श्रीलंका: आर्थिक व राजनैतिक संकट से घिरा देश, समाधानों के लिये सम्वाद पर बल
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने श्रीलंका में आर्थिक व राजनैतिक संकट की पृष्ठभूमि में एक वक्तव्य जारी करके, देश में गहरी आर्थिक चुनौतियों का समाधान ढूंढने के लिये सम्वाद की पुकार लगाई है. पिछले सप्ताहान्त, राजधानी कोलम्बो में व्यापक विरोध-प्रदर्शनों और प्रदर्शनकारियों द्वारा सरकारी निवास पर धावा बोले जाने के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्सा ने, अपने पद से हटने की घोषणा की थी, हालाँकि उन्होंने अभी औपचारिक त्यागपत्र नहीं दिया है.
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्सा ने अपने और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निवास स्थान पर पर जनता द्वारा क़ब्ज़ा किये जाने के बाद से कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं आई है.
मगर, समाचार माध्यमों ने प्रधानमंत्री कार्यालय के हवाले से बताया है कि राष्ट्रपति राजपक्सा बुधवार को अपने पद से हट सकते हैं.
The UN stands in solidarity with the people of #SriLanka, who are calling for democracy, accountability and transparency from their leaders. Read full statement 👉 https://t.co/HRDWOpvp2S pic.twitter.com/9QpgVNG9o2
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श्रीलंका में पिछले कई महीनों से भोजन, ईंधन और मेडिकल वस्तुओं की क़िल्लत के कारण व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए हैं.
एक गम्भीर आर्थिक और मानवीय संकट से गुज़र रहा श्रीलंका, अपने क़र्ज़ की क़िस्त चुकाने में विफल रहा है. देश में महंगाई चरम पर है और 60 लाख से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा का शिकार हैं.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने उनकी ओर से एक बयान जारी करके कहा कि यूएन प्रमुख श्रीलंका में घटनाक्रम पर नज़र रखे हुए हैं.
“वह श्रीलंका की जनता के साथ एकजुटता में खड़े हैं और सभी पक्षकारों से सम्वाद में शामिल होने का आग्रह करते हैं, ताकि आर्थिक संकट का टिकाऊ समाधान खोजा जा सके और बिन किसी कठिनाई के सरकार का सरलता से परिवर्तन हो सके.”
ख़बरों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों द्वारा राष्ट्रपति के निवास स्थल पर धावा बोले जाने से पहले, उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया.
बताया गया है कि राष्ट्रपति का इस्तीफ़ा तभी स्वीकार किया जा सकता है, जब उनका त्यागपत्र, श्रीलंकाई संसद के सभापति को सौंपा जाए, जोकि अभी नहीं हुआ है.
सप्ताहान्त के दौरान, घर जला दिये जाने की घटना के बाद, प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने भी अपने पद से हटने का संकेत दिया है.
यूएन प्रमुख ने अपने वक्तव्य में सभी हिंसक कृत्यों की निन्दा की है और दोषियों की जवाबदेही तय किये जाने की बात कही है और शान्ति बनाए रखने की अहमियत को रेखांकित किया है. “संयुक्त राष्ट्र श्रीलंका और वहाँ की जनता को समर्थन देने के लिये तत्पर है.”
वैश्विक महामारी कोविड-19, श्रीलंका के लिये विकट हालात और चुनौतियाँ लेकर आया. देश की अर्थव्यवस्था के लिये महत्वपूर्ण पर्यटन उद्योग ढह गया, जोकि ईंधन आयात और मेडिकल वस्तुओं के आयात के लिये विदेशी मुद्रा का एक अहम स्रोत था.
मानवीय राहत, शीर्ष प्राथमिकता
हाल के दिनों में, यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण आपूर्ति श्रंखला व संकट और ज़्यादा गहरा गया है.
श्रीलंका में यूएन की रैज़ीडेण्ट कोऑर्डिनेटर (RC) हैना सिंगर-हामदी ने रविवार को जारी अपने वक्तव्य में राजनैतिक संकट का तत्काल अन्त करने की पुकार लगाई है.
इस क्रम में, उन्होंने सचेत किया कि स्वाधीनता के बाद देश अपने सबसे ख़राब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिससे उबरने के लिये सम्वाद अहम है.
सर्वाधिक निर्बलों के लिये खाद्य सुरक्षा, कृषि, आजीविका और स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता पर असर पड़ा है, जिसे ध्यान में रखते हुए तत्काल राहत उपाय अपनाए जाने होंगे.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि पत्रकारों, शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों और नागरिक प्रतिष्ठान को निशाना बनाकर की गई हिंसा के मामलों की जाँच-पड़ताल की जाए, और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र हालात पर नज़दीकी नज़र बनाए हुए है, और देश में मानवाधिकारों, क़ानून के राज और लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की पुकार लगाता है.