भारतीय महिला पत्रकार राना अय्यूब के ख़िलाफ़ तमाम हमले बन्द हों, यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञ

संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सोमवार को एक वक्तव्य जारी करके, भारत सरकार से, एक महिला खोजी पत्रकार राना अय्यूब के ख़िलाफ़ स्त्रीद्वेष और साम्प्रदायिकता से भरे ऑनलाइन हमले तुरन्त बन्द कराने के लिये उपाय करने का आहवान किया है.
यह अपील, मत व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर विशेष रैपोर्टेयर इरीन ख़ान और मानवाधिकार पैरोकारों की स्थिति पर विशेष रैपोर्टेयर मैरी लॉलर की तरफ़ से सोमवार को जारी की गई है.
🇮🇳#India: Relentless misogynistic and sectarian attacks online against journalist #RanaAyyub must be promptly and thoroughly investigated by the Indian authorities and the judicial harassment against her brought to an end at once – UN human rights experts.https://t.co/RW68cLVbt9 pic.twitter.com/FeWRZqvwzj
UN_SPExperts
संयुक्त राष्ट्र की इन स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत में एक स्वतंत्र खोजी पत्रकार और महिला अधिकारों की पैरोकार राना अय्यूब को धुर दक्षिणपन्थी हिन्दू गुट, सघन हमलों का निशाना बना रहे हैं और उन्हें ऑनलाइन मंचों पर धमकियाँ भी दे रहे हैं, इनमें मौत और बलात्कार की धमकियाँ भी हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है राना अय्यूब पर ये हमले, देश में अल्पसंख्यक समुदाय को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने, कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने में सरकार की आलोचना करने और कर्नाटक प्रदेश में हाल ही में स्कूल व कॉलेजों में कुछ मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर लगी रोक पर टिप्पणियाँ करने के परिणामस्वरूप किये जा रहे हैं.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, “राना अय्यूब चूँकि सार्वजनिक हित के मुद्दों पर प्रकाश डालने और अपनी रिपोर्टिंग के ज़रिये सत्ता को जवाबदेह ठहराने की कोशिश कर रही हैं, तो उन्हें ऐसा करने पर, मौत की अनाम धमकियाँ दी जा रही हैं और कुछ संगठित ऑनलाइन गुट, उनका बलात्कार करने की भी धमकियाँ दे रहे हैं.”
विशेषज्ञों के अनुसार, “सरकार द्वारा समुचित निन्दा नहीं करने, उपयुक्त जाँच नहीं कराए जाने, व सरकार द्वारा राना अय्यूब का क़ानूनी उत्पीड़न किये जाने के परिणामस्वरूप, इन हमलों और हमलावरों को ग़लत तरीक़े से वैधता मिली है; और राना अय्यूब की सुरक्षा और भी ज़्यादा ख़तरे में पड़ी है.”
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार के अधिकारियों ने, राना अय्यूब को अनेक वर्षों से उनकी रिपोर्टिंग के सिलसिले में, क़ानूनी उत्पीड़न का निशाना बनाया है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों के अनुसार, 11 फ़रवरी 2022 को, छह महीनों में दूसरी बार, राना अय्यूब के बैंक खाते और अन्य सम्पत्तियाँ ज़ब्त कर ली गईं, जिनके लिये कथित तौर पर वित्तीय गड़बड़ी और टैक्स धोखाधड़ी के आधारहीन आरोप लगाए गए हैं. ये कार्रवाई, महामारी से प्रभावित लोगों की मदद करने के लिये, लोक अपीलों के ज़रिये इकट्ठा किये गए धन के सिलसिले में बताई गई हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि राना अय्यूब की रिपोर्टिंग के बारे में बहुत से झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए गए हैं, और इन झूठे आरोपों का सिलसिला, एक धुर दक्षिणपन्थी सोशल मीडिया गुट से जाकर जुड़ता है.
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, पत्रकार राना अय्यूब के ख़िलाफ़ दी जाने वाली धमकियों और उनके क़ानूनी उत्पीड़न के सिलसिले में, पहले भी कई बार अपनी चिन्ताओं के बारे में, भारत सरकार को लिखित रूप में अवगत कराया था.
उन्होंने कहा, “सरकार, राना अय्यूब को एक पत्रकार के रूप में, सुरक्षा मुहैया कराने में ना केवल नाकाम साबित हो रही है, बल्कि राना अय्यूब के ख़िलाफ़ सरकारी जाँच के ज़रिये भी, उनकी पहले से ही जारी असुरक्षित स्थिति को और ज़्यादा असुरक्षित बनाने में योगदान कर रही है.”
उनका कहना है कि ये बहुत ज़रूरी है कि सरकार, राना अय्यूब को ऑनलाइन मंचों के ज़रिये मिल रही धमकियों व उनके ख़िलाफ़ फैलाई जा रही नफ़रत से सुरक्षा मुहैया कराने के लिये तत्काल उपाय करे, और उनके ख़िलाफ़ हो रही सरकारी जाँच भी तत्काल बन्द हो.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ या स्पेशल रैपोर्टेयर, जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा, किसी विशेष मानवाधिकार स्थिति या देश के हालात की जाँच-पड़ताल करके, रिपोर्ट सौंपने के लिये नियुक्त किये जाते हैं. ये पद मानद होते हैं. मानवाधिकार विशेषज्ञ आपनी निजी हैसियत में काम करते हैं और इन विशेषज्ञों को उनके कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.