श्रीलंका: गम्भीर हालात व हिंसक प्रदर्शनों के बीच, सम्वाद व संयम की अपील

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) मिशेल बाशेलेट ने श्रीलंका में गम्भीर हालात की पृष्ठभूमि में, हिंसा की रोकथाम करने, स्थानीय आबादी की पीड़ाओं पर मरहम लगाने, और आर्थिक चुनौतियों का समाधान ढूंढने के लिये अर्थपूर्ण सम्वाद का आग्रह किया है. देश में सत्ताधारी राजनैतिक दल के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों में कम से कम सात लोगों के मारे जाने की ख़बर है.
मानवाधिकार मामलों के लिये शीर्ष यूएन अधिकारी ने मंगलवार को जारी अपने एक वक्तव्य में, श्रीलंका में हिंसा में आई तेज़ी पर गहरी चिन्ता जताई है.
प्राप्त समाचारों के अनुसार, श्रीलंका के प्रधानमंत्री के समर्थकों ने 9 मई, सोमवार, को कोलम्बो में शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमला किया, जिसके बाद, क्रोधित भीड़ ने देश में सत्ताधारी राजनैतिक दल के सदस्यों के विरुद्ध हिंसक विरोध प्रदर्शन किये.
.@mbachelet urges restraint & pathway to dialogue as violence escalates in #SriLanka.“I call on the Government to address the broader political & systemic root causes that have long perpetuated discrimination & undermined #HumanRights.”https://t.co/SE4DGGrB6Z pic.twitter.com/MGLF0lWU4k
UNHumanRights
हिंसा में कम से कम सात लोगों के मारे जाने की ख़बर है, जिनमें एक सांसद और दो स्थानीय अधिकारी भी बताए गए हैं. 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं और देश के कई हिस्सों में आगज़नी में बड़े पैमाने पर सम्पत्ति बर्बाद हुई है.
बताया गया है कि आर्थिक संकट के कारण खाद्य वस्तुओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की सुलभता पर गम्भीर असर हुआ है, जिससे निर्धनता में जीवन गुज़ार रहे और गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिये मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.
विदेशी क़र्ज़, भ्रष्टाचार और कोविड-19 महामारी से उपजी चुनौतियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है.
श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति में उछाल आया है, ईंधन और अतिआवश्यक सामान की क़िल्लत है और लम्बे अन्तराल के लिये बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है.
हज़ारों लोगों ने विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेते हुए देश में राजनैतिक व आर्थिक सुधारों की मांग की है.
मिशेल बाशेलेट के मुताबिक़, मौजूदा घटनाक्रम ने उन पीड़ाओं को भी रेखांकित किया है, जिनके निपटारे के लिये राष्ट्रीय सम्वाद और गहरे ढाँचागत सुधारों की आवश्यकता होगी.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि इन हालात में विभिन्न जातीयताओं और धर्मों के लोगों ने एक साथ आकर, पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक जीवन में भागीदारी के समर्थन में स्वर को मुखर किया है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा, “मैं सभी प्रकार की हिंसा की निन्दा करती हूँ, और प्रशासन से सभी हमलों की स्वतंत्र, विस्तृत और पारदर्शी जाँच किये जाने का आग्रह करती हूँ.”
उन्होंने कहा कि इन हमलों और हिंसा भड़काने के लिये दोषी पाए गए सभी लोगों की जवाबदेही तय की जानी अहम है.
शीर्ष यूएन मानवाधिकार अधिकारी ने स्थानीय प्रशासन से हिंसा की रोकथाम करने और आमजन के शान्तिपूर्ण सभा करने के अधिकार की रक्षा किये जाने की अपील की है.
उन्होंने सचेत किया कि सुरक्षा बलों के समर्थन में तैनात सैन्यकर्मियों को संयम बरतने की आवश्यकता है, और यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि आपात काल के उपाय, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप लागू किया जाएँ.
उनका इस्तेमाल शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों पर दबाने के लिये या फिर असहमति के स्वर को दबाने के लिये नहीं किया जाना चाहिये.
मानवाधिकार कार्यालय प्रमुख ने श्रीलंका सरकार से आग्रह किया है कि समाज के सभी वर्गों के साथ अर्थपूर्ण सम्वाद क़ायम किया जाना होगा, ताकि सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिये मार्ग प्रशस्त हो सके.
उन्होंने देश की सरकार को ध्यान दिलाया है कि ऐसे बुनियादी राजनैतिक व व्यवस्थागत बुनियादी कारण दूर किये जाने होंगे, जिनसे मानवाधिकार कमज़ोर हुए हैं और भेदभाव बढ़ा है.