रवाण्डा जनसंहार: 28 वर्षों बाद भी 'शर्मिन्दगी का धब्बा बरक़रार'

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1994 में रवाण्डा में तुत्सी समुदाय के विरुद्ध अंजाम दिये गए जनसंहार की बरसी पर गुरूवार को लाखों पीड़ितों को श्रृद्धांजलि दी है. केवल 100 दिनों की अवधि में सुनियोजित ढंग से दस लाख से ज़्यादा लोगों की हत्या कर दी गई थी और हुतू, त्वा समेत अन्य समूहों के उन लोगों को भी निशाना बनाया गया, जिन्होंने जनसंहार का विरोध किया था.
रवाण्डा में तुत्सी समुदाय के विरुद्ध जनसंहार पर 28वें अन्तरराष्ट्रीय मनन दिवस पर महासचिव गुटेरेश ने एक वर्चुअल कार्यक्रम को वीडियो सन्देश के ज़रिये सम्बोधित किया.
उन्होंने प्रतिनिधियों को ध्यान दिलाया कि जनसंहार को जानबूझकर, व्यवस्थागत ढंग से खुलेआम अंजाम दिया गया.
यूएन प्रमुख ने कहा कि हम पीड़ितों की स्मृति और जीवित बच गए लोगों की जिजीविषा का सम्मान करते हैं. साथ ही यह अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के रूप में विफल साबित होने पर मनन करने का अवसर है.
“बहुत कुछ और किया जा सकता था, किया जाना चाहिये था. इन घटनाओं की एक पीढ़ी बाद, शर्मिन्दगी का धब्बा बरक़रार है.”
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि हर किसी के पास चयन का विकल्प होता है, और इसलिये, नफ़रत के बजाय मानवता, बर्बरता के बजाय करुणा, इत्मीनान के बजाय साहस, और क्रोध के बजाय मेल-मिलाप को चुना जाना होगा.
महासचिव गुटेरेश ने ‘रक्षा के दायित्व के सिद्धान्त’ और कार्रवाई की अपनी पुकार पर ध्यान आकृष्ट किया, जिसमें मानवाधिकारों को संगठन के कामकाज के केन्द्र में रखा गया है.
उन्होंने बताया कि जनसंहार की रोकथाम के लिये विशेष सलाहकार के ज़रिये, रोकथाम प्रयासों को यूएन के कामकाज एजेण्डा के केन्द्र में रखा गया है.
यूएन प्रमुख ने रवाण्डा के लिये अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक ट्राइब्यूनल का उल्लेख करते हुए कहा कि यह इतिहास में पहली अदालत थी, जिसने जनसंहार के लिये किसी व्यक्ति को दोषी क़रार दिया.
महासचिव के मुताबिक़ अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय का पूर्ण आधार दर्शाता है कि दोषी अब दण्डमुक्ति को मानकर नहीं चल सकते हैं.
“ट्राइब्यूनल ने दिखाया है कि न्याय किस प्रकार से सतत शान्ति के लिये अपरिहार्य है.”
उन्होंने कहा कि रवाण्डा एक शक्तिशाली उदाहरण है कि मानवता किस प्रकार से गहरे घावों पर मरहम लगाते हुए और अंधेरी गहराइयों से उबर सकती है ताकि एक मज़बूत समाज का निर्माण हो सके.
यूएन प्रमुख के अनुसार, बयान ना की जा सकने वाली लिंग-आधारित हिंसक घटनाओं के बाद, आज रवाण्डा की संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है.
साथ ही, संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा अभियानों में योगदान देने वाले देशों में रवाण्डा चौथे स्थान पर है. महासचिव ने कहा कि देश ने जो पीड़ा भुगती है, उससे अन्य देशों को बचाने में वो मदद कर रहा है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि जनसंहार ने सुरक्षा परिषद की भूमिका, कारगर शान्तिरक्षा, अन्तरराष्ट्रीय अपराधों के लिये दण्डमुक्ति के अन्त से जुड़े बुनियादी सवाल उठाए हैं.
उन्होंने कहा कि यूक्रेन आग की लपटों में घिरा है, मध्यपूर्व और अफ़्रीका में नए व पुराने टकराव बने हुए हैं, और सुरक्षा परिषद अधिकातर मामलों में असहमति पर सहमति जता रही है.
महासचिव ने अपने सम्बोधन में नफ़रत भरे सन्देशों व भाषणों, नस्लवादी टिप्पणियों, जनसंहार को नकारे जाने और तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किये जाने से पनपते ख़तरों के प्रति भी आगाह किया.
उन्होंने कहा कि असहिष्णुता, अतार्किकता और कट्टरता के ख़तरे हर समाज में व्याप्त हैं.
महासचिव ने सचेत किया कि अतीत को आत्म ग्लानि भरी नज़रों को देखते समय, भविष्य को संकल्प के साथ देखा जाना भी अहम है, और सतर्क बने रहना होगा.
संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रमुख अब्दुल्ला शाहिद ने नफ़रत भरे भाषणों व दुष्प्रचार की आलोचना करते हुए कहा कि इनसे दोस्त व पड़ोसी, दुश्मन बन रहे हैं.
यूएन महासभा अध्यक्ष ने सभी प्रतिभागियों से नस्लवाद, विदेशियों के प्रति नापसन्दगी व डर और सभी प्रकार के भेदभाव के विरुद्ध खड़ा होने की पुकार लगाई है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि रवाण्डा ने भयावह त्रासदी और तबाही की राख से उठते हुए पुनर्निर्माण किया है, जोकि वहाँ आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक विकास में झलकता है.
अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि रवाण्डा ने एक बेहतर रास्ते पर चलते हुए इन उपलब्धियों की नींव तैयार की है, जिसमें माफ़ी और मेलमिलाप को प्रमुखता दी गई, अतीत के द्वेष को पीछे छोड़ दिया गया व साझा मानवता की भावना को पहचाना गया.