विश्व बौद्धिक सम्पदा रिपोर्ट: डिजिटलीकरण से नवाचार को मिल रहा बढ़ावा
विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन (WIPO) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये जिस प्रकार से नवाचारी उपायों को आवश्यकता अनुरूप तेज़ी से अपनाया गया, जलवायु परिवर्तन से मुक़ाबले में भी वैसे ही प्रयासों की ज़रूरत होगी.
बौद्धिक सम्पदा मामलों पर यूएन की विशेषीकृत एजेंसी की रिपोर्ट में जीवन को बदल कर रख देने वाले नवाचारी समाधानों के विकास और उन्हें विकसित करने के नज़रिये से अहम निर्णयों को परखा गया है.
World Intellectual Property Report:🔹Digitalization is driving today’s innovation🔹Greentech needs reboot➡️https://t.co/j9J3h02h86The #WIPR2022 probes the decisions that direct the development of life-changing innovations.Launch event: https://t.co/FlfQ1osFru (1 p.m. CEST) pic.twitter.com/kEhRhPs25u
WIPO
रिपोर्ट के अनुसार डिजिटलीकरण, व्यापक स्तर पर नवाचार क्रांति को आकार दे रहा है और उद्योगों की कायापलट हो रही है.
रिपोर्ट में पिछली एक सदी के दौरान पेटेण्ट कराये जाने की दरों पर नज़र डाली गई है, जिसमें इन सालों में 25 गुना वृद्धि हुई है, यानि प्रतिवर्ष तीन फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी. इस वृद्धि की वजह कई प्रकार की टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल को बताया गया है.
गुरूवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक़, मानव नवाचार (innovation) को रोका नहीं जा सकता है, मगर इसके निष्कर्ष हमेशा तयशुदा रूप से सामने नहीं आते हैं.
नवाचार की दिशा उद्यमियों, शोधकर्ताओं, उपभोक्ताओं, नीति-निर्धारकों द्वारा की गई कार्रवाई का नतीजा होती है, और समाज की ज़रूरतें तेज़ी से बदल सकती हैं, जैसेकि कोविड-19 महामारी के तेज़ फैलाव के दौरान देखा गया था.
यूएन एजेंसी के महानिदेशक डैरेन टैंग ने कहा, “यह महत्वपूर्ण रिपोर्ट हमें यह समझने में मदद करती है कि हमें मानव चातुर्य को संवारने, दक्षतापूर्ण ढँग से दिशा देने में क्या कुछ करने की ज़रूरत है, ताकि विविध प्रकार की साझा वैश्विक चुनौतियों, जैसेकि जलवायु परिवर्तन, की ओर सर्वाधिक प्रभाव हो सके.”
वैश्विक महामारी की शुरुआत से ही, नवप्रवर्तकों (innovators) ने अपने प्रयासों को दूरस्थ कामकाज (remote work) की पृष्ठभूमि में उपजी नई वास्तविकताओं व आवश्यकताओं पर केंद्रित किया.
इनमें नए चिकित्सा उत्पादों की आवश्यकता भी थी. उदाहरणस्वरूप, एण्टी-वायरल दवाएं और mRNA वैक्सीन, जिनका त्वरित गति से विकास पहले से उभर रहे एक ऐसे प्लैटफ़ॉर्म की सहायता से सम्भव हुआ, जिसे कोविड-19 के लिये भी इस्तेमाल लाया गया.
इस कार्य में देशों की सरकारों द्वारा आर्थिक मदद और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के विविध पक्षकारों ने अपना समर्थन सुनिश्चित किया.
रिपोर्ट के अहम निष्कर्ष:
परिवहन सैक्टर में नवाचार वर्ष 1925 के बाद के 30 सालों में दोगुना हो गया, और यह इस अवधि में प्रतिवर्ष 21 फ़ीसदी की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है.
चिकित्सा नवाचार में भी वर्ष 1960 तक 30 वर्षों में तीन गुना बढ़ोत्तरी को देखा गया है, और यह प्रतिवर्ष पाँच फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी को दर्शाता है.

कम्पयूटर और सम्बद्ध नवाचार में वर्ष 2000 तक के 35 सालों में तीन गुना हुआ है जब इस सैक्टर में पेटेण्टों को कुल संख्या का 24 प्रतिशत आंका गया है.
रिपोर्ट बताती है कि डिजिटल नवाचार वर्ष 2020 तक के 20 सालों में चार गुना हो गया है, और प्रतिवर्ष 13 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है.
बताया गया है कि नई टैक्नॉलॉजी के सहारे बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास को हासिल करने पर बल दिया जा रहा है.
पूर्वी एशिया में, जापान, कोरिया गणराज्य और चीन ने अपनी वैज्ञानिक क्षमता, टैक्नॉलॉजी पूँजी और कुशल श्रम बल के ज़रिये, वैश्विक अर्थव्यवस्था में पूर्ण रूप से एकीकरण किया है.
वर्ष 2020 तक, विश्व में सूचना व संचार पेटेण्ट में जापानी नवप्रवर्तकों का हिस्सा 25 प्रतिशत हो गया है, जिसके बाद कोरिया गणराज्य (18 प्रतिशत) और फिर चीन (14 प्रतिशत) का स्थान है.
निम्न-कार्बन उत्सर्जन टैक्नॉलॉजी में वैश्विक नवाचार वर्ष 2012 तक वार्षिक 6 फ़ीसदी की दर बढ़ा, मगर हरित नवाचार में ठहराव दर्ज किया गया है.