रवाण्डा की जनता के साथ एकजुटता – नफ़रत भरे भाषणों से निपटने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रवाण्डा में तुत्सी समुदाय के जनसंहार की बरसी पर नफ़रत फैलाने वाली मुहिमों को पराजित करने और इतिहास को फिर दोहराए जाने से रोकने के लिये समन्वित प्रयासों की पुकार लगाई है. वर्ष 1994 में इस जनसंहार को अंजाम दिया गया, जिसमें तुत्सी समुदाय के साथ-साथ हुतू और अन्य समूहों के उन लोगों को भी निशाना बनाया गया, जिन्होंने जनसंहार का विरोध किया था.
रवाण्डा में तुत्सी समुदाय के जनसंहार पर बुधवार, 7 अप्रैल, को अन्तरराष्ट्रीय मनन दिवस के अवसर पर महासचिव गुटेरेश ने एक वीडियो सन्देश जारी किया है.
यूएन प्रमुख ने आगाह किया है कि हर किसी को मौजूदा दुनिया की कड़ाई से परख करनी होगी और 27 वर्ष पहले के सबक़ से सीख लेनी होगी.
रवाण्डा में महज़ 100 दिनों की अवधि में सुनियोजित ढँग से दस लाख से ज़्यादा लोगों की हत्या कर दी गई थी.
यूएन प्रमुख ने इस भयावह जनसंहार की पृष्ठभूमि में मौजूदा ख़तरों के प्रति आगाह किया है.
"आज, दुनिया भर में, लोगों को चरमपंथी गुटों से ख़तरे हैं, जोकि सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनैतिक व सांस्कृतिक हेराफेरी के ज़रिये अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशों में लगे हैं."
महासचिव गुटेरेश ने एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि चरमपंथियों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली टैक्नॉलॉजी और तकनीकें लगातार बदल रही हैं, मगर ज़हरीले सन्देश व बयानबाज़ियाँ पहले जैसी ही हैं.
"समुदायों का अमानवीयकरण, भ्रामक सूचनाएँ और नफ़रत भरे भाषण हिंसा की आग को और भड़का रहे हैं."
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान दरारें गहरी होती जा रही हैं, और इस चुनौती से तत्काल निपटे जाने की ज़रूरत है.
पनपता भेदभाव व ध्रुवीकरण
उन्होंने बताया कि मौजूदा संकट, हर जगह मानवाधिकारों को प्रभावित कर रहा है और भेदभाव, सामाजिक ध्रुवीकरण व विषमताओं को हवा दे रहा है.
उन्होंने आगाह किया कि ये सभी हिंसा और संघर्ष का कारण बन सकते हैं.
"हमने देखा कि रवाण्डा में 1994 में क्या हुआ, और हम जानते हैं कि नफ़रत को फैलने देने के भयावह दुष्परिणाम क्या होते हैं."
एंतोनियो गुटेरेश ने सर्वजन से मानवाधिकारों की रक्षा करने और समाज के सभी सदस्यों के लिये पूर्ण सम्मान सुनिश्चित किये जाने की पुकार लगाई है.
"इस गम्भीर दिवस पर, आइए हम एक विश्व के निर्माण का संकल्प लें, जिसे सर्वजन के लिये मानवाधिकार और गरिमा का भाव रास्ता दिखाता हो."
महासचिव गुटेरेश के अनुसार रवाण्डा की जनता ने, आधुनिक मानवीय इतिहास के एक बेहद पीड़ादायी अध्याय का अनुभव करने के बाद, राख की ढेर से देश का पुनर्निर्माण किया है.
उन्होंने कहा कि अकथनीय पीड़ा, लिंग-आधारित हिंसा व भेदभाव को सहन करने के बाद, संसदीय सीटों पर रवाण्डा की महिलाओं का प्रतिनिधित्व 60 प्रतिशत है.
इस सम्बन्ध में रवाण्डा, विश्व का एक अग्रणी देश है, जोकि न्याय व सुलह-सफ़ाई की भावना को भी प्रदर्शित करता है.