपजी चुनौतियाँ की भी एक घातक क़ीमत चुकानी पड़ रही है.
“यूक्रेनी बच्चे हमें बताते हैं कि वे फिर से अपने परिवारों के साथ होना चाहते हैं, या समुदायों में लौटना चाहते हैं, स्कूला जाना और पड़ोस में खेलना चाहते हैं. बच्चे सहनसक्षम है, मगर उन्हें इसकी ज़रूरत नहीं होनी चाहिये थे.”
यूनीसेफ़ उपप्रमुख ने कहा कि मानव राहतकर्मी यूक्रेन में बच्चों तक सहायता पहुँचाने के लिये हरसम्भव प्रयास करेंगे, मगर वास्तव में तो इस युद्ध को रोका जाना सबसे बड़ी ज़रूरत है.