यूक्रेन संकट: मानवीय सहायता पर, यूएन महासभा में प्रतिस्पर्धी प्रस्तावों पर चर्चा

यूक्रेन संकट पर बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपात सत्र की दूसरी बैठक हुई है, जिसमें 24 फ़रवरी को रूसी आक्रमण के बाद उपजे मानवीय संकट के मुद्दे पर दो अलग-अलग प्रस्तावों के मसौदे को प्रतिनिधियों के समक्ष पेश किया गया है.
यूक्रेन और अन्य सदस्य देशों द्वारा पेश किये गए पहले प्रस्ताव में यूक्रेन के विरुद्ध आक्रामकता के मानवीय दुष्परिणामों की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है.
इस प्रस्ताव के अनुसार, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण विकट मानवीय स्थिति पैदा हुई है, जिसके मद्देनज़र, एक मानवीय राहत गलियारे की मांग की गई है और लड़ाई रोकने व सैन्य बलों को वापिस बुलाने पर ज़ोर दिया गया है.
The @UN General Assembly has resumed today its 11th Emergency Special Session on the situation resulting from #Russia's invasion of #Ukraine, as decided via Security Council resolution 2623 (2022).Follow the meeting live👉 https://t.co/UmuStqZQjS https://t.co/XYDonMBqgO
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इससे पहले, 2 मार्च को यूएन महासभा में यूक्रेन पर रूसी आक्रामकता की निन्दा करने वाले प्रस्ताव के पक्ष में 141 मत पड़े थे, जबकि पाँच देशों ने उसके विरोध में मतदान किया था.
चीन, भारत समेत 35 अन्य देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था.
बुधवार को पेश किये प्रस्ताव का समर्थन कर रहे देशों ने इसे 2 मार्च को पारित हुए प्रस्ताव के आधार पर तैयार किया है.
वहीं, दक्षिण अफ़्रीका ने एक अन्य प्रस्ताव का मसौदा पेश किया, जोकि यूक्रेन में हिंसा के कारण उपजी मानवीय स्थिति पर तो आधारित है, मगर मसौदे में रूस का उल्लेख नहीं किया गया है.
यूक्रेन के राजदूत सर्गेई किस्लत्स्या ने महासभा हॉल में अपने सम्बोधन के दौरान, रूस द्वारा छेड़े गए युद्ध की आलोचना की, जिसने उनके मुताबिक़ लाखों लोगों को दो हिस्सों में बाँट दिया है.
उन्होंने दुखद तस्वीर उकेरते हुए कहा कि लोग भूख की मार झेल रहे हैं, शहरों को ध्वस्त कर दिया गया है, और ज़रूरतमन्दों को सहारा देने वाले देशों पर बोझ बढ़ रहा है.
बताया गया है कि फ़्राँस और मैक्सिको द्वारा तैयार इस प्रस्ताव को 90 से अधिक देशों ने सह-प्रायोजित किया है.
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले देश, ज़मीनी स्तर पर मानवीय राहत कार्रवाई के लिये एक शक्तिशाली सन्देश देंगे.
रूस के राजदूत वसिलि नेबेन्ज़या ने कहा कि यूक्रेन द्वारा पेश किये गए प्रस्ताव का मसौदा, मौजूदा घटनाक्रम की एक झूठी और एक-आयामी तस्वीर ही दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट के कारणों को नज़रअन्दाज़ किया जा रहा है और रूस के विरुद्ध भूराजनैतिक खेल में यूक्रेन का एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.
उन्होंने सभी सोच-विचार करने वाले देशों से, दक्षिण अफ़्रीका द्वारा पेश किये प्रस्ताव के मसौदे का समर्थन करने का आग्रह किया, जिसमें कोई राजनैतिक बात नहीं है.
अमेरिकी राजदूत लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने स्पष्ट किया कि अमेरिका एक ऐसे मसौदे का समर्थन नहीं कर सकता है, जिसमें यूक्रेन में मानवीय संकट पैदा करने के लिये रूस का उल्लेख ना किया गया हो.
उन्होंने कहा कि रूस, महासभा और सुरक्षा परिषद में प्रतिस्पर्धी प्रस्तावों के ज़रिये यूक्रेन में मानवीय राहत प्रयासों को कमज़ोर बनाने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिकी राजदूत के मुताबिक़, मौजूदा संकट पर यूक्रेन व अन्य देशों द्वारा लाया गया प्रस्ताव इस हिंसक संघर्ष की बर्बरता के विरुद्ध एकजुटता दर्शाने और दोषियों की जवाबदेही तय करने का महत्वपूर्ण अवसर है.
पोलैण्ड की राजदूत जोआना स्कोचेक ने ध्यान दिलाया कि यूक्रेन में हालात के मानवीय दुष्परिणाम महज़ वहीं तक सीमित नहीं हैं.
यूक्रेन में हिंसा के कारण पोलैण्ड में शरण लेने वाले लोगों की संख्या 22 लाख तक पहुँच गई है.
उन्होंने बताया कि सीमा पर 170 देशों के नागरिकों का पंजीकरण किया गया है और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के नतीजों को दुनिया भर में हर देश में महसूस किया जा रहा है.
इस बीच, बुधवार शाम, रूस द्वारा यूक्रेन में नागरिकों की रक्षा और वहाँ राहत पहुँचाने के लिये निर्बाध रास्ते मुहैया कराये जाने के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में पेश किया गया प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया.
अनेक प्रतिनिधियों ने रूस के इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि यह अपने पड़ोसी देश के विरुद्ध आक्रामकता को जायज़ ठहराये जाने का प्रयास है.
प्रस्ताव के इस मसौदे को पारित होने के लिये पक्ष में 9 मतों की ज़रूरत थी. 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से यह तीसरी बार है जब सुरक्षा परिषद में किसी प्रस्ताव पर मतदान हुआ है.
बताया गया है कि बेलारूस, उत्तर कोरिया (डीपीआरके) और सीरिया ने रूस के साथ इस प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद में पेश किया था.