विकलांगजन के समक्ष मौजूद अवरोधों को दूर करने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने विकलांगजन के अधिकारों को बढ़ावा देने के मुद्दे पर एक बैठक को सम्बोधित करते हुए ध्यान दिलाया है कि विकलांगजन अक्सर समाज के सर्वाधिक निर्धन और वंचित समुदायों में होते हैं. यूएन प्रमुख ने विश्व के हर कोने और जीवन के हर पहलू में विकलांगजन के अधिकारों को बढ़ावा दिये जाने के लिये निवेश की पुकार लगाई है.
नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में बुधवार को शुरू हुई ‘Global Disability Summit’ बैठक को नॉर्वे और घाना की सरकार ने मिलकर आयोजित किया है और यह दो दिन चलेगी.
इस बैठक का उद्देश्यय ‘विकलांगजन के अधिकारों पर यूएन सन्धि’ को लागू किये जाने की दिशा में सामूहिक प्रयासों को गति प्रदान करना है. साथ ही कोविड-19 से उबरते समय किसी को पीछे ना छूटने देने और बेहतर पुनर्निर्माण के लक्ष्यों को साकार किये पर चर्चा होगी.
During #COVID19, many people with #disabilities have been denied their basic human rights.The Global Disability Summit is our chance to take action!Join the conversation to see how you can #CommitToChange: https://t.co/j9Rc5Cl23B#StandUp4HumanRights #GDS2022 pic.twitter.com/oMSL3WrI76
UNFPA
महासचिव गुटेरेश ने सभी देशों से आग्रह किया है कि कोविड-19 महामारी से उबरने की योजनाओं में विकलांगजन का पूर्ण रूप से ध्यान रखे जाने के लिये और क़दम उठाए जाने होंगे.
यूएन प्रमुख ने कहा कि विकलांगता की अवस्था में जीवन गुज़ार रहने वाले लोगों की मृत्यु दर अपेक्षाकृत अधिक है, और उन्हें स्वास्थ्य प्रणालियों में निरन्तर अवरोधों का सामना करना पड़ता है.
वित्तीय संसाधनों की कमी से जूझ रहे विकासशील देशों में अक्सर विकलांगजन, अक्सर पहले पीड़ितों में होते हैं.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने शिक्षा का रुख़ करते हुए बताया कि कोरोनावायरस संकट के कारण स्कूल बन्द करना पड़े.
इन हालात में ऐसे अनेक विकलांग छात्र, जिनके पास टैक्नॉलॉजी या पढ़ाई-लिखाई में सहायक उपकरण नहीं थे, उनके लिये घर बैठकर दूर से पढ़ाई कर पाना असम्भव साबित हुआ.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के मुताबिक़, दुनिया भर में 24 करोड़ बच्चे विकलांगता की अवस्था में रह रहे हैं.
इनमें से लगभग आधी आबादी स्कूल जा पाने में सक्षम नहीं है, और हर तीन में से एक को पूर्ण रूप से विकसित होने और बढ़ने के लिये पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध नहीं है.
यूनीसेफ़ ने विकलांग बच्चों के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य, आपात राहत कार्रवाई, सामाजिक संरक्षा, पारिवारिक व सामुदायिक जीवन सुनिश्चित करने के इरादे से, अपने सभी शोध कार्यक्रमों में विकलांगता को मुख्य धारा में शामिल करने का संकल्प लिया है.
संगठन ने उन टैक्नॉलॉजी व उपकरणों में निवेश बढ़ाने का भी आग्रह किया है, जिनसे निर्बल बच्चों की विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी.
इससे उन बच्चों के लिये शिक्षा, रोज़गार व सामाजिक जुड़ाव के अवसर बढ़ाए जा सकेंगे.
यूएन प्रमुख ने सचेत किया है कि विकलांग कामगारों पर रोज़गार का साधन गँवाने का जोखिम सबसे अधिक होता है, और फिर से काम पर रखे जाने की पंक्ति में भी वे अक्सर अन्त में खड़े होते हैं.
महासचिव गुटेरेश ने इन चुनौतियों से निपटने के लिये निर्णायक कार्रवाई का आहवान किया है, ताकि दुनिया के हर कोने व जीवन के हर पहलू में विकलांगजन के अधिकारों को बढ़ावा दिया जा सके.
"हर किसी को हर जगह, स्कूल जाने, स्वास्थ्य देखभाल सुलभ होने, परिवार शुरू करने, उपयुक्त व शिष्ट रोज़गार पाने और आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनैतिक जीवन के हर आयाम में पूर्ण रूप से भागीदारी के लिये स्वतंत्र होना होगा."
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने इस क्रम में विकलांगता समावेशन में पहले से कहीं अधिक निवेश की पुकार लगाई है ताकि, सर्वत्र सुलभ माहौल और अवसर सृजित किये जा सकें.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने आगाह किया है कि विकलांग महिलाओं व लड़कियों के यौन हिंसा का शिकार होने का जोखिम 10 गुना अधिक होता है.
यौन व प्रजनन स्वास्थ्य मामलों की यूएन एजेंसी ने कहा कि विकलांग लड़कियों व युवतियों को प्रजनन स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जानकारी अक्सर उपलब्ध नहीं होती है और ना ही वे इन स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग कर पाती हैं.